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Saubhagya Bharat News

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शनिवार, 6 सितंबर 2025

गांव डूबे, दिल रोये, अबतक इतनी चली गई जान…

बारिश और बाढ़ ने पंजाब की धरती को हिला दिया है। 23 जिलों के 1902 से अधिक गांव पानी की गिरफ्त में हैं। अब तक 43 जिंदगियां लील ली गईं। 

खेत, घर, मवेशी, सब जलराशि में समा गये। हर तरफ पानी ही पानी और उस पर तैरते हुये हैं लोगों के दर्द, आंखों की नमी और टूटते हुये सपने। हिमाचल के पहाड़ों पर बरसते बादलों ने भाखड़ा डैम का कलेजा भर दिया। जलस्तर खतरे की रेखा से महज एक फीट नीचे है। चारों फ्लड गेट खोल दिये गये। 85 हजार क्यूसेक पानी की रिहाई ने सतलुज किनारे बसे गांवों में दहशत मचा दी। रूपनगर से आनंदपुर साहिब तक गांव-गांव खाली कराया जा रहा है। मंत्री और DC खुद लोगों को ऊंचे स्थानों की ओर भेज रहे हैं।

लुधियाना में बांध कमजोर, सेना उतरी मोर्चे पर

ससराली कॉलोनी में बांध ने जवाब देना शुरू कर दिया। पानी की आहट से गांव वालों के दिल दहल उठे। कैबिनेट मंत्री और डीसी मौके पर पहुंचे। सेना और NDRF ने कमान संभाली है। बालू से भरी बोरियां, मशीनें और मानवश्रृंखला, सब मिलकर बांध को थामे हुये हैं। पंजाब के CM भगवंत मान ने हर प्रभावित गांव में एक-एक गजटेड अफसर तैनात किया है। ताकि पीड़ित सीधे अपनी समस्या कह सकें। भले ही वो खुद बीमारी के कारण नहीं पहुंच पाये, अरविंद केजरीवाल और मंत्री अमन अरोड़ा ने हालात का जायजा लिया। केंद्र से 2 हजार करोड़ के राहत पैकेज की मांग तेज हो गई है।


पठानकोट के पहाड़ भी दरके, बारिश ने यहां का सीना चीर दिया। शाहपुरकंडी डैम के पास सड़कें बंद है। चक्की खड्ड में पहाड़ गिरने से रास्ते ठप है। लोग फंसे हुये हैं, मदद की आस में नजरें टिकी हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद पानी में उतरे। अमृतसर के घोनेवाला गांव में पीड़ितों से मिले। डूबे खेतों, तबाह फसलों और टूटी उम्मीदों को देखा। उन्होंने साफ कहा, “प्रधानमंत्री मोदी बेहद चिंतित हैं, पंजाब अकेला नहीं है।” देश का अन्न भंडार पंजाब आज भूख के मुहाने पर खड़ा है। चार लाख एकड़ खेती बाढ़ में डूब चुकी है।





मंगलवार, 10 सितंबर 2024

Train owner: संपूर्ण सिंह बने थे ट्रेन मालिक ..वो भी एक किसान , पढ़े पूरी खबर ..

Train Owner: यह मामला 2007 का है. उस समय लुधियाना-चंडीगढ़ रेलवे लाइन के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण का काम चल रहा था. इस प्रक्रिया के तहत भारतीय रेलवे ने पंजाब के कटाना गांव के किसान संपूर्ण सिंह की जमीन का भी अधिग्रहण किया था.

 आपने कभी रतन टाटा, मुकेश अंबानी या गौतम अदाणी जैसे अरबपतियों को ट्रेन खरीदते हुए सुना है? नहीं न. यह भारत है और भारत चमत्कारों वाला देश है. इस देश में भले ही टाटा-अंबानी ने ट्रेन नहीं खरीदी हो, लेकिन एक आदमी ऐसा है, जिसने मुआवजे के तौर पर ट्रेन ही मांग लिया. रेलवे ने उसे देने से इनकार किया, तो अदालत का दरवाजा खटखटा दिया और थक-हारकर रेलवे ने उस आदमी को ट्रेन का मालिक ही बना दिया . उस आदमी का नाम संपूर्ण सिंह है और संपूर्ण सिंह पेशे से पंजाब के किसान हैं.

रेलवे के भेदभाव से नाराज संपूर्ण सिंह पहुंचे अदालत
स्क्रॉल डॉट इन की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला 2007 का है. उस समय लुधियाना-चंडीगढ़ रेलवे लाइन के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण का काम चल रहा था. इस प्रक्रिया के तहत भारतीय रेलवे ने पंजाब के कटाना गांव के किसान संपूर्ण सिंह की जमीन का भी अधिग्रहण किया था. शुरुआत में किसान संपूर्ण सिंह को रेलवे ने 25 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से जमीन का मुआवजा दिया. कुछ ही दिन बाद किसान संपूर्ण सिंह को पता चला कि बगल के गांव के किसानों को रेलवे ने 71 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया है. रेलवे के इस भेदभाव से संपूर्ण सिंह नाराज हो गए और उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया.

संपूर्ण सिंह ने अदालत में किया मुआवजे का दावा
संपूर्ण सिंह की ओर से साल 2012 में अदालत में दावा किया कि रेलवे के अधिकारियों ने उनकी जमीन के मुआवजे का करीब लगभग 1.05 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है. अदालत में करीब तीन साल तक सुनवाई चलने के बाद जनवरी 2015 में फैसला किसान संपूर्ण सिंह के पक्ष में आया. अदालत ने रेलवे को आदेश दिया कि वह मुआवजे की बाकी रकम का भुगतान जल्द ही कर दे. इसके साथ ही, अदालत ने मुआवजे की रकम बढ़ाकर 50 लाख रुपये प्रति एकड़ कर दी. फिर भी रेलवे ने मुआवजे की रकम किसान संपूर्ण सिंह को नही दी.


अदालत के आदेश पर ट्रेन को जब्त कर मालिक बने संपूर्ण सिंह
रेलवे की ओर से मुआवजे की रकम का भुगतान नहीं करने पर अदालत भी नाराज हो गया. मार्च 2017 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश जसपाल वर्मा ने अपने ऐतिहासिक फैसले में मुआवजे की बकाया रकम वसूलने के लिए दिल्ली-अमृतसर स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस के साथ-साथ लुधियाना के स्टेशन मास्टर का कार्यालय जब्त करने का आदेश दे दिया. अदालत का आदेश मिलते ही किसान संपूर्ण सिंह 15 मार्च 2017 को अदालत के आदेश की कॉपी लेकर लुधियाना स्टेशन पर पहुंच गए और 20 कोच वाली ट्रेन समेत स्टेशन मास्टर का कार्यालय जब्त कर लिया. ट्रेन जब्त करने के बाद किसान संपूर्ण सिंह कुछ समय के लिए उसका मालिक बन गए. मीडिया से बातचीत में संपूर्ण सिंह ने कहा था कि वे ट्रेन में सवार यात्रियों को परेशान नहीं करना चाहते थे, इसलिए उसे गंतव्य तक जाने दिया.

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