नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय ने 15 अगस्त, 2025 को भारत का 79वाँ स्वतंत्रता दिवस बड़े उत्साह, गर्व और देशभक्ति की गहरी भावना के साथ मनाया। विश्वविद्यालय के प्रशासनिक और शैक्षणिक पदाधिकारी, आमंत्रित गणमान्य अतिथि, संकाय सदस्य, शिक्षकेत्तर और गैर शिक्षकेत्तर कर्मचारी और बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय और नेताजी सुभाष पब्लिक स्कूल के विद्यार्थी इस समारोह में शामिल हुए।
राष्ट्र के वीरों के बलिदान का सम्मान करने और स्वतंत्रता एवं लोकतंत्र के मूल्यों पर चिंतन करने के लिए आयोजित इस उत्सव कार्यक्रम से विश्वविद्यालय परिसर जीवंत रंगों और एकता की भावना से सराबोर हो गया।
समारोह की शुरुआत विश्वविद्यालय के माननीय कुलाधिपति श्री मदनमोहन सिंह और कुलपति प्रो. डॉ. प्रभात कुमार पाणि द्वारा राष्ट्रगान के गायन के साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ शुरू हुआ। इस दौरान विश्वविद्यालय के गृह रक्षा वाहिनी के और अन्य सुरक्षा ईकाइयों ने सयुंक्त रूप से राष्ट्रीय झंडे को सलामी दी और नेताजी सुभाष पब्लिक स्कूल, पोखारी के विद्यार्थी बैंड ने राष्ट्रीय गीतों पर आधारित कई भावपूर्ण प्रस्तुतियां दीं।
अपने भाषण में कुलाधिपति ने राष्ट्र के भविष्य को आकार देने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और छात्रों से अनुशासन, नवाचार और राष्ट्र सेवा के आदर्शों को बनाए रखने का आग्रह किया। साथ ही 'आचार, व्यवहार और विचार' इन तीन मंत्रों को अपने जीवन में आत्मसात करने की प्रेरणा दी।
इसी क्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति ने अपने संबोधन में कहा *स्वतंत्रता केवल एक ऐतिहासिक उपलब्धि नहीं है—यह एक ज़िम्मेदारी है जिसका निर्वहन हम प्रतिदिन करते हैं। महान देशभक्त नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर स्थापित हमारा विश्वविद्यालय ऐसे छात्रों को विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है जो न्याय, समानता और प्रगतिशील भारत की भावना को बनाए रखेंगे।*
इस समारोह में अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ प्रस्तुत की गईं और स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा भाषण भी दिया गया। कार्यक्रम को विश्वविद्यालय के कुलसचिव नागेंद्र सिंह, प्रशासनिक अधिष्ठाता प्रो. नाजिम खान, मुख्य वित्त अधिकारी वाई ज्योति, परीक्षा नियंत्रक प्रो. मोईज़ अशरफ़, श्री मृत्युंजय झा और डॉ. आर.एन. शर्मा ने भी संबोधित किया।
नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में 79वाँ स्वतंत्रता दिवस न केवल भारत की स्वतंत्रता का उत्सव था, बल्कि एक प्रबुद्ध और सशक्त राष्ट्र के निर्माण के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि भी थी।