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बुधवार, 10 सितंबर 2025

कैंसर से जंग जीतने के बाद संजय दत्त ने याद किया संघर्ष और राकेश रोशन का साथ

सुपरस्टार संजय दत्त 80 से 90 के दशक में बड़े पर्दे पर छाए रहते थे. 66 साल की उम्र में भी संजू बाबा लगातार फिल्मी दुनिया में एक्टिव हैं. बॉलीवुड के साथ-साथ अब संजय दत्त साउथ के मेकर्स की भी पसंद बने हुए हैं. हालांकि सुपरस्टार अपनी निजी जिंदगी को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. उन्होंने काफी बुरा वक्त देखा है. साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान उन्हें स्टेज 4 कैंसर का पता चला था, हालांकि उस वक्त उन्हें विदेश का वीजा नहीं मिल रहा था. फिर फिल्ममेकर राकेश रोशन ने उनकी मदद की थी। 

संजय दत्त ने अपने कई इंटरव्यू के दौरान बताया है कि कैसे राकेश रोशन (जो खुद कैंसर से उबर चुके हैं) ने उन्हें एक अच्छा डॉक्टर ढूंढने में मदद की थी. हालांकि लंबे समय तक कैंसर से लड़ने के बाद खुद एक्टर ने घोषणा की थी कि अब वह कैंसर मुक्त हैं. इस खबर के सामने आने के बाद फैन्स के बीच खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी। 

 

सांस फील रही थी, फेफड़ों में पानी भर गया था,एक पॉडकास्ट पर बात करते हुए संजय दत्त ने एक बार अपनी ज़िंदगी के मुश्किल दौर को याद किया. उन्होंने कहा, “लॉकडाउन में वो एक आम दिन था. जब मैं सीढ़ियां चढ़ रहा था, तो मेरी सांस पूरी तरह से फूल रही थी. मैंने नहाया, सांस नहीं ले पा रहा था, और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है, इसलिए मैंने अपने डॉक्टर को बुलाया. एक्स-रे में मेरे आधे से ज़्यादा फेफड़े पानी से भरे हुए थे. उन्हें पानी निकालना पड़ा. सबको उम्मीद थी कि ये टीबी है, लेकिन पता चला कि ये कैंसर है।

उन्होंने आगे कहा, “मुझे यह कैसे बताया जाए, यह एक बड़ी चुनौती थी. मैं किसी का चेहरा तोड़ सकता था. तो मेरी बहन मुझे बताने आई. मैंने कहा, ‘ठीक है, मुझे कैंसर हो गया, अब क्या?’ फिर आप चीज़ें प्लान करने लगते हैं, जैसे ये-वो करना. लेकिन मैं दो-तीन घंटे से ज़्यादा रोया क्योंकि मैं अपने बच्चों, अपनी ज़िंदगी, अपनी पत्नी और हर चीज़ के बारे में सोच रहा था. ये पल मेरे जहन में आया और मैंने कहा, मैं कमज़ोर नहीं पड़ूंगा। 

राकेश रोशन ने मुश्किल वक्त में दिया साथ : इसी बातचीत के दौरान संजय दत्त ने बताया कि अमेरिकी वीज़ा रिजेक्ट होने के बाद राकेश रोशन ने उनके इलाज के लिए एक अच्छा डॉक्टर ढूंढ़ने में उनकी मदद की थी. साल 2018 में फिल्ममेकर भी गले के कैंसर से जूझ चुके थे. संजय ने आगे बताया, “उन्होंने मुझे बताया कि मेरे बाल झड़ जाएंगे और कुछ और भी होगा, और मुझे उल्टी भी होगी, इसलिए मैंने डॉक्टर से कहा, ‘मेरे को कुछ नहीं होगा’, यानी मेरे बाल नहीं झड़ेंगे, उल्टी नहीं होगी, या मैं बिस्तर पर नहीं लेटूगा, और वह मुस्कुरा दीं. मैंने अपनी कीमोथेरेपी पूरी की और जब मैं वापस आया, तो मैं एक घंटे तक अपनी बाइक पर बैठा और साइकिल चलाता रहा, जैसा कि मैं हर दिन करता था।





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