सरायकेला प्रखण्ड अन्तर्गत मुरुप पंचायत व आस पास गाँव के लोगों ने रौशनी और उमंगों का पर्व दिवाली हर्षोल्लास पूर्वक मनाया।
इस अवसर पर लोगों ने जमकर आतिशबाजी की , जिसकी ध्वनि गाँव में गूंजता रहा। वहीं स्थानीय युवा सामाजिक कार्यकर्ता हेमसागर प्रधान ने आतिशबाजी का बहिष्कार किया और उन्होंने एक आकाशीय लालटेन उड़ाया। जिसमें "आतिशबाजी छोड़ों, पर्यावरण बचाओ" का एक संदेश भी चिपकाया। इसके साथ साथ उन्होंने गाँव में लोगों के बीच "आतिशबाजी छोड़ों, पर्यावरण बचाओ" पर जागरुकता अभियान चलाया और लोगों को आतिशबाजी से होनेवाली हानि के बारे में बताया।
उन्होंने बताया कि दिवाली पर्व में आतिशबाजी का इस्तेमाल एक पुरानी परंपरा है, लेकिन इसका हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है। अतः आतिशबाजी को छोड़कर हम अपने पर्यावरण को बचा सकते हैं।
उन्होंने इस लालटेन के माध्यम से पंचायत के लोगों को संदेश दिया है कि ये आकाशीय लालटेन लोगों के जीवन में हर अंधेरे को दूर करे और सफलता की नई ऊंचाइयों तक ले जाए।
बता दें कि मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान श्रीराम 14 वर्षों के वनवास से अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। तभी से यह पर्व दीपों के उत्सव यानी दिवाली के रूप में मनाया जाता है। यह न केवल रौशनी का पर्व है बल्कि दिवाली प्रेम, आनंद और नई शुरुआत का प्रतीक भी होती हैं। मान्यता है कि यह दिन सभी के जीवन में नई उम्मीदें, सकारात्मक ऊर्जा और प्रकाश को लेकर आता है।
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