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Saubhagya Bharat News

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बुधवार, 10 सितंबर 2025

CCL को नुकसान पहुंचाने वाले सात अपराधी अब सलाखों के पीछे, SP क्या बोले

हज़ारीबाग़ (चरही) : हजारीबाग के चरही में देश की रत्न कंपनी CCL को तगड़ा नुकसान पहुंचाने वाले सात संदेही गुनहगारों को पुलिस ने सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। गिरफ्तार बदमाशों के नाम इमदाद रजा, सचीन कुमार रविदास, अफसर वारिस, छोटन कुमार रविदास, साहिल रजा, गणेश यादव और सुनिल कुमार दास बताये गये। सभी की उम्र 18 से 24 साल के बीच है। इन लोगों में इमदाद रजा, अफसर वारिस और साहिल रजा हजारीबाग के रहने वाले हैं। बाकी के चार संदेही का घर कोडरमा के तिलैया और चंदवारा में है। इन लोगों के पास से पुलिस ने छह पीस जिंदा गोली, तीन चाकू, टीपीसी का सात पीस पर्चा, एक बोलेरो, 2 पीस टीपीसी का लेटरपैड और छह मोबाइल जब्त किया है। इन लोगों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है। इस बाता का खुलासा हजारीबाग के पुलिस कप्तान अंजनी अंजन ने मीडिया के सामने किया।

एसी अंजनी अंजन ने बताया कि चरही थाना क्षेत्र के उत्तरी तानिप स्थित CCL क्षेत्र के व्यू प्वाइंट पर 24 अगस्त 2025 को आगजनी की गयी थी। इस घटना में 8 से 10 की संख्या में पहुंचे अपराधियों ने आउटसोर्सिंग कंपनी की तीन हाईवा और तीन पोकलेन मशीनों को पेट्रोल छिड़ककर फूंक डाला था। घटना के बाद पूरे इलाके में दहशत फैल गई थी। घटना की गंभीरता को देखते हुए सुरक्षा प्रभारी की लिखित शिकायत पर चरही थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई। मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया गया। टीम तफतीश में जुट गयी। इसी दरम्यान पुलिस कप्तान अंजनी अंजन को इंफॉर्मेशन मिली कि चरही थाना क्षेत्र के तापिन नॉर्थ 44 नंबर जंगल में कुछ अपराधी इकट्ठा होकर किसी बड़ी वारदात की योजना बना रहे हैं। सूचना मिलते ही SIT एक्टिव हुई और बताये गये लोकेशन पर रेड मारी। पुलिस ने मौके से सात बदमाशों को धर दबोचा है। पूछताछ के दरम्यान इन लोगों ने बीते 24 अगस्त को CCL की गाड़ियों को फूंक डालने की बात कबूल की। इसके अलावा इसी साल के 10 फरवरी को चरही थाना क्षेत्र के चलिया टांड जंगल में तीन ट्रैक्टर जलाने की भी बात कबूल की। गिरफ्तार सभी बदमाशों को सलाखों के पीछे भेज दिया गया है।






195 एकड़ में इकोलॉजिकल पार्क बनकर तैयार, CM करेंगे उद्घाटन, कब और कहां…?

जमशेदपुर : झारखंड का जमशेदपुर जिला अब पर्यटन मानचित्र पर नई पहचान बनाने जा रहा है। चाकुलिया प्रखंड के अमलागोड़ा रोड पर 195 एकड़ में फैला विशाल इकोलॉजिकल पार्क तैयार हो चुका है। आने वाले अक्टूबर के पहले सप्ताह में CM हेमंत सोरेन इसका उद्घाटन करेंगे। यह केवल एक पार्क नहीं, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य, आधुनिक सुविधाओं और सांस्कृतिक महत्व का संगम है।

23 करोड़ रुपये की लागत से बना पार्क:

करीब 23 करोड़ रुपये की लागत से बने इस इकोलॉजिकल पार्क का निर्माण कार्य चाकुलिया के रेंजर दिग्विजय सिंह की देखरेख में बेहद कम समय में पूरा किया गया। वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी… सचिव से लेकर पीसीसीएफ तक इसे देख चुके हैं और इसकी सराहना कर चुके हैं। इस परियोजना ने न केवल क्षेत्र को नया स्वरूप दिया है बल्कि विकास और पर्यटन के नए अवसर भी खोल दिए हैं।


