पंजाब के मोगा के ‘न्यू थॉट क्लब’ ने एक ऐसा मुकाबला आयोजित किया, जिसने हर किसी को चौंका दिया। शर्त बस इतनी थी, कुछ मत करो। न मोबाइल, न खाना, न सोना, न इधर-उधर घूमना, बस एक जगह चुपचाप 31 घंटे बैठे रहना। आयोजक विक्रमजीत सिंह ने कहा, “मोबाइल ने रिश्तों, सेहत और मन, सब पर असर डाला है। यह प्रतियोगिता लोगों को खुद से दोबारा जोड़ने की कोशिश है।” प्रतिभागियों को फोन लाने की अनुमति नहीं, सोना मना, बाथरूम नहीं जाना, कोई गेम नहीं, झगड़ा नहीं, खाने-पीने की चीजें भी लाना मना। बस शांति और धैर्य, यही हथियार।
55 उतरे मैदान में, 4 पहुंचे फाइनल में कुल 55 प्रतिभागी मैदान में उतरे, लेकिन नियमों की सख्ती और सहनशक्ति की सीमा के कारण 51 बाहर हो गये।फाइनलिस्ट सतवीर सिंह, लवप्रीत सिंह, एक युवा प्रतिभागी एवं एक्स-सर्विसमैन सरबजीत सिंह को आयोजकों ने केवल पानी और केले दिये। उन्होंने किताबें पढ़ीं, गुरबानी का पाठ किया और खुद को शांत रखा। जब मुकाबला 33 घंटे पार कर गया, जजों ने सेहत को ध्यान में रखते हुये सतवीर सिंह और लवप्रीत सिंह को संयुक्त विजेता बना दिया। उन्हें बतौर ईनाम में 1 साइकिल, ₹3,500 नकद, 1 किलो देसी घी एवं तीसरे स्थान पर रहे चानन सिंह को ₹1,500 और 1 किलो देसी घी दिया गया। प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा करते हुये कहा कि यह ‘मन को सुकून देने वाला’ प्रतियोगिता रहा। 2 सेब और पानी में 33 घंटे निकाल देने वाले लवप्रीत सिंह ने कहा अद्भुत अनुभव था।” पूर्व सैनिक सरबजीत सिंह ने कहा “यह पहल युवाओं को मोबाइल की लत से दूर ले जाती है।” सतवीर सिंह ने कहा कि किताबें पढ़ने का समय मिला, मन शांत हुआ। प्रतियोगिता का संदेश साफ है कि कभी-कभी ‘खाली बैठना’ भी जरूरी है। मोगा की यह अनूठी प्रतियोगिता याद दिलाती है कि डिजिटल दुनिया से थोड़ी दूरी और खुद से थोड़ी नजदीकी मानसिक सेहत के लिये बेहद फ़ायदेमंद है।







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