Advertisement

Advertisement

Advertisement

Saubhagya Bharat News

हम सौभाग्य भारत देश और दुनिया की महत्वपूर्ण एवं पुष्ट खबरें उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

Saubhagya Bharat News

हम सौभाग्य भारत देश और दुनिया की महत्वपूर्ण एवं पुष्ट खबरें उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

Saubhagya Bharat News

हम सौभाग्य भारत देश और दुनिया की महत्वपूर्ण एवं पुष्ट खबरें उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

Saubhagya Bharat News

हम सौभाग्य भारत देश और दुनिया की महत्वपूर्ण एवं पुष्ट खबरें उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

The Saubhagya Bharat

हम सौभाग्य भारत देश और दुनिया की महत्वपूर्ण एवं पुष्ट खबरें उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

Organic लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
Organic लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 10 सितंबर 2025

प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति द्वारा शरीर, मन और आत्मा के साथ तीन दोष वात, पित्त और कफ का संतुलन - मनोज कुमार चौधरी


सरायकेला: सरायकेला नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष सह क्षेत्र के सक्रिय समाजसेवी मनोज कुमार चौधरी एवं जिला आयुष पदाधिकारी डॉक्टर पूनम कुमारी द्वारा संयुक्त रूप से आयुष स्वास्थ्य शिविर का शुभारंभ किया

मौके पर संबोधित करते हुए श्री चौधरी ने कहा कि प्राचीन चिकित्सा पद्धति पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को जीवित रखने एवं आज की व्यस्ततम जिंदगी में नई पीढ़ी के लिए वरदान से कम नहीं क्योंकि एलोपैथिक दवाइयां में साइड इफेक्ट्स होते हैं एलोपैथिक उपचार की पद्धति और सिद्धांतों में आज तक कोई एकरूपता नहीं है। वास्तव में, एलोपैथिक चिकित्सा (जिसे आधुनिक या पश्चिमी चिकित्सा भी कहते हैं) एक साक्ष्य-आधारित प्रणाली है इसके उपचार के तरीके समय-समय पर बदलते रहते हैं जबकि आयुर्वेदिक पद्धति गहन अध्ययन की हुई एक प्रामाणिक पद्धति है जिसकी दवाइयां में साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं जहां एलोपैथिक दवाओं द्वारा असाध्याय रोगों का उपचार संभव नहीं है वही आयुर्वेदिक दवाइयां द्वारा असाध्य रोगों से मुक्ति संभव है प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों के अनेक लाभ हैं आयुर्वेद जैसी प्रणालियाँ प्रमाणिकता के साथ शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जो केवल बीमारी के लक्षण का इलाज करने के बजाय व्यक्ति के समग्र कल्याण को बढ़ावा देती हैं प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों द्वारा इलाज करना आयुष मंत्रालय भारत सरकार का एक सराहनीय कार्य है क्योंकि ये प्रणालियाँ सदियों से चली आ रही हैं, समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देती हैं, और आधुनिक विज्ञान के साथ मिलकर नई औषधियाँ खोजने के अवसर प्रदान करती हैं, हालांकि इनके ज्ञान का पूर्ण अन्वेषण और आधुनिक चिकित्सा के साथ एकीकरण आवश्यक है। आयुर्वेद और होम्योपैथी जैसी प्रणालियाँ आज भी प्रासंगिक हैं और शरीर, मन व आत्मा के अंतर्संबंध पर ज़ोर देती हैं। 



आयुष विभाग के तत्वावधान में मंगलवार को आयुष चिकित्सकों के द्वारा सरायकेला पब्लिक दुर्गा पूजा मैदान में शिविर लगाया गया। शिविर में ऑस्टियोआर्थराइटिस एंड मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर कैंप का आयुष पद्धति आयुर्वेद, होम्योपैथी एवं योग से आयुष चिकित्सकों द्वारा बीमारी की पहचान एवं दवा वितरण किया गया। पिछड़ी जनजातीय महिलाओं के मासिक धर्म के दौरान सफाई हेतु सैनिटरी पैड आदि का वितरण किया गया आयुष विभाग समय-समय पर मुफ्त स्वास्थ्य जांच, दवा वितरण, और स्वास्थ्य जागरूकता के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार के शिविरों का आयोजन करता है, जिसमें आयुर्वेद, होम्योपैथी और योग जैसी पद्धतियों का उपयोग किया जाता है। ये शिविर आम तौर पर राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत आयोजित होते हैं और इनका लक्ष्य ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना है। शिविर में मुख्य रूप से डीपीएम अलिप मिश्रा सीएचओ डॉक्टर सोनाली प्रगति सीएचओ डॉक्टर डिंपल कुमारी डॉ वरुण गिरी योग प्रशिक्षक राकेश साहू, विवेक अग्रवाल, रूपेश पुथाल, संतोष महतो, सरिता महतो, सादेश्वरी महतो एवं काफी संख्या में मरीज एवं सहिया उपस्थित थी




Breaking