Advertisement

Advertisement

Advertisement

शनिवार, 20 सितंबर 2025

राजनगर में ओत गुरु कोल लाको बोदरा की जयंती धूमधाम से मनाई गई

सरायकेला-खरसावां जिले के राजनगर प्रखंड अंतर्गत बीजाडीह पंचायत के समरसाई चौक पर शुक्रवार को वारंगक्षिति लिपि के आविष्कारक, महान शिक्षाविद् एवं आदिवासी समाज के पथप्रदर्शक ओत गुरु कोल लाको बोदरा की जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में सामाजिक चेतना, सांस्कृतिक गौरव और राजनीतिक मांगों की गूंज सुनाई दी।


कार्यक्रम की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री सह विधायक चंपाई सोरेन, जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदरा एवं जिप सदस्य मालती देवगम द्वारा संयुक्त रूप से लाको बोदरा की प्रतिमा का अनावरण कर की गई। मौके पर पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल-मांदर की थाप पर पारंपरिक नृत्य-गान से चंपाई सोरेन का भव्य स्वागत किया गया।


अपने संबोधन में चंपाई सोरेन ने कहा कि लाको बोदरा केवल हो समाज के नहीं, बल्कि पूरे आदिवासी समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने वारंगक्षिति लिपि का आविष्कार कर आने वाली पीढ़ियों को शिक्षा और पहचान का आधार दिया है। किसी भी समाज की अपनी लिपि होना गर्व की बात है, लेकिन दुर्भाग्यवश झारखंड के स्कूलों में आज भी वारंगक्षिति लिपि में पढ़ाई नहीं हो रही है।

8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग दोहरायी जायेगी

चंपाई सोरेन ने कार्यक्रम के दौरान जोर देकर कहा कि सरकार से मांग की जाएगी कि वारंगक्षिति लिपि को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। उन्होंने बताया कि वह इस मुद्दे को लेकर फिर एक बार केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात करेंगे और आदिवासी अस्मिता की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि “सीएनटी और एसपीटी एक्ट होने के बावजूद आदिवासियों की जमीनें बेची और खरीदी जा रही हैं। घुसपैठियों के कारण आदिवासी आबादी में गिरावट हो रही है। सरकार चुप बैठी है जबकि नगड़ी में रिम्स-2 के नाम पर सैकड़ों एकड़ जमीन अधिग्रहित की जा रही है। यह सीधे-सीधे आदिवासी अस्मिता पर प्रहार है।उन्होंने यह भी कहा कि कोल्हान क्षेत्र में आदिवासियों की पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को भी चुनौती मिल रही है। इसके खिलाफ बड़ा आंदोलन खड़ा करने का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा कि भोगनाडीह में पांच लाख लोगों की भीड़ जुटाकर आंदोलन किया जाएगा।

कार्यक्रम के दौरान मुंडा-मानकी, ग्राम प्रधान, शिक्षक-शिक्षिकाएं, छात्र-छात्राएं एवं हो भाषा के कलाकारों को सम्मानित किया गया। रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने माहौल को जीवंत बना दिया और हजारों लोगों ने इस आयोजन का आनंद उठाया।

कार्यक्रम में ये लोग रहे मौजूद : इस अवसर पर सिमल सोरेन, बबल सोरेन, सावन सोय, डॉ. बबलू सुंडी, मोटाय मेलगंडी, इपिल सामड, गणेश पाटपिंगुआ, डोबरो देवगम, गणेश गागराई, पिंकी बारदा, रजो टुडू, नामिता सोरेन, सुशील सुंडी, कैलाश देवगम सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे





0 Comments:

एक टिप्पणी भेजें