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Saubhagya Bharat News

हम सौभाग्य भारत देश और दुनिया की महत्वपूर्ण एवं पुष्ट खबरें उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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The Saubhagya Bharat

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शुक्रवार, 5 सितंबर 2025

अचार खराब होने से बचाना है? अपनाएं ये ज़रूरी टिप्स

घर का बना अचार सिर्फ खाने का स्वाद नहीं बढ़ाता, बल्कि बचपन की यादों और मां के हाथों का स्वाद भी संजोए रखता है। आम, नींबू, मिर्च या आंवले का अचार हर किसी को पसंद आता है, लेकिन कई बार उस पर फफूंद (खराब) लगने से सारी मेहनत बेकार हो जाती है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, अचार में फफूंद लगने की मुख्य वजह गलत स्टोरेज, गंदे बर्तन या हाथों का इस्तेमाल और नमक-तेल की कम मात्रा होती है।

अचार में फफूंद लगने की वजहें:

अचार में सिरका या नींबू की कमी से बैक्टीरिया पनपते हैं।

गीले हाथ या गंदे चम्मच से अचार निकालने पर बैक्टीरिया पहुंच जाते हैं।

बार-बार गर्म और ठंडी जगह पर रखने से जार में नमी बनने लगती है, जिससे फफूंद लग जाती है।


अचार को सुरक्षित रखने के उपाय:

पर्याप्त मात्रा में नमक और सरसों का तेल डालें।

अचार को ठंडी और छांव वाली जगह पर रखें।

समय-समय पर अचार की जांच करें और धूप दिखाएं।

अचार को कांच या चीनी मिट्टी के बर्तन में रखें।


कितने दिन तक सुरक्षित रहता है अचार?

नींबू और आम का अचार 1–2 साल तक चलता है।

हरी मिर्च, गाजर और गोभी का अचार 2–3 महीने के भीतर खा लेना चाहिए।


क्या फ्रीज में रखा जा सकता है?

जी हां, फ्रीज में रखने से हरी मिर्च और सब्जियों वाले अचार जल्दी खराब नहीं होते, जबकि आम और नींबू का अचार सूखी व ठंडी जगह पर रखना बेहतर होता है।






बाढ़ से हुए नुकसान के आकलन के लिए केंद्र सरकार ने गठित की इंटर-मिनिस्ट्रियल टीम

 केंद्र सरकार ने जम्मू क्षेत्र में बाढ़ से प्रभावित जिलों का दौरा करने के लिए एक इंटर-मिनिस्ट्रियल टीम नियुक्त की है। यह टीम हाल की बारिश के कारण हुए नुकसान का आकलन करेगी।



पत्रकारों को धमकाने पर रु. 50,000 जुर्माना, 24 घंटे के अंदर जेल- मोदी

 लखनऊ: भारत में पत्रकारिता संकट के दौर से गुजर रही है।

सच की आवाज को बुलंद करने वाले पत्रकारों पर दिनोंदिन हमले तेज होते जा रहे हैं। भारत को पत्रकारों की सुरक्षा के लिहाज से बेहद खतरनाक देशों की रैंक में रखा गया है। देश में हर साल सैकडों पत्रकार रिपोर्टिंग करते वक्त अपनी जान गंवा देते हैं। न्यूज कवर करते समय पत्रकारों को डराना-धमकाना आम बात हो गई है।

लेकिन अब पत्रकारों को इस तरह की धमकियां देने वालों की खैर नहीं। अगर अब किसी ने पत्रकारों से अभद्रता की तो उसे जेल जाना पड़ सकता है। 

इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और पीएम नरेंद्र मोदी ने घोषणा कर दी है कि जो पत्रकारों से अभद्रतापूर्वक व्यवहार करेगा या धमकाने की कोशिश करेगा उस पर 

*50 हजार रुपये तक का जुर्माना*

लगाया जा सकता है। साथ ही उसे तीन साल तक की जेल भी हो सकती है, योगी ने कहा कि धमकी के आरोप में गिरफ्तार लोगों को आसानी से जमानत नहीं मिलेगी। 

