नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के केंद्रीय सभागार में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) पर आधारित एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। भौतिकी विभाग और भूगोल विभाग द्वारा अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ और आईक्यूएसी के सहयोग से आयोजित किये गये इस कार्यशाला का केंद्रीय विषय "राजनीति से राग तक: आधुनिक शिक्षा के लिए प्राचीन भारतीय ज्ञान का सामंजस्य" निर्धारित किया गया था।
इस कार्यशाला में मुख्य वक्ताओं के रूप में डॉ. पारोमिता रॉय और डॉ. अशोक कुमार मंडल ने भारतीय ज्ञानकोष की विभिन्न जटिलताओं से संबंधित विभिन्न पक्षों से कार्यशाला में आए सहभागियों को अवगत करवाया।
*"एक स्वास्थ्य एक राष्ट्र" भारत में एक नीतिगत पहल है- डॉ. पारोमिता रॉय*
सर्वप्रथम कार्यशाला में अपना वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए डॉ. पारोमिता रॉय, सहायक प्रोफेसर, आरकेएमवीईआरआई, कोलकाता ने "कौटिल्य के अर्थशास्त्र में एक स्वास्थ्य की अवधारणा" के बारे में बताया। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से खूबसूरती से समझाया कि कैसे एक स्वास्थ्य में मृदा स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य, पर्यावरणीय स्वास्थ्य जैसे सभी मानदंड शामिल हैं और ये सभी मानव स्वास्थ्य से जुड़े हुए हैं और एक-दूसरे से भी जुड़े हुए हैं। प्राचीन कौटिल्य के अर्थशास्त्र में अच्छी तरह से समझाई गई यह अवधारणा आधुनिक युग में भी प्रासंगिक है।
"एक स्वास्थ्य एक राष्ट्र" भारत में एक नीतिगत पहल है, जिसका उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य क्षेत्रों को एकीकृत करना है, विशेष रूप से एसडीजी 3, जो सभी आयु वर्गों के लोगों के लिए स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करने और कल्याण को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
*भारतीय वाद्ययंत्र भारतीय अस्मिता की पहचान- डॉ. अशोक कुमार मंडल*
इसके पश्चात कार्यशाला के दूसरे सत्र में डॉ. अशोक कुमार मंडल, सहायक प्रोफेसर, एनआईटी जमशेदपुर ने भारतीय तार वाद्य यंत्रों के विज्ञान पर एक व्याख्यान दिया।
यह एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला सत्र था जिसमें उन्होंने वाद्ययंत्रों को व्यवहारिक रूप से चित्रित करते हुए समझाया कि तार वाद्य यंत्रों में संगीत की विभिन्न आवृत्तियाँ कैसे उत्पन्न होती हैं। इस कार्यशाला में बी.ए. अंग्रेजी की छात्रा श्रबोना और बी.ए. भूगोल की छात्रा कामिनी द्वारा प्रस्तुत पारंपरिक और क्षेत्रीय नृत्यों ने इसके आकर्षक को और भी अधिक बढ़ा दिया।
कार्यशाला में विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ. प्रभात कुमार पाणि, आईक्यूएसी निदेशक, विभिन्न विभागों के डीन, विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य, शोधार्थी और विभिन्न संस्थानों व विश्वविद्यालयों से आए प्रतिभागियों की उपस्थिति ने इसे और भी रोचक और सार्थक बना दिया। कार्यशाला के समापन पर प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र प्रदान किए गए और आभार स्वरूप अतिथि वक्ताओं को सुंदर डोगरा कलाओं से सम्मानित किया गया।
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