नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित *नेताजी सुभाष मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल* को औपचारिक मान्यता प्राप्त होने के बाद, आज विश्वविद्यालय के कुलाधिपति *माननीय श्री मदन मोहन सिंह* ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। इस प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि न केवल विश्वविद्यालय परिवार बल्कि पूरे झारखंड और आसपास के क्षेत्रों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है।
मेडिकल कॉलेज को मिली इस मान्यता से अब यहाँ पढ़ाई का संचालन *पूरी तरह से वैधानिक और व्यवस्थित* तरीके से हो सकेगा। छात्रों को वह सभी शैक्षणिक और व्यावहारिक सुविधाएँ मिलेंगी, जो एक राष्ट्रीय स्तर के मेडिकल संस्थान में अपेक्षित होती हैं। श्री सिंह ने कहा कि “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हर विद्यार्थी को पूर्ण समर्पण और अनुशासन के साथ शिक्षित किया जाए। चिकित्सा शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानवीय संवेदनाओं और सेवा भाव से जुड़ी है। हमारा उद्देश्य सिर्फ डॉक्टर बनाना नहीं, बल्कि ऐसे डॉक्टर तैयार करना है जो समाज की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहें।”
छात्रों के लिए समर्पित वातावरण: कॉलेज प्रशासन ने यह स्पष्ट किया कि प्रत्येक छात्र पर *व्यक्तिगत ध्यान* दिया जाएगा। कक्षा शिक्षण के साथ-साथ *प्रैक्टिकल ट्रेनिंग, क्लिनिकल एक्सपोज़र और लैब आधारित सीख* पर विशेष फोकस रहेगा।
*अनुशासन* को शिक्षा का आधार बनाया जाएगा।
*फैकल्टी और अनुभवी डॉक्टर* विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ जीवन के मूल्यों से भी जोड़ेंगे।
*प्रैक्टिकल अनुभव* के लिए हॉस्पिटल की सुविधाओं का सीधा लाभ छात्रों को मिलेगा।
कुलाधिपति श्री सिंह ने कहा कि संस्थान में यह परंपरा बनाई जाएगी कि हर विद्यार्थी को एक *मेंटॉर* उपलब्ध हो, जो उसकी पढ़ाई और व्यक्तित्व विकास दोनों पर मार्गदर्शन करे।
अनुशासन और प्रैक्टिकल अनुभव पर जोर: कॉलेज में पढ़ाई के साथ-साथ छात्रों को रोगियों के बीच काम करने का अवसर मिलेगा। डॉक्टरों की टीम यह सुनिश्चित करेगी कि विद्यार्थी केवल सैद्धांतिक ज्ञान तक सीमित न रहें, बल्कि उन्हें *मरीजों से संवाद, निदान प्रक्रिया और इलाज की गहराई* समझने का अवसर मिले।
“एक अच्छा डॉक्टर वही है जो किताबों से परे जाकर इंसानियत को समझे और सेवा के भाव से काम करे। हमारे कॉलेज का यही लक्ष्य है।” – श्री सिंह
सस्ती फीस और छात्रावास की सुविधा: कॉलेज प्रशासन ने साफ किया कि यहाँ की फीस संरचना को *आम जनमानस की पहुंच में रखा गया है।* इससे यह सुनिश्चित होगा कि आर्थिक कारणों से कोई भी मेधावी छात्र चिकित्सा शिक्षा से वंचित न रह जाए।
इसके साथ-साथ, *छात्रावास (Hostel)* की भी बेहतर सुविधा उपलब्ध कराई गई है। छात्र और छात्राएँ सुरक्षित, स्वच्छ और अनुशासित वातावरण में रहकर पढ़ाई कर सकेंगे।
डॉक्टर्स का सहयोग और मेहनत: प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी बताया गया कि मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर, शिक्षण के साथ-साथ छात्रों को वास्तविक जीवन के केस स्टडीज़ से अवगत कराएँगे। इस प्रकार छात्रों को मिलेगा:
*ऑपरेशन थिएटर* का अनुभव
*इमरजेंसी वार्ड* का प्रशिक्षण
*नवीनतम तकनीक* का उपयोग
रोगियों की देखभाल में *मानवीय दृष्टिकोण*
भविष्य की योजनाएँ: कॉलेज केवल डॉक्टर बनाने तक सीमित नहीं रहेगा। यहाँ **रिसर्च, इनोवेशन और हेल्थकेयर सेवाओं** को भी बढ़ावा दिया जाएगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह भी संकेत दिया कि आने वाले समय में कॉलेज में –
*अत्याधुनिक प्रयोगशालाएँ (Labs)*
*सुपर स्पेशलिटी विभाग*
*अंतरराष्ट्रीय स्तर की रिसर्च सुविधाएँ*
*सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रम*
स्थापित किए जाएँगे, जिससे विद्यार्थी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।
मरीजों और समाज के लिए योगदान: कुलाधिपति ने कहा कि मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल केवल छात्रों के लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी समर्पित होगा। कॉलेज से जुड़े डॉक्टर और विद्यार्थी *मुफ़्त स्वास्थ्य शिविर, ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा जागरूकता और गरीबों के लिए उपचार सुविधाएँ* उपलब्ध कराएँगे।
“नेताजी सुभाष मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल सिर्फ़ एक शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि यह समाज के लिए सेवा का केंद्र होगा। यहाँ से निकलने वाले विद्यार्थी न केवल सफल डॉक्टर बनेंगे, बल्कि सशक्त और संवेदनशील इंसान भी बनेंगे।”इस प्रकार, मेडिकल कॉलेज को मिली मान्यता ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक नई उम्मीद जगाई है। छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, अनुशासित वातावरण, सस्ती फीस और व्यावहारिक प्रशिक्षण का अवसर मिलेगा। वहीं, समाज को मिलेगा ऐसे डॉक्टरों का सहयोग, जो सिर्फ पेशेवर नहीं, बल्कि संवेदनशील और सेवाभाव से प्रेरित होंगे।