बारिश और बाढ़ ने पंजाब की धरती को हिला दिया है। 23 जिलों के 1902 से अधिक गांव पानी की गिरफ्त में हैं। अब तक 43 जिंदगियां लील ली गईं।
खेत, घर, मवेशी, सब जलराशि में समा गये। हर तरफ पानी ही पानी और उस पर तैरते हुये हैं लोगों के दर्द, आंखों की नमी और टूटते हुये सपने। हिमाचल के पहाड़ों पर बरसते बादलों ने भाखड़ा डैम का कलेजा भर दिया। जलस्तर खतरे की रेखा से महज एक फीट नीचे है। चारों फ्लड गेट खोल दिये गये। 85 हजार क्यूसेक पानी की रिहाई ने सतलुज किनारे बसे गांवों में दहशत मचा दी। रूपनगर से आनंदपुर साहिब तक गांव-गांव खाली कराया जा रहा है। मंत्री और DC खुद लोगों को ऊंचे स्थानों की ओर भेज रहे हैं।
लुधियाना में बांध कमजोर, सेना उतरी मोर्चे पर
ससराली कॉलोनी में बांध ने जवाब देना शुरू कर दिया। पानी की आहट से गांव वालों के दिल दहल उठे। कैबिनेट मंत्री और डीसी मौके पर पहुंचे। सेना और NDRF ने कमान संभाली है। बालू से भरी बोरियां, मशीनें और मानवश्रृंखला, सब मिलकर बांध को थामे हुये हैं। पंजाब के CM भगवंत मान ने हर प्रभावित गांव में एक-एक गजटेड अफसर तैनात किया है। ताकि पीड़ित सीधे अपनी समस्या कह सकें। भले ही वो खुद बीमारी के कारण नहीं पहुंच पाये, अरविंद केजरीवाल और मंत्री अमन अरोड़ा ने हालात का जायजा लिया। केंद्र से 2 हजार करोड़ के राहत पैकेज की मांग तेज हो गई है।
पठानकोट के पहाड़ भी दरके, बारिश ने यहां का सीना चीर दिया। शाहपुरकंडी डैम के पास सड़कें बंद है। चक्की खड्ड में पहाड़ गिरने से रास्ते ठप है। लोग फंसे हुये हैं, मदद की आस में नजरें टिकी हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद पानी में उतरे। अमृतसर के घोनेवाला गांव में पीड़ितों से मिले। डूबे खेतों, तबाह फसलों और टूटी उम्मीदों को देखा। उन्होंने साफ कहा, “प्रधानमंत्री मोदी बेहद चिंतित हैं, पंजाब अकेला नहीं है।” देश का अन्न भंडार पंजाब आज भूख के मुहाने पर खड़ा है। चार लाख एकड़ खेती बाढ़ में डूब चुकी है।
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