श्रीनाथ विश्वविद्यालय, जमशेदपुर में सोमवार को राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) का प्रवेश समारोह पूरे उत्साह और गरिमा के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर ने छात्रों में सेवा भावना, सामाजिक उत्तरदायित्व और राष्ट्र निर्माण के प्रति समर्पण की भावना को और भी प्रबल किया। समारोह ने न केवल नव-नामांकित स्वयंसेवकों के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत की, बल्कि विश्वविद्यालय परिवार के लिए भी यह गौरव और प्रेरणा का क्षण बना।
इस विशेष आयोजन में भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के *मेरा युवा भारत* के जिला युवा अधिकारी श्री मोंटू पातर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि एनएसएस केवल एक कार्यक्रम नहीं बल्कि जीवन जीने का एक आदर्श है, जो युवाओं को निस्वार्थ सेवा, अनुशासन और समाज की बेहतरी के लिए काम करने की दिशा देता है। उन्होंने नव-नामांकित स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि वे सेवा कार्यों को केवल औपचारिकता न मानें, बल्कि पूरे दिल से समाज के हर वर्ग तक अपनी सकारात्मक भूमिका निभाएं।
समारोह का सबसे महत्वपूर्ण क्षण तब आया जब नव-नामांकित स्वयंसेवकों को एनएसएस का बैज पहनाकर उनके कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की औपचारिक शुरुआत की गई। यह बैज उनके लिए केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, सेवा और राष्ट्रहित में योगदान का संकल्प है।
विश्वविद्यालय की एनएसएस समन्वयक सुश्री शालिनी ओझा और उनकी पूरी टीम ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। उनके अथक प्रयासों के कारण ही यह आयोजन सुव्यवस्थित और प्रेरणादायी रहा। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती रूबी संतरा ने आकर्षक और ऊर्जावान अंदाज में किया, जिससे पूरे समारोह में उत्साह का संचार बना रहा। वहीं, श्री अजीत मुर्मू ने एक विशेष वृत्तचित्र प्रस्तुति के माध्यम से एनएसएस के पूर्व कार्यक्रमों, सामाजिक अभियानों और उपलब्धियों को साझा किया, जिसने उपस्थित लोगों को संगठन की वास्तविक ताकत और योगदान से अवगत कराया।
इस अवसर पर वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि एनएसएस के माध्यम से युवा केवल सेवा कार्यों में ही भाग नहीं लेते, बल्कि वे नेतृत्व, अनुशासन और टीम वर्क जैसे जीवन मूल्यों को भी आत्मसात करते हैं। यह अनुभव उन्हें न केवल एक बेहतर छात्र बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में आगे बढ़ाता है।
समारोह के अंत में सभी उपस्थित अतिथियों, शिक्षकों और विद्यार्थियों ने एक स्वर में यह संकल्प लिया कि वे समाज में व्याप्त चुनौतियों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता अभियानों में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
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