इसलिए पत्रकारों से किसी भी प्रकार की अभद्रता न करें और पत्रकारों को सम्मान दें। पिछले दिनों महाराष्ट्र में मीडियाकर्मियों पर किसी भी तरह की हिंसा या मीडियाकर्मियों एवं मीडिया संस्थानों की संपत्तियों का नुकसान पहुंचाया गया था पत्रकारों पर हमलों के अधिकांश मामले सामने आते ही रहते है। सीएम योगी आदित्यनाथ का कहना है कि अगर किसी पत्रकार को किसी भी तरह की परेशानी होती है तो उनसे तुरंत संपर्क करे धमकाने वाले व्यक्ति को 24 घंटे के अंदर जेल भेजा जाएगा। सीएम योगी ने सख्त लहजे में कहा पत्रकारों से मान सम्मान से बात करिए वर्ना आपको महंगा पड़ सकता है।






भारतीय क्रिकेटर अमित मिश्रा ने लिया संन्यास, सचिन तेंदुलकर से भी लंबा रहा क्रिकेट का सफर

भारतीय क्रिकेट टीम के अनुभवी लेग स्पिनर अमित मिश्रा ने क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट से संन्यास का एलान कर दिया है। 


उन्होंने 25 साल के क्रिकेट करियर को अलविदा कहा। हालांकि, वह अब दुनिया के अन्य टी20 लीगों में खेल सकते हैं।




ट्रेन में REELS देखने को लेकर रेलवे ने लागू किये सख्त नियम

भारत में ट्रेन सफर के दौरान शांति बनाए रखने के लिए रेलवे ने खास नियम बनाए हैं। अब ट्रेन में बिना हेडफोन गाने सुनना, तेज आवाज में वीडियो चलाना या फोन पर स्पीकर ऑन करके बात करना नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।

रेलवे एक्ट, 1989 के मुताबिक, इस तरह शांति भंग करने पर रेलवे पुलिस यात्री को चेतावनी दे सकती है, उस पर 500 से 1000 रुपए तक जुर्माना लगाया जा सकता है और जरूरत पड़ने पर उसे ट्रेन से उतारा भी जा सकता है।

रात 10 बजे के बाद नियम और सख्त हो जाते हैं। इस दौरान तेज आवाज में बात करना, गाने सुनना या लाइट जलाए रखना मना है। केवल नाइट लाइट जलाई जा सकती है।

यदि कोई बार-बार नियम तोड़ता है या रेलवे स्टाफ से बहस करता है तो उसके खिलाफ केस दर्ज कर जेल की सजा (6 महीने तक) भी हो सकती है।

रेलवे का कहना है कि इन नियमों का मकसद सभी यात्रियों को सफर के दौरान आराम और शांति देना है।





बोकारो : DMFT फंड घोटाले का सनसनीखेज खुलासा, पूर्व डीसी विजया जाधव पर गंभीर आरोप

बोकारो : DMFT फंड में हुए 500 करोड़ रुपये के भारी घोटाले ने तहलका मचा दिया है। इस मामले में तत्कालीन डीसी विजया जाधव पर पद का दुरुपयोग करने, अनियमित भुगतान करने और निजी एजेंसियों को भारी लाभ पहुंचाने के गंभीर आरोप लगे हैं।


51 लाख रुपये की नकदी गोला से बरामद होने के बाद शुरू हुई जांच अब घोटाले की गुत्थी सुलझा रही है। बोकारो के डीसी ने मामले की जांच डीडीसी को सौंपी है, जिसमें जल्द ही पूरी रिपोर्ट सामने आने की उम्मीद है।

आरोप है कि टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताएं की गईं, असली कीमत से कई गुना अधिक भुगतान हुआ, घटिया गुणवत्ता के सामान खरीदे गए और बिना प्रबंधकीय समिति की मंजूरी के बिलों का भुगतान किया गया।

रांची, हजारीबाग समेत कई बड़ी कंपनियों को करोड़ों रुपये के भुगतान का खुलासा हुआ है, जिसमें NATIONAL CO-OPERATIVE CONSUMER FEDRETIONS OF INDIA LTD., SAMSKARA, TRINETRA ENTERPRISES जैसे नाम शामिल हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह घोटाला 2024-25 और 2025-26 के वित्तीय वर्ष में भी जारी रहा, इसलिए डीएमएफटी विभाग का ऑडिट आवश्यक हो गया है।

