सरायकेला : सरायकेला नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष सह सक्रिय समाजसेवी मनोज कुमार चौधरी में गोवंश की जगह कुत्तों की चर्चा पर चिंता जताई उन्होंने कहा कि गौमाता के स्थान पर रईसों की गोदी और उनके बेडरूम में रहने वाला कुत्ता आज सुप्रीम कोर्ट और देश की सुर्खी बन चुका है, गौमाता के देश में गौमाता पालने की जगह कुत्ता पालने का हस्श्र आज देश के सामने है
क्योंकि गौमाता काटती नहीं। गाय चिल्लाती नहीं। संगठित नहीं है। गौमाता का कोई गिरोह नहीं है। पुज्यनीय गौमाता के दूध से हमें पुष्टि मिलती है जन्म से मृत्यु जीवन पर्यंत गौमाता के दूध, दही, घृत मनुष्य का और गोबर-मूत्र से हमारा और धरती का पोषण करती है। इसलिए कोर्ट और अभिजात्य समाज की नजर में बेकार है निरर्थक है।
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उन्होंने कहा कि हमारा दुर्भाग्य है कि हमारे आर्यावर्त ऋषि मनीषियों प्राचीन उत्कृष्ट सभ्यता गौ, गंगा और गोदावरी के देश में आज गोवंश काफी दयनीय स्थिति में है गौ पालकों की घटती संख्या से गोवंश में काफी कमी चिन्ता का विषय होना चाहिए था मॉडर्न यांत्रिक कृषि के कारण कृषि कार्यों में बैल का उपयोग समाप्त हो गया है बैल वंश को समाप्त करने के लिए बेरहमी से उनका कत्ल जारी है वर्तमान देश से सारे बैल कहां गए किसी को भी चिंता नहीं है परंतु ये भी महत्वपूर्ण गंभीर चिंता का विषय होना चाहिए था परन्तु माननीय सुप्रीम कोर्ट और सभ्य समाज में कभी भी इस गंभीर विषय पर टिप्पणी या चिंतन करना उचित नहीं समझा मगर हास्यापद और दु:खद है जब हम सुनते और देखते हैं कि कुत्तों को लेकर सभ्य समाज से लेकर सुप्रीम कोर्ट को इसके लिए फैसला देना पड़ रहा है हमें कोई इतराज नहीं प्राणी किसी भी जीव जंतु से प्रेम कर सकता है डॉग लवर रहना अपनी पसंद है मगर जीवन पर्यंत हमारी उपयोगी गौ माता के संरक्षण और संवर्धन के लिए भी हमें गंभीर होना पड़ेगा।


उन्होंने आम जनों और माननीय सुप्रीम कोर्ट से विनम्र निवेदन किया कि कुत्तों की वकालत से पहले पूजनीय गौमाता का पालन पोषण और संरक्षण के विषय में महत्वपूर्ण कदम उठाएं।