Advertisement

Advertisement

Advertisement

गुरुवार, 8 मई 2025

एनएसयू के शिक्षाशास्त्र विभाग द्वारा एनईपी 2020 विषय पर व्याख्यान सत्र का आयोजन

नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के सभागार में विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग के द्वारा एकदिवसीय अतिथि व्याख्यान सत्र का आयोजन किया गया। शिक्षाशास्त्र विभाग के द्वितीय और चतुर्थ सत्र के विद्यार्थियों के लिए आयोजित इस व्याख्यान सत्र में अतिथि वक्ता के रूप में जमशेदपुर सालबनी स्थित जेकेएम कॉलेज के प्राचार्य और जेकेएम ग्रुप ऑफ एडुकेशनल इंस्टीट्यूट के शिक्षण सलाहकार डॉ. आर श्रीकंठन नायर उपस्थित रहे। 
इस व्याख्यान सत्र के विषय में अधिक जानकारी देते हुए शिक्षाशास्त्र विभाग के प्राचार्य ने बताया कि इस व्याख्यान सत्र के आयोजन का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों और विद्यार्थियों के मध्य नई शिक्षा नीति 2020 में उल्लेखित भारतीय शिक्षण व्यवस्था में सांस्कृतिक मूल्यों की भूमिका को उजागर करते हुए शिक्षा में सांस्कृतिक मूल्यों की महत्व को स्थापित करना और शिक्षा जगत के व्यक्तियों में इस विषय से संबंधित अवधारणात्मक तथ्यों के प्रति गहरी समझ विकसित करना है। 
*भारत की मूल संस्कृति और पश्चिमी शिक्षा का कुशल संयोजन है भारतीय शिक्षण व्यवस्था- प्रो. आर. एस. नायर*
कार्यक्रम का शुभारम्भ द्वीप प्रज्जवलन के साथ किया गया जिसके पश्चात विभाग द्वारा अतिथि वक्ता को व्याख्यान सह संवाद सत्र के लिए निमंत्रित किया गया। "एनईपी-2020 के परिप्रेक्ष्य के अनुसार प्रशिक्षण में शिक्षकों के बीच सांस्कृतिक मूल्यों का संचरण और संरक्षण" के केंद्रीय विषय पर आधारित इस आख्यान सत्र में प्रो. नायर ने अपने वक्तव्य में कहा *भारत की सांस्कृतिक परंपरा अत्यंत समृद्ध है। भारत की शिक्षण पद्धति के विकास में इसका विशेष महत्व है। भारतीय शिक्षा क्षेत्र में पश्चिमी शिक्षण तकनीक के समागम से निश्चित ही भारतीय शिक्षण व्यवस्था में सकरात्मक लाभ प्राप्त हुए हैं। लेकिन इस तथ्य में कोई दो राय नहीं है कि किसी भी देश की शिक्षण संस्कृति के विकास में उस देश की मूल सांस्कृतिक कौशल का जितना योगदान हो सकता है उतना किसी और देश से आयातित संस्कृति से संभव नहीं है और अगर किसी और देश से आयातित शिक्षण संस्कृति का वर्चस्व मूल देश की देशज शिक्षण पद्धतियों को प्रतिस्थापित करता है तो इसके दूरगामी परिणाम स्वरूप उस देश की मूल संस्कृति ही समय के साथ नष्ट हो जाती है। भारत के संदर्भ में हम यह देखते हैं कि वर्त्तमान भारतीय शिक्षण पद्धति भारत की मूल सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक पश्चिमी शिक्षण तकनीक के कुशल संयोजन के साथ विकसित की जा रही है। नई शिक्षा नीति 2020 इसी मूल उद्देश्य की पूर्ति करता है।*

कार्यक्रम को नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. प्रभात कुमार पाणि ने भी संबोधित किया एवं विद्यार्थियों को नई शिक्षा नीति 2020 के विशेष प्रावधानों से अवगत करवाया। आज के इस व्याख्यान सत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव नागेंद्र सिंह, अकादमिक प्रकोष्ठ के अधिष्ठाता प्रो. दिलीप शोम, अनुशासन प्रकोष्ठ के अधिष्ठाता प्रो. नाजिम खान, परीक्षा नियंत्रक प्रो. मोईज़ अशरफ, विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षा विभाग के साथ-साथ अन्य विभागों के विद्यार्थी और संकाय सदस्य बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए।

0 Comments:

एक टिप्पणी भेजें