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Saubhagya Bharat News

हम सौभाग्य भारत देश और दुनिया की महत्वपूर्ण एवं पुष्ट खबरें उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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रविवार, 20 जुलाई 2025

बहरागोड़ा:-एक पेड़ मां के नाम” – घाघरा में 76वां वन महोत्सव, सांसद-विधायक ने किया पौधारोपण, लगेगा 30 हज़ार पौधों का जंगल....


बहरागोड़ा संवाददाता



बहरागोड़ा प्रखंड के घाघरा गांव स्थित फुटबॉल मैदान में शनिवार को 76वां वन महोत्सव उत्साहपूर्वक मनाया गया। सामाजिक वानिकी प्रमंडल, आदित्यपुर के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सांसद विद्युत वरण महतो एवं विधायक समीर कुमार महंती शामिल हुए। कार्यक्रम की शुरुआत सांस्कृतिक स्वागत और दीप प्रज्वलन से हुई। अतिथियों को प्रतीक रूप में पौधे भेंट किए गए। सांसद ने दिया संदेश सांसद महतो ने कहा, “हर वर्ष मां के नाम एक पेड़ लगाना चाहिए। पेड़ों की कटाई से जलवायु संकट गहराता जा रहा है। हमें इसे जन आंदोलन बनाना होगा।” विधायक का आह्वान विधायक समीर महंती ने कहा, “वन महोत्सव को सामाजिक आंदोलन बनाएं। हर व्यक्ति 5 पौधे लगाए। जंगल कटने से हाथी गांवों की ओर आ रहे हैं, संतुलन जरूरी है।” 30 हज़ार पौधों का लक्ष्य वन प्रमंडल पदाधिकारी राजीव रंजन ने बताया कि घाघरा में 30,000 पौधे लगाए जाएंगे। स्थानीय लोगों की सहभागिता से यह क्षेत्र हरित वन बनेगा। सामूहिक शपथ और पौध वितरण मुखिया विधान चंद्र मांडी के संचालन में कार्यक्रम में पर्यावरण की शपथ दिलाई गई। ग्रामीणों को पौधे वितरित किए गए। इस अवसर पर कई अधिकारी, जनप्रतिनिधि और सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे। आयोजन का उद्देश्य ‘हरित झारखंड’ की ओर ठोस कदम बढ़ाना था।

पिता के हिस्सा मांगने पर पुत्र को डरने धमकाने के बाद देख लेने की बात कह रहे है अपने हे रिश्तेदार , थाने में दी है लिखित शिकायत

 

आदित्यपुर दिल्ली बस्ती वार्ड नंबर 16 अवैध रूप से सपन महतो के द्वारा अपने ही परिवार के सदस्य का हिस्सा को घेरा जा रहा है इसको लेकर शशि भूषण महतो ने आदित्यपर थाना में लिखित सूचना दी शशि भूषण महतो का कहना है हमारे परिवार का जमीन जायदाद का हिस्सा हो चुका है और हिस्सा होने के बाद सपन महतो और उसके परिवार के अन्य सदस्य द्वारा मेरे पिताजी का हिस्सा को घेरा जा रहा है हम लोग मना करने से भी नहीं सुन रहे हैं उल्टा हमें ही डराया धमकाया जा रहा है इसलिए आज में आदित्यपुर थाना में लिखित रूप से सूचना दी गई है







नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) पर एक आधारित कार्यशाला का आयोजन

नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के केंद्रीय सभागार में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) पर आधारित एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। भौतिकी विभाग और भूगोल विभाग द्वारा अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ और आईक्यूएसी के सहयोग से आयोजित किये गये इस कार्यशाला का केंद्रीय विषय "राजनीति से राग तक: आधुनिक शिक्षा के लिए प्राचीन भारतीय ज्ञान का सामंजस्य" निर्धारित किया गया था।

इस कार्यशाला में मुख्य वक्ताओं के रूप में डॉ. पारोमिता रॉय और डॉ. अशोक कुमार मंडल ने भारतीय ज्ञानकोष की विभिन्न जटिलताओं से संबंधित विभिन्न पक्षों से कार्यशाला में आए सहभागियों को अवगत करवाया।

*"एक स्वास्थ्य एक राष्ट्र" भारत में एक नीतिगत पहल है- डॉ. पारोमिता रॉय*

सर्वप्रथम कार्यशाला में अपना वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए डॉ. पारोमिता रॉय, सहायक प्रोफेसर, आरकेएमवीईआरआई, कोलकाता ने "कौटिल्य के अर्थशास्त्र में एक स्वास्थ्य की अवधारणा" के बारे में बताया। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से खूबसूरती से समझाया कि कैसे एक स्वास्थ्य में मृदा स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य, पर्यावरणीय स्वास्थ्य जैसे सभी मानदंड शामिल हैं और ये सभी मानव स्वास्थ्य से जुड़े हुए हैं और एक-दूसरे से भी जुड़े हुए हैं। प्राचीन कौटिल्य के अर्थशास्त्र में अच्छी तरह से समझाई गई यह अवधारणा आधुनिक युग में भी प्रासंगिक है।

 "एक स्वास्थ्य एक राष्ट्र" भारत में एक नीतिगत पहल है, जिसका उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य क्षेत्रों को एकीकृत करना है, विशेष रूप से एसडीजी 3, जो सभी आयु वर्गों के लोगों के लिए स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करने और कल्याण को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

