संबंधवाता:-देबाशीष नायक {BAPI}
झारखंड सरकार के मत्स्य निदेशालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अंतर्गत कार्यरत सेंट्रल इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिआईएफआरआई), बैरकपुर कोलकाता के संयुक्त प्रयास से स्वर्णरेखा नदी में झींगा पालन की संभावनाओं का गहन अध्ययन किया गया।
इस महत्वपूर्ण अध्ययन का नेतृत्व सिआईएफआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एके दास ने किया। उनके साथ वरिष्ठ वैज्ञानिक सी.एम. राषिष्ठ, वैज्ञानिक कौशलेश और सहयोगी मनीष कुजूर भी उपस्थित रहे।
यह टीम पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा प्रखंड अंतर्गत गानूडीह बैराज के अन्तर्गत (जामशोला) पहुंची, जहां नरेगा योजना के तहत निर्मित झील व आसपास की नदी में सक्रिय महुआरों और स्थानीय मछुआरों द्वारा किए जा रहे झींगा शिकार और नदी की परिस्थिति का मूल्यांकन किया गया।
टीम ने जिला मत्स्य पदाधिकारी अलका पात्रा एवं मत्स्य प्रसार पदाधिकारी अमरेन्द्र कुमार वर्मा के सहयोग से झींगा, मछलियों और तलाब/नदी जल का सैंपल लिया। वैज्ञानिकों ने इन सैंपलों की सहायता से जल की गुणवत्ता और झींगा पालन की संभावनाओं का परीक्षण किया।
प्रारंभिक अध्ययन में यह संकेत मिला है कि स्वर्णरेखा नदी में झींगा पालन की पर्याप्त संभावनाएं हैं। इसके आधार पर आगे झारखंड सरकार के मत्स्य विभाग एवं सिआईएफआरआई एक संयुक्त कार्ययोजना तैयार करेंगे, जिससे स्थानीय मछुआरों को वैज्ञानिक पद्धति से झींगा पालन कर बेहतर आमदनी का अवसर प्राप्त हो सके।
यह पहल न केवल नदी किनारे बसे महुआरों के पारंपरिक पेशे को नया जीवन देगी, बल्कि उन्हें स्थायी और सम्मानजनक आजीविका भी प्रदान करेगी।


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