बोकारो की जनता अब कड़े और पारदर्शी जांच की मांग कर रही है ताकि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिल सके।

क्या होगा इस घोटाले की अगली कहानी? सभी की नजरें जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं।






टाटानगर से गुजरने वाली कई ट्रेनें परिवर्तित मार्ग से चलेगी

आसनसोल रेल मंडल के दुर्गापुर स्टेशन में 08 से 20 सितंबर तक ईआई केबिन और यार्ड रीमॉडलिंग कार्य के लिए प्री एनआई और एनआई कार्य किया जाएगा। 

इस वजह से दक्षिण पूर्व रेलवे ने चक्रधरपुर रेल मंडल के टाटानगर से गुजरने वाली चार ट्रेनों को विभिन्न तिथियाें में परिवर्तित मार्ग से चलाने की घोषणा कर दी है। ज्ञात हो कि परिवर्तित मार्ग से चलने वाली ट्रेनें दूसरे दिन टाटानगर स्टेशन से गुजरती है। ये ट्रेनें इन तिथियों में परिवर्तित मार्ग से चलेगी08 और 15 सितंबर को ताम्बरम से खुलने वाली ट्रेन नंबर ट्रेन नंबर 15629 ताम्बरम- सिलघाट टाउन नागांव एक्सप्रेस मौजूदा मार्ग आसनसोल, अंडाल, दुर्गापुर, साइंथिया स्टेशनाें के बजाए परिवर्तित मार्ग आसनसोल, अंडाल, साइंथिया स्टेशन होकर सिलघाट टाउन स्टेशन तक चलेगी।




खरसावां की तूड़ियान एफसी ने दमदार प्रदर्शन कर अर्जुना कप जीता, सीनी की टीम 4–0 से पराजित

 झारखंड फुटबॉल एसोसिएशन के निर्देशानुसार सरायकेला - खरसावां जिला स्पोर्ट्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित जिला फुटबॉल सुपर लीग अर्जुना कप के तहत आज खेले गए फाइनल मुकाबले में तूड़ियान एफ सी खरसावां ने माहिर एफ सी सीनी की टीम को 4-0 से पराजित कर वर्ष 2025 के जिला फुटबॉल लीग अर्जुना कप का विजेता होने का गौरव हासिल किया। मैच के पहले हाफ के चौथे मिनट में विजय गोप ने पहला गोल दाग कर अपनी टीम को बढ़त दिलाई। मैच के 8 वें मिनट में करण तीयू, 32 वें मिनट में कुंवर सिंह हेंब्रम ने गोल दाग कर अपनी टीम को पहले हाफ में 3-0 से बढ़त दिला दी। मैच के दूसरे हाथ में ही माहिर एफ सी के टीम ने कुछ अच्छे प्रयास किए लेकिन असफल रही। मैच के 64 में मिनट में तूड़ियान के आशीष गोप ने मैच का अंतिम गोल दाग कर अपनी टीम की जीत सुनिश्चित कर ली।

वर्ष 2025 के जिला फुटबॉल लीग का समापन समारोह सह पुरस्कार वितरण 15 सितंबर को अर्जुना स्टेडियम में 16 टीमों के मध्य आयोजित कोल्हान कप फुटबॉल प्रतियोगिता से होगा। 

आज के मैच में रेफरी की भूमिका बिरेन पॉल, संतोष महतो, विशाल गोप एवं समीर महतो ने निभाई। इसके पूर्व आज मैच का शुभारंभ डी एस ए सचिव मोहम्मद दिलदार, पिनाकी रंजन, मुखिया मंगल जामूदा, उप मुखिया, राजेश महतो, दुर्योधन प्रामाणिक, बलराम महतो ने खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त कर किया।







हिमाचल के चंबा में मणिमहेश कैलाश: पंच कैलाशों में एक, शिव भक्तों का पवित्र तीर्थ

हिमाचल प्रदेश राज्य के चम्बा ज़िले के भरमौर क्षेत्र में 4,190 मीटर की ऊँचाई परमणिमहेश झील स्थित है।इसी सरोवर की पूर्व की दिशा में है वह पर्वत जिसे कैलाश कहा जाता है। इस हिमाच्छादित शिखर की ऊंचाई समुद्र तल से करीब 5653 मीटर है। 

