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Saubhagya Bharat News

हम सौभाग्य भारत देश और दुनिया की महत्वपूर्ण एवं पुष्ट खबरें उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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रविवार, 13 अक्टूबर 2024

सरायकेला : मुरुप गांव में कल भक्त दहकते अंगारों पर चलकर दिखाएंगे हटभक्ति*

सरायकेला के मुरुप गांव में देवी वनदुर्गा के पूजा की तैयारी अंतिम चरण पर है. यहां मां वन देवी के प्रति भक्तों की अटूट श्रद्धा व विश्वास है. हर वर्ष यहां विजया दशमी के दूसरे दिन एकादशी को पूजा के लिये भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है. मां के प्रति भक्तों की आस्था कहिए या देवी वनदुर्गा की असीम कृपा, यहां मां वन दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्त कई तरह के हठभक्ति को प्रदर्शित करते है. यह आस्था व भक्ति आज नहीं बल्कि सदियों से चली आ रही है.
 *क्या कहते है प्रत्यक्षदर्शी* मुरुप गांव के रहने वाले हेमसागर प्रधान ने बताया कि गांव में स्थित दुर्गा मंदिर में स्थापित माता देवी वनदुर्गा की प्रतिमा की पूजा विधिवत दशमी से 16 दिन पहले शुरू हो जाती है. दशमी के बाद एकादशी के दिन यहां माता की भव्य पूजा अर्चना की जाती है. एकादशी के दिन, यानी इस साल 14 अक्टूबर को सुबह में स्थानीय जलाशय से जल देवी की पूजा अर्चना कर भक्तों द्वारा दंडी पाठ करते हुए मंदिर परिसर पहुंचेंगे. मंदिर पहुंचने से पहले भक्तों से लोग अपने घरों में परिवार की सुख शांति व समृद्धि के लिए पूजा अर्चना कराते हैं. इस दौरान भक्तों द्वारा मां को प्रसन्न करने के लिए कई आकर्षक करतब दिखाएंगे.

*अग्निकुंड पर चलते हैं भक्त, नहीं पड़ते छाले*
मंदिर परिसर में मां पाऊड़ी के समक्ष 20 फीट लंबा और दो फीट चौड़ा व गड्ढा खोदकर अग्निकुंड बनाया गया है. यहां देवी माता अग्नि देवी की पूजा अर्चना की जाती है. इस पूजा के बाद भक्त देवी को प्रसन्न करने के लिए दहकते अंगारों पर नंगे पांव दौड़ेंगे. देवी वनदुर्गा की असीम भक्ति की कृपा से इन भक्तों के पांव में छाले तक नहीं पड़ते हैं. 

मन्नत के अनुसार महिला व पुरुष अपने अराध्य देव को प्रसन्न करने के लिए कंटीले झाड़ियों पर लेटकर भक्ति की परीक्षा देते हैं. भक्तों के करतब को देखने के लिए हर साल यहां पड़ोसी जिला समेत आसपास के हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती हैं, जिसकी निगरानी श्री श्री शुभनाथ क्लब, मुरुप द्वारा की जाती है.

*देउरी द्वारा की जाती है पूजा*
सरायकेला के इस मंदिर में देवी वनदुर्गा की पूजा देउरी द्वारा की जाती है. मंदिर में कई साल से पुजारी के रूप में रामनाथ होता, यदुनंदन होता, गौर दास व कुथलु प्रधान व अन्य द्वारा पूजा कराई जा रही है.
 *क्या कहते है पुजारी*
*रामनाथ होता*(पुजारी) ने बताया कि माता की असीम कृपा के कारण माता के दरबार में भक्तों द्वारा सच्ची मन से मांगी गई हर मुरादें पूरी होती है. 
 *गौर दास* ( पुजारी)ने बताया कि देवी माता वनदुर्गा पर सच्ची आस्थापूर्वक नंगे पांव अंगारों पर चलने के बावजूद भक्तों के पांव में छाले नहीं पड़ते है. 
*कुथलु प्रधान* (पुजारी) ने बताया कि यहां एक ओर भक्त फरियाद लेकर मां के दरवार में अर्जी लगाने आते हैं, वहीं दूसरी ओर भक्त अपनी मन्नते पूरी होने पर मां को शुक्रिया अदा करने के लिए दरबार में पहुंचते हैं. इस अवसर पर भक्तों की भीड़ लग जाती है.