पार्क के अंदर कदम रखते ही बदल जाएगी दुनिया: पार्क में प्रवेश करते ही हरियाली और सुकून का एहसास होता है। हर उम्र के लोगों के लिए यहां कुछ-न-कुछ खास मौजूद है।


चार म्यूजिकल फव्वारे पर्यटकों का मन मोह लेते हैं।

बोटिंग क्लब और तैराकी की सुविधा रोमांच प्रेमियों के लिए खास है।

नवग्रह पार्क और शिव कुंड धार्मिक महत्व का अनुभव कराते हैं।

कैक्टस गार्डन, रोज गार्डन और औषधीय पौधों का उद्यान प्रकृति प्रेमियों को करीब से देखने का मौका देते हैं।

सफेद और लाल चंदन का वन अपने आप में अनोखा है, जो इस क्षेत्र को विशेष बनाता है।

बच्चों के लिए चिल्ड्रन पार्क, बुजुर्गों के लिए सीनियर सिटीजन जोन, और ठहरने के लिए रेस्ट हाउस इसे पूर्ण पर्यटन स्थल बनाते हैं।

पर्यावरण और शिक्षा का संगम

रेंजर दिग्विजय सिंह कहते हैं… “यह पार्क केवल मनोरंजन का स्थान नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण शिक्षा और धार्मिक महत्व का भी केंद्र बनेगा। यहां आने वाले लोग प्रकृति के बेहद करीब महसूस करेंगे और तनाव भूल जाएंगे।” पार्क में लगे औषधीय पौधे और संरक्षित वृक्ष आने वाली पीढ़ियों को पर्यावरण के महत्व से अवगत कराएंगे।


भौगोलिक स्थिति का लाभ: चाकुलिया की स्थिति इसे और भी खास बनाती है। यह स्थान ओडिशा और बंगाल की सीमा से सटा हुआ है। ऐसे में यहां तीनों राज्यों से पर्यटक आसानी से पहुंच सकते हैं। आने वाले दिनों में यह जगह न सिर्फ़ झारखंड, बल्कि पूरे पूर्वी भारत का पर्यटन हब बन सकती है।


रोजगार और स्थानीय विकास : इतने बड़े पार्क के तैयार होने से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। कैंटीन, बोटिंग क्लब, गाइड सर्विस, परिवहन और होटल व्यवसाय को नई रफ्तार मिलेगी। स्थानीय लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी।


भविष्य की तस्वीर: पार्क की शुरुआत के साथ ही पूर्वी सिंहभूम जिला पर्यटन का नया केंद्र बनेगा। यहां न केवल सैर-सपाटा होगा बल्कि परिवारों के लिए पिकनिक, विद्यार्थियों के लिए शैक्षणिक भ्रमण और बुजुर्गों के लिए सुकून भरे पल बिताने का अवसर मिलेगा।


चाकुलिया का यह इकोलॉजिकल पार्क झारखंड को एक नई पहचान देने जा रहा है। यह जगह मनोरंजन, शिक्षा, धार्मिक आस्था और रोजगार… चारों का संगम बनकर उभरेगी। अक्टूबर से यहां का हर कोना पर्यटकों की भीड़ से गुलजार रहने की उम्मीद है।







उत्तराखंड में हाहाकार, चारों ओर तबाही....

उत्तराखंड में मानसून का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य में अब भी आपदा जैसे हालात बने हुए हैं। जनपद उत्तरकाशी में गंगोत्री और यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) लगातार भूस्खलन के चलते बंद पड़े हैं।

गंगोत्री हाईवे 15 घंटे से बंद: धरासू नालूपानी के पास गंगोत्री हाईवे पर बड़े-बड़े बोल्डर गिरने से मार्ग पिछले 15 घंटे से अवरुद्ध है। इसके अलावा हेल्गुगाड़ और थिराग के पास भी हाईवे पिछले तीन दिनों से बंद है। इससे यात्रियों और स्थानीय लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है।

