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मंगलवार, 8 जुलाई 2025

सरायकेला जिले के रापचा गांव से आईआईटी दिल्ली तक - दिव्यांग लखन महाली ने रच दिया इतिहास, देशभर में किया दूसरा स्थान हासिल

 

“कहते हैं, अगर हौसले बुलंद हों, तो कोई भी मुश्किल रास्ता मंज़िल बनने से रोक नहीं सकता। सरायकेला जिले के एक छोटे से गांव रापचा से निकलकर एक दिव्यांग आदिवासी छात्र ने देशभर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। लखन महाली – नाम है इस होनहार छात्र का, जिसने जेईई मेन्स परीक्षा में ST/SC-PWD कैटेगरी में देशभर में दूसरा स्थान हासिल कर, आईआईटी दिल्ली में कंप्यूटर साइंस जैसे कठिन कोर्स में दाखिला पाया है।

झारखंड के सरायकेला जिले के रापचा गांव के रहने वाले लखन महाली... दोनों हाथों में गंभीर विकलांगता, लेकिन इरादे इतने मजबूत कि देश के सबसे प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान IIT दिल्ली तक का सफर तय कर लिया। जेईई एडवांस ( JEE ADVANCED) जैसी कठिन परीक्षा में देशभर में ST/SC-PWD वर्ग में दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले लखन महाली आज लाखों छात्रों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं ।

लखन के माता-पिता ठेकेदारी में मजदूरी कर किसी तरह अपने चार बच्चों का पालन-पोषण करते हैं। लखन सबसे बड़ा है और हमेशा से पढ़ाई में अव्वल रहा है। विकलांगता के चलते लखन लंबे समय तक पेन तक नहीं पकड़ सकता था। हाथों में तेज़ दर्द होता था। लेकिन उसने हार नहीं मानी। टेक्नोलॉजी को अपना हथियार बनाया और डिजिटल टूल्स की मदद से पढ़ाई जारी रखी।

आज लखन को IIT दिल्ली में कंप्यूटर साइंस प्रोग्राम में दाखिला मिल चुका है। उसकी इस कामयाबी ने साबित कर दिया है – “अगर हौसले हों तो हालात मायने नहीं रखते।” रापचा जैसे छोटे से गांव से निकलकर देश की सबसे बड़ी तकनीकी यूनिवर्सिटी तक का सफर... ये सिर्फ एक छात्र की सफलता नहीं, बल्कि पूरे झारखंड और आदिवासी समाज की जीत है।








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