अगस्‍त_सितंबर के दौरान पवित्र मणिमहेश झील हजारों तीर्थयात्रियों से भर जाता है।झील में पहला पवित्र स्नान कृष्ण जन्माष्टमी होता है । यहीं पर सात दिनों तक चल ने वाले मेला का आयोजन भी किया जाता है। यह मेला जन्‍माष्‍टमी के दिन समाप्‍त होता है। जिस तिथि को यह उत्‍सव समाप्‍त होता है उसी दिन भरमौर के प्रधान पूजारी मणिमहेश डल के लिए यात्रा प्रारंभ करते हैं। 

कैलाश चोटी (5653 मीटर) के ठीक नीचे से मणीमहेश गंगा का उदभव होता है। इस नदी का कुछ अंश झील से होकर एक बहुत ही खूबसूरत झरने के रूप में बाहर निकलती है। पवित्र झील की परिक्रमा (तीन बार) करने से पहले झील में स्‍नान करके संगमरमर से निर्मित भगवान शिव की चौमुख वाले मूर्ति की पूजा अर्चना की जाती है। कैलाश पर्वत की चोटी पर चट्टान के आकार में बने शिवलिंग का इस यात्रा में पूजा की जाती है। 

मणिमहेश कैलाश को "पंच कैलाशों" में से एक माना जाता है । कैलाश चोटी के नीचे एक बहुत बड़ा हिमाच्‍छादित मैदान है जिसको भगवान शिव के क्रीड़ास्‍थल 'शिव का चौगान' के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि यहीं पर भगवान शिव और देवी पार्वती क्रीड़ा करते हैं। वहीं झील के कुछ पहले जल का दो स्रोत है। इसको "शिव क्रोत्रि" और "गौरि कुंड" के नाम से जाना जाता है । गौरीकुंड माता गौरी का स्नान स्थल है। यात्रा करने वाली महिलाएं यहां स्नान करती हैं। यहां से करीब डेढ़ किलोमीटर की सीधी चढ़ाई के बाद मणिमहेश झील तक पहुंचा जाता है 

चौरसिया मंदिर का नाम इसके परिसर में स्थित 84 छोटे-छोटे मंदिरों के आधार पर रखा गया है। यह मंदिर भरमौर या ब्रह्मपुरा नामक स्‍थान में स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार 84 योगियों ने ब्रह्मपुरा के राजा साहिल बर्मन के समय में इस जगह भ्रमण करते‍ हुए आए थे। राजा बर्मन के आवभगत से अभिभूत होकर योगियों ने उनको 10 पुत्र रत्‍न प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। 

 एक दूसरी धारणा के अनुसार एक बार भगवान शिव 84 योगियों के साथ जब मणिमहेश की यात्रा पर जा रहे थे तो कुछ देर के लिए माता "भरमाणी" देवी की वाटिका में रुके। इससे देवी नाराज हो‍ गईं लेकिन भगवान शिव के अनुरोध पर उन्‍होंने योगियों के लिंग रूप में ठहरने की बात मान ली। कहा जाता है इसके बाद यहां पर इन योगियों की याद में चौरसिया मंदिर का निर्माण कराया गया। जबकि एक और मान्‍यता के अनुसार जब 84 योगियों ने देवी के प्रति सम्‍मान प्रकट नहीं किया तो उनको पत्‍थर में तब्‍दील कर दिया गया। भगवान शंकर ने माता भरमाणी को वरदान दिया कि मणिमहेश यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा तभी पूर्ण होगी जब श्रद्धालु सर्वप्रथम माता भरमाणी के दर्शन करेंगे। भरमाणी में स्थापित " ब्रह्मकुंड" कुंड स्नान कर मणिमहेश की यात्रा पूर्ण मानी जाती है। कहा जाता है कि मणिमहेश यात्रा के लिए चौरासी मंदिर के दर्शन भी जरूरी हैं।  6000 फुट की ऊंचाई पर स्थित हड़सर से मणिमहेश के लिए पैदल यात्रा शुरू होती है।

हड़सर से मणिमहेश डल झील की दूरी 13 किलोमीटर है। मणिमहेश झील को "डल झील" के नाम से भी जाना जाता है। यह झील 4190 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