यमुनोत्री मार्ग 17 दिन से बाधित : यमुनोत्री NH-134 पर सिलाई बैण्ड, बनास और जंगलचट्टी में पिछले 17 दिनों से यातायात पूरी तरह बंद है। इसके चलते 12 गांवों का संपर्क टूट गया है। ग्रामीणों को रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी कठिनाई झेलनी पड़ रही है।

संचार और इंटरनेट सेवा ठप: लगातार भूस्खलन से सड़कों के साथ-साथ संचार सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं। सोमवार शाम से जिले में नेटवर्क और इंटरनेट सेवा बाधित है।

मौसम विभाग का अलर्ट: मौसम विभाग ने देहरादून, उत्तरकाशी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा और चम्पावत जिलों में आज भी भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। वहीं चमोली जिले में अब भी 36 मोटर मार्ग बाधित हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें सबसे बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। PWD और PMGSY की टीमें सड़कों को खोलने में जुटी हुई हैं।

रुद्रप्रयाग में पहाड़ दरकने का खतरा: रुद्रप्रयाग जिले के बसुकेदार क्षेत्र में आपदा राहत कार्य जारी है। इसी बीच तालजामन गांव के पास पहाड़ी दरकने की भयावह तस्वीरें सामने आईं। करीब एक मिनट तक पहाड़ से बड़े-बड़े बोल्डर लुढ़कते रहे और धूल का गुबार फैल गया। हालांकि, इस घटना में कोई जनहानि नहीं हुई।






कैंसर से जंग जीतने के बाद संजय दत्त ने याद किया संघर्ष और राकेश रोशन का साथ

सुपरस्टार संजय दत्त 80 से 90 के दशक में बड़े पर्दे पर छाए रहते थे. 66 साल की उम्र में भी संजू बाबा लगातार फिल्मी दुनिया में एक्टिव हैं. बॉलीवुड के साथ-साथ अब संजय दत्त साउथ के मेकर्स की भी पसंद बने हुए हैं. हालांकि सुपरस्टार अपनी निजी जिंदगी को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. उन्होंने काफी बुरा वक्त देखा है. साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान उन्हें स्टेज 4 कैंसर का पता चला था, हालांकि उस वक्त उन्हें विदेश का वीजा नहीं मिल रहा था. फिर फिल्ममेकर राकेश रोशन ने उनकी मदद की थी। 

संजय दत्त ने अपने कई इंटरव्यू के दौरान बताया है कि कैसे राकेश रोशन (जो खुद कैंसर से उबर चुके हैं) ने उन्हें एक अच्छा डॉक्टर ढूंढने में मदद की थी. हालांकि लंबे समय तक कैंसर से लड़ने के बाद खुद एक्टर ने घोषणा की थी कि अब वह कैंसर मुक्त हैं. इस खबर के सामने आने के बाद फैन्स के बीच खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी। 

 

सांस फील रही थी, फेफड़ों में पानी भर गया था,एक पॉडकास्ट पर बात करते हुए संजय दत्त ने एक बार अपनी ज़िंदगी के मुश्किल दौर को याद किया. उन्होंने कहा, “लॉकडाउन में वो एक आम दिन था. जब मैं सीढ़ियां चढ़ रहा था, तो मेरी सांस पूरी तरह से फूल रही थी. मैंने नहाया, सांस नहीं ले पा रहा था, और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है, इसलिए मैंने अपने डॉक्टर को बुलाया. एक्स-रे में मेरे आधे से ज़्यादा फेफड़े पानी से भरे हुए थे. उन्हें पानी निकालना पड़ा. सबको उम्मीद थी कि ये टीबी है, लेकिन पता चला कि ये कैंसर है।

उन्होंने आगे कहा, “मुझे यह कैसे बताया जाए, यह एक बड़ी चुनौती थी. मैं किसी का चेहरा तोड़ सकता था. तो मेरी बहन मुझे बताने आई. मैंने कहा, ‘ठीक है, मुझे कैंसर हो गया, अब क्या?’ फिर आप चीज़ें प्लान करने लगते हैं, जैसे ये-वो करना. लेकिन मैं दो-तीन घंटे से ज़्यादा रोया क्योंकि मैं अपने बच्चों, अपनी ज़िंदगी, अपनी पत्नी और हर चीज़ के बारे में सोच रहा था. ये पल मेरे जहन में आया और मैंने कहा, मैं कमज़ोर नहीं पड़ूंगा। 