*भारतीय वाद्ययंत्र भारतीय अस्मिता की पहचान- डॉ. अशोक कुमार मंडल*


इसके पश्चात कार्यशाला के दूसरे सत्र में डॉ. अशोक कुमार मंडल, सहायक प्रोफेसर, एनआईटी जमशेदपुर ने भारतीय तार वाद्य यंत्रों के विज्ञान पर एक व्याख्यान दिया।

यह एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला सत्र था जिसमें उन्होंने वाद्ययंत्रों को व्यवहारिक रूप से चित्रित करते हुए समझाया कि तार वाद्य यंत्रों में संगीत की विभिन्न आवृत्तियाँ कैसे उत्पन्न होती हैं। इस कार्यशाला में बी.ए. अंग्रेजी की छात्रा श्रबोना और बी.ए. भूगोल की छात्रा कामिनी द्वारा प्रस्तुत पारंपरिक और क्षेत्रीय नृत्यों ने इसके आकर्षक को और भी अधिक बढ़ा दिया।

कार्यशाला में विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ. प्रभात कुमार पाणि, आईक्यूएसी निदेशक, विभिन्न विभागों के डीन, विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य, शोधार्थी और विभिन्न संस्थानों व विश्वविद्यालयों से आए प्रतिभागियों की उपस्थिति ने इसे और भी रोचक और सार्थक बना दिया। कार्यशाला के समापन पर प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र प्रदान किए गए और आभार स्वरूप अतिथि वक्ताओं को सुंदर डोगरा कलाओं से सम्मानित किया गया।

सावन: आस्था, अनुशासन और शिव से जुड़ाव का पावन महीना

 


लेखक: आशीष सिंह

जनसंपर्क, इवेंट्स व ब्रांडिंग प्रोफेशनल, जमशेदपुर

भारत में वर्षा ऋतु केवल मौसम का परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत है। जब आकाश में काले बादल छाते हैं और धरती पर पहली बारिश गिरती है, तभी आरंभ होता है श्रावण—जिसे हम सावन के रूप में जानते हैं। यह पवित्र महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, जिन्हें त्याग, तपस्या और परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है।

सावन केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आस्था, आत्मशुद्धि और प्रकृति से जुड़ाव का महीना है। इस मास में हर सोमवार को विशेष महत्व दिया जाता है, जिसे सावन सोमवार व्रत कहा जाता है। श्रद्धालु उपवास रखते हैं, मंदिर जाते हैं और शिवलिंग पर जल, दूध व बेलपत्र अर्पित करते हैं, ताकि उन्हें सुख, शांति व मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त हो।



बेलपत्र, दूध और जल का महत्व क्या है?

हर पूजा-पद्धति का एक गहरा अर्थ होता है

बेलपत्र: भगवान शिव को अति प्रिय trifoliate पत्ते, जो उनके त्रिशूल का प्रतीक माने जाते हैं। यह पवित्रता, समर्पण और सादगी का प्रतीक है।

दूध से अभिषेक: शिवलिंग पर दूध अर्पित करने से उनकी उग्र ऊर्जा को शांत करने की भावना है। साथ ही यह आरोग्य, समृद्धि और आत्म-शुद्धि का संकेत है।

जल अर्पण: पवित्र नदियों से लाया गया जल शिवलिंग पर चढ़ाना नकारात्मक प्रभावों को दूर करने और कर्मशुद्धि का माध्यम माना जाता है।

सोमवार और व्रत का विशेष महत्व क्यों है?

सावन में उपवास करना आत्मनियंत्रण का अभ्यास है। विशेष रूप से सोमवार का दिन चंद्रमा (सोम) को समर्पित होता है, जो मन का स्वामी माना जाता है। शिव की पूजा मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करती है।


महिलाएं पति की दीर्घायु और अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति हेतु व्रत रखती हैं, वहीं पुरुष आत्मिक शक्ति व ज्ञान की प्राप्ति के लिए उपवास करते हैं।


सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण

सावन का एक और पहलू पर्यावरण से जुड़ा हुआ है। इस दौरान कई स्थानों पर वृक्षारोपण, जल संरक्षण और नदी स्वच्छता जैसे कार्य होते हैं। यह प्राचीन परंपराओं और आधुनिक जिम्मेदारियों के बीच सेतु का कार्य करता है।

निष्कर्ष नीचे पढ़ें 




सावन केवल परंपरा नहीं, संवेदनशील जुड़ाव का महीना है। शिव की पूजा के माध्यम से हम अपने भीतर के नकारात्मकता को समाप्त कर सकारात्मकता और ऊर्जा के साथ जीवन में आगे बढ़ने का संदेश प्राप्त करते हैं। यह एक ऐसा समय है जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है और जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझने का अवसर देता है।


इस आधुनिक समय में भी, सावन हमें सिखाता है कि "आध्यात्मिकता केवल एक धर्म नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है।"

बहरागोड़ा:-शनिवार देर रात को एनएच-18 पर दर्दनाक हादसा......

बहरागोड़ा संवाददाता 

बहरागोड़ा थाना क्षेत्र के शनिवार देर रात को एनएच-18 पर दर्दनाक हादसा.बहरागोड़ा महाविद्यालय के समीप डिवाइडर पर आराम कर रहीं दस गौमाताएं तेज़ रफ्तार गैस टैंकर {NH-01L-0259} की चपेट में आ गईं.मौके पर नौ गायों की मौत हो गई, जबकि एक घायल. घटनास्थल पर स्थित लोग ने कहें टैंकर टाटा से कोलकाता की ओर जा रहा था. घटना के बाद बहरागोड़ा थाना और बड़शोल थाना मौके पर पहुंची और गैस टैंकर {NH-01L-0259} जब्त कर कानूनी कार्रवाई की जुट गई है.