मणिमहेश में अष्ट्मी का मेला, भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष की अष्टमी को लगता है, जिसे "राधा अष्टमी" भी कहते हैं। मणिमहेश यात्रा जन्माष्टमी से शुरू होकर राधाष्टमी के स्नान के साथ समाप्त होती है। इस दिन हजारों तीर्थयात्री पवित्र झील में डुबकी लगाने आते हैं, और भगवान शिव इस यात्रा के मुख्य देवता हैं।

मणिमहेश से जुड़ी मुख्य कथाएँ और किंवदंतियाँ

*शिव का निवास:

मणिमहेश को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है, और इसके शिखर पर एक चमकता हुआ रत्न होता है, जो एक दिव्य प्रकाश उत्सर्जित करता है। यह माना जाता है कि भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह के बाद मणिमहेश की रचना की थी, और पर्वत पर स्थित मणि को "शिव का रत्न" माना जाता है।मणिमहेश में कैलाश पर्वत के पीछे जब सूर्य उदय होता है तो सारे आकाश मंडल में नीलिमा छा जाती है और किरणें नीले रंग में निकलती हैं। मान्यता है कि कैलाश पर्वत में नीलमणि का गुण-धर्म है, जिनसे टकराकर सूर्य की किरणें नीले रंग में रंगती हैं।

*चरवाहे और भेड़ों की कहानी:

एक स्थानीय किंवदंती के अनुसार, एक गडरिये ने अपनी भेड़ों के साथ मणिमहेश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की. वह अपने झुंड के साथ एक गडरिये के पत्थर में बदल गया और मुख्य शिखर के आसपास की छोटी चोटियों को चरवाहे और भेड़ों के अवशेष माना जाता है।

*साँप की कथा:

एक और किंवदंती के अनुसार, एक साँप ने भी मणिमहेश पर चढ़ने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहा और पत्थर में बदल गया. 

*अजेय पर्वत:

माना जाता है कि मणिमहेश कैलाश अजेय है. जो भी इसे चढ़ने की कोशिश करता है, वह या तो पत्थर में बदल जाता है, या फिर भगवान के नाराज होने के कारण खराब मौसम के कारण फंस जाता है।

*धन्छो का झरना:

धन्छो झरने से जुड़ी एक और कहानी है। कहा जाता है कि भस्मासुर नामक राक्षस भगवान शिव को नष्ट करने के लिए उनके पीछे गया था। शिव छिपने के लिए झरने के पीछे एक गुफा में चले गए। भगवान विष्णु के हस्तक्षेप से भस्मासुर उस झरने को पार करने में असमर्थ रहा और मारा गया। तब से, लोग धनछो के झरने की पूजा करते हैं। 

शिव चेलों द्वारा "डल तोड़ने की प्रथा", मणिमहेश यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहाँ वे राधाष्टमी के पवित्र स्नान की शुरुआत करते हैं। त्रिलोचन महादेव के वंशज माने जाने वाले ये शिव चेले, डल झील की परिक्रमा करते हैं और फिर झील का जल बढ़ाना शुरू होता है, जिसके बाद भक्त डुबकी लगाते हैं और "चतुर्मुखी" शिवलिंग की पूजा करते हैं।








प्रवीण सिंह की पुण्यतिथि पर 75 गरीब परिवारों को मिला सहारा, सुखा राशन का वितरण

सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल प्रखंड में पूर्व विधायक अरविंद कुमार सिंह के भाई स्वर्गीय प्रवीण कुमार सिंह की पुण्यतिथि पर जरूरतमंदों की मदद की गई। काली मंदिर स्थित गोल्डन रिसॉर्ट के संस्थापक दिनेश बगड़िया ने प्रवीण सिंह के पुण्यतिथि के मौके पर 75 गरीब परिवारों के बीच सुखा राशन वितरित किया। इसमें चावल, दाल, आटा, तेल और मसाले जैसी आवश्यक सामग्री शामिल रही।

यह वितरण कार्यक्रम आसनबनी पंचायत के सालतल और कान्दरबेड़ा में पहाड़िया एवं माहली परिवारों के बीच किया गया।

ग्रामीणों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि गरीबों की सेवा करना ही सच्ची श्रद्धांजलि है। आयोजकों ने भी आश्वस्त किया कि भविष्य में इस तरह के सामाजिक कार्य लगातार जारी रहेंगे।








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