राकेश रोशन ने मुश्किल वक्त में दिया साथ : इसी बातचीत के दौरान संजय दत्त ने बताया कि अमेरिकी वीज़ा रिजेक्ट होने के बाद राकेश रोशन ने उनके इलाज के लिए एक अच्छा डॉक्टर ढूंढ़ने में उनकी मदद की थी. साल 2018 में फिल्ममेकर भी गले के कैंसर से जूझ चुके थे. संजय ने आगे बताया, “उन्होंने मुझे बताया कि मेरे बाल झड़ जाएंगे और कुछ और भी होगा, और मुझे उल्टी भी होगी, इसलिए मैंने डॉक्टर से कहा, ‘मेरे को कुछ नहीं होगा’, यानी मेरे बाल नहीं झड़ेंगे, उल्टी नहीं होगी, या मैं बिस्तर पर नहीं लेटूगा, और वह मुस्कुरा दीं. मैंने अपनी कीमोथेरेपी पूरी की और जब मैं वापस आया, तो मैं एक घंटे तक अपनी बाइक पर बैठा और साइकिल चलाता रहा, जैसा कि मैं हर दिन करता था।





लालू यादव ने परिवार संग विष्णुपद मंदिर में अपने पितरों के मोक्ष की कामना की

गया: बिहार के गया जी में विश्व प्रसिद्ध मोक्ष नगरी गया जी में पितृपक्ष मेला पूरे उल्लास और आस्था के साथ चल रहा है। इसी क्रम में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव अपनी पत्नी एवं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, पुत्र और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव तथा पुत्रवधू राजश्री के साथ गया पहुंचे। पूरे परिवार ने आस्था और परंपरा के अनुसार विष्णुपद मंदिर का दर्शन किया।

विष्णुपद मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने के बाद लालू यादव ने मंदिर परिसर स्थित 16 वेदी के समीप अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना हेतु विधि-विधान से पिंडदान किया। इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार से पूरा परिसर गुंजायमान हो उठा। कहा जाता है कि गया जी में पिंडदान करने से पितरों को तृप्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। लालू यादव के साथ मौजूद पूरा परिवार इस धार्मिक अनुष्ठान में शामिल हुआ और श्रद्धा के साथ अपने पूर्वजों को तर्पण अर्पित किया। पितृपक्ष मेले के अवसर पर लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से यहां पहुंचते हैं। ऐसे में लालू परिवार की मौजूदगी ने श्रद्धालुओं का ध्यान भी आकर्षित किया। मौके पर स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो। यहां आने के बाद लालू यादव ने कहा कि गया जी पितरों के मोक्ष की भूमि है और हर वर्ष यहां पिंडदान का अलग ही महत्व है। उन्होंने पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए समाज और परिवार में सुख-समृद्धि की कामना भी की।




सोशल मीडिया कम्पैक्ट : कौन हैं ये रैपर बालेन्द्र , काठमांडू में लोग इस युवा मेयर को सौंपना चाहते हैं नेपाल की कमान!

काठमांडू: नेपाल में कल जो कुछ हुआ, उसने बता दिया कि लोगों के लिए सोशल मीडिया की आजादी क्या मायने हैं. यही वजह है कि भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन को लेकर जब जेन जी का गुस्सा नेपाल की सड़कों पर फूटा तो सरकार की चूलें हिल गई. देर रात तक ये भी खबर आ गई है कि नेपाल सरकार ने युवाओं के हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश सोमवार को वापस ले लिया.

लेकिन तब तक तक नेपाल में प्रतिबंध के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में कम से कम 19 स्थानीय लोगों की मौत हुई और 300 से अधिक घायल हो चुके थे. इस बीच सोशल मीडिया पर एक नाम जिसकी खूब चर्चा हो रही है, वो हैं मेयर बालेंद्र शाह, जिन्हें लोग प्यार से 'बालेन' कहते हैं.

