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बुधवार, 8 अक्टूबर 2025

चाडील: “रन फॉर गजराज” के बाद जंगल में प्लास्टिक का अंबार, ग्रामीण बोले – वन विभाग खुद फैला रहा प्रदूषण!

वन विभाग के पर्यावरण संरक्षण के दावे अब सवालों के घेरे में हैं।दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी में आयोजित “रन फॉर गजराज मैराथन” के बाद मैदान और जंगलों में प्लास्टिक की बोतलें, डिस्पोजेबल ग्लास और कचरे का ढेर बिखरा पड़ा है।


ग्रामीणों का आरोप है कि जिस विभाग का दायित्व पर्यावरण की रक्षा करना है, वही खुद प्रदूषण फैलाने में आगे है।


स्थानीय लोगों के अनुसार, वन विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में हजारों लोग शामिल हुए थे। कार्यक्रम खत्म होने के बाद सफाई की कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गई।अब पूरा इलाका प्लास्टिक और कचरे से पटा पड़ा है।

आदिवासी बुद्धिजीवियों और ग्रामीणों ने वन विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग दिखावे के कार्यक्रमों के नाम पर जंगलों को प्रदूषित कर रहा है।

एक ओर जहां “जंगल बचाओ” के नारे लगाए जाते हैं, वहीं दूसरी ओर खुद जंगल में प्लास्टिक फैला कर वन्य जीवों की जान खतरे में डाली जा रही है।

ग्रामीणों का कहना है कि गज परियोजना शुरू होने के बाद दलमा के हाथियों ने जंगल छोड़ दिया है।

भोजन और सुरक्षा की कमी के चलते अब ये हाथी ईचागढ़ क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं।

लोगों ने सवाल उठाया है कि इको सेंसिटिव ज़ोन के नाम पर जहां स्थानीय आदिवासी परिवारों को घर बनाने से रोका जा रहा है, वहीं वन विभाग खुद जंगल काटकर इको-टूरिज्म को बढ़ावा दे रहा है।

वन विभाग पर लगे ये आरोप बेहद गंभीर हैं।करोड़ों की योजनाओं के बावजूद जंगलों से वन्यजीवों का पलायन और बढ़ता प्लास्टिक प्रदूषण दोनों ही चिंता का विषय बन गए हैं।

अब देखना यह होगा कि क्या विभाग इन आरोपों की जांच करेगा, या फिर पर्यावरण संरक्षण की बातें सिर्फ कागज़ों पर ही सीमित रह जाएंगी।






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