*आखिर क्यों चर्चा में मेयर बालेंद्र*

नेपाल में तमाम सोशल मीडिया, खासकर फेसबुक के पोस्ट बालेन के समर्थन से अटे पड़े हैं, जिसमें लोग मेयर बालेन से इस्तीफा देकर राष्ट्रीय नेतृत्व संभालने की मांग कर रहे हैं. जेन जी अपनी टाइमलाइन पर "प्रिय बालेन, अभी नहीं तो फिर कभी नहीं लिखकर उन्हें एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने और देश को नई दिशा देने की गुजारिश कर रहे हैं. दरअसल इन सभी का मानना है कि नेपाल की तीन प्रमुख पारंपरिक पार्टियों के नेताओं ने देश को निराशा के गर्त में धकेला है. इसलिए अब वो समय है कि बालेन जैसे युवा और ईमानदार नेता सामने आएं और देश की तरक्की की राह को खोले.




Breaking News: राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने भी इस्तीफा दिया

 Breaking: नेपाल में स्थिती बद से बदतर होते जा रही है. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने भी इस्तीफा दे दिया है.



BREAKING: भारी विरोध के बीच नेपाल छोड़ दुबई भाग सकते हैं PM ओली, स्‍टैंडबाई पर प्‍लेन, सूत्रों के ह‍वाले से बड़ी खबर

नेपाल में तख्तापलट के संकट गहराते जा रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाने के फैसले को लेकर ओली सरकार के खिलाफ युवाओं ने राजधानी काठमांडू में Gen-Z प्रदर्शन आयोजित किया, जो कि धीरे-धीरे हिंसक प्रदर्शन में तब्दील हो गया।



इस प्रदर्शन में अभी तक 19 लोगों के मारे जाने की खबर सामने आई है, जबकि सैंकड़ों की संख्या में लोग घायल हो गए।

वहीं इस प्रदर्शन के बाद मंत्रियों के इस्तीफे का सिलसिला शुरू हो गया है। सरकार के कई मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है इसके अलावा, यह भी खबर सामने आई है कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली देश छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। वो देश छोड़कर दुबई जाने की तैयारी में हैं। बेकाबू हो रहे प्रदर्शनकारियों को देखते हुए काठमांडू की सड़कों पर सेनाओं को तैनात कर दिया गया है।

*19 लोगों की मौत, कई जगह आगजनी*

सोमवार को हुई हिंसा में 19 लोग मारे गए थे और नेपाली पुलिस पर फायरिंग का आरोप है। इससे गुस्सा और भड़का हुआ है। नेपाली युवाओं ने मंगलवार को कई नेताओं के घरों में आग लगा दी। अब तक होम मिनिस्टर, कृषि मंत्री समेत तीन नेताओं का इस्तीफा हो चुका है। कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी का इस्तीफा हुआ है। इसके अलावा सोमवार को ही होम मिनिस्टर रमेश लेखक ने पद छोड़ दिया था। लेकिन यह चर्चा जोरों पर है कि देश के पीएम ही नेपाल से निकल
सकते हैं।







करिश्मा कपूर के बच्चों ने पिता की प्रॉपर्टी के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

नई दिल्ली । बॉलीवुड अभिनेत्री करिश्मा कपूर के बच्चों ने अपने पिता संजय कपूर की संपत्ति में हिस्सेदारी के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। इसमें उन्होंने सौतेली मां प्रिया कपूर पर वसीयत बदलने का आरोप लगाया है।

संजय कपूर और करिश्मा कपूर के बच्चों (समायरा कपूर और कियान कपूर) ने इस याचिका में खुद को संजय कपूर का कानूनी उत्तराधिकारी होने के नाते हर संपत्ति में पांचवां हिस्सा देने की मांग की है। बता दें कि संजय कपूर अपने पीछे करीब 30 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति छोड़ गए हैं।

इस याचिका में कहा गया है कि उनकी सौतेली मां प्रिया ने संजय की वसीयत में जालसाजी की है। वादी पक्ष का कहना है कि उनके पिता की वसीयत कानूनी और वैध दस्तावेज नहीं है, बल्कि जाली है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि यही वजह है कि उनको वसीयत की मूल प्रति अभी तक दिखाई नहीं गई है और न ही उसकी कॉपी उन्हें दी गई है।







चाय में सबसे पहले क्या डालें पत्‍ती, चीनी या दूध? 90% लोग गलत तरीके से बनाते हैं चाय, जान‍िए डालने और पकाने का सही समय

नयी दिल्ली :सुबह की नींद खुलते ही सबसे पहले अगर किसी चीज की तलब लगती है, तो वो है एक कप गरमा गर्म चाय. दिमाग तरोताजा करने से लेकर थकान दूर करने तक, चाय हमारे लाइफस्टाइल का हिस्सा बन चुकी है.

ऑफिस जाते वक्त हो या दोस्तों के साथ गपशप का टाइम, चाय हर मौके को खास बना देती है. भारत में तो चाय सिर्फ एक ड्रिंक नहीं बल्कि इमोशन है, तभी तो बहुत से लोगों का दिन चाय के बिना शुरू ही नहीं होता. कुछ तो ऐसे भी हैं जो रात को सोने से पहले भी चाय पीना नहीं भूलते. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चाय का स्वाद इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे किस तरह से बनाते हैं? जी हां, चाय पत्ती, चीनी और दूध डालने का सही समय ही तय करता है कि आपकी चाय कितनी स्वादिष्ट और परफेक्ट बनेगी. और आप ने एक कप बेहतरीन चाय पी ली तो समझ जाइए आपका द‍िन बन जाएगा. चल‍िए आपको स्‍वाद‍िष्‍ट चाय बनाने का तरीका बताते हैं, जो आपको बहुत पसंद आएगा और इससे गाढ़ी चाय बनेगी.

*अच्छी चाय बनाना क्यों है खास?*

बहुत से लोग सोचते हैं कि चाय बनाना तो आसान है. बस पानी, दूध, पत्ती और चीनी डालो और चाय तैयार. लेकिन असल में चाय बनाना एक कला है. अगर इसे सही स्टेप्स में बनाया जाए तो इसका स्वाद कई गुना बढ़ जाता है. वहीं अगर गलत तरीके से बनाएं तो इसका असर स्वाद, सेहत और मूड तीनों पर पड़ता है.

*पहला स्टेप: पानी और पत्ती*

चाय बनाने की शुरुआत हमेशा पानी से होती है. सबसे पहले पैन में पानी डालकर उबालें. जब पानी उबल जाए, तभी उसमें चाय पत्ती डालें. इसे करीब 5 मिनट तक उबालने दें. इसी समय आप चाहें तो अदरक या इलायची भी डाल सकते हैं. इससे चाय का स्वाद और भी खास हो जाएगा.

*दूसरा स्टेप: चीनी कब डालें?*

ज्यादातर लोग यही गलती करते हैं कि दूध डालने के बाद चीनी डालते हैं. असल में सही समय है. पानी और पत्ती उबलने के बाद. जब फ्लेवर पानी में अच्छे से आ जाए, तब चीनी डालें और अच्छी तरह घुलने दें.

*तीसरा स्टेप: दूध डालने का सही वक्त*

चीनी घुल जाने के बाद दूध डालें. इसके बाद चाय को धीमी आंच पर 5 मिनट तक पकाएं. धीरे-धीरे चाय का रंग गाढ़ा होगा और टेस्ट बैलेंस्ड हो जाएगा. यही है परफेक्ट चाय का असली सीक्रेट.

लोग करते हैं ये आम गलतियां

सारी चीजें एक साथ डालना पानी, दूध, पत्ती और चीनी सब कुछ एक साथ डाल देने से चाय का टेस्ट बिगड़ जाता है.

ज्यादा देर तक उबालना- कई लोग सोचते हैं कि ज्यादा देर तक पकाने से स्वाद बढ़ जाएगा, जबकि सच ये है कि इससे चाय कड़वी हो जाती है और गैस-एसिडिटी की दिक्कतें भी बढ़ सकती हैं.

बहुत ज्यादा पत्ती डालना- कुछ लोग ज्यादा कड़क चाय के लिए पत्ती डाल देते हैं, जिससे स्वाद खराब होने के साथ-साथ सेहत पर भी असर पड़ सकता है.

हेल्थ और चाय का रिश्ता

सही तरीके से बनी चाय आपको फ्रेशनेस, एनर्जी और मूड बूस्ट देती है.0वहीं गलत तरीके से बनी चाय पेट की समस्याएं और एसिडिटी बढ़ा सकती है.इसलिए हमेशा बैलेंस मात्रा में ही पत्ती, दूध और चीनी का इस्तेमाल करें.




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