किसी भी कीमत में सिविल कोर्ट का शिफ्टिंग स्वीकार नहीं यह सरायकेला के अस्मिता को बचाने की लड़ाई है. पुनः बार एसोसिएशन एवं जनता के साथ किसी भी हद तक जाना पड़ेगा तो पीछे नहीं हटेंगे - मनोज कुमार चौधरी
सरायकेला :सरायकेला नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष सक्रिय समाजसेवी मनोज कुमार चौधरी ने सिविल कोर्ट शिफ्टिंग का पुरजोर विरोध किया पूर्व उपाध्यक्ष ने कहा कि हमारा विरोध सिर्फ सिविल कोर्ट शिफ्ट करने को लेकर नहीं है, यह मुद्दा सीधे तौर पर क्षेत्र की अस्मिता से खिलवाड़ है सिविल कोर्ट में अधिवक्ता, स्टांप वेंडर, टाइपिस्ट, मोहरी, स्टेशनरी विक्रेता, जेरॉक्स वाले, चाय, पान, होटल वाले व अन्य लगभग 500 परिवारों की रोजी रोजगार से जुड़ा है।
उन्होंने कहा सरकार और प्रशासन को ज्ञात होना चाहिए कि सरायकेला जिला मुख्यालय का अतीत बेहद गौरवशाली रहा है राजा रजवाड़ा द्वारा बसाया गया सरायकेला अपनी संस्कृति और उत्कृष्ट परंपराओं के लिए जाना जाता है सरायकेला की विश्व प्रसिद्ध कला के जरिए भारत के सर्वोच्च पुरस्कार से सात लोगों को नवाजा गया है वर्ष 2001 में सरायकेला जिला बनने के बाद हम लोगों को लगा था की मूलभूत सुविधाएं मयस्सर होगी मगर सरायकेला के अस्तित्व को मिटाने के हमेशा से षड्यंत्र रचा जा रहा है पूर्व में भी उपायुक्त कार्यालय, जिला परिषद कार्यालय, रजिस्ट्री कार्यालय ,वाहन कार्यालय, जिला उपभोक्ता फोरम इत्यादि कई छोटे-बड़े कार्यालय बिना किसी वजह और ठोस योजना के सरायकेला से अन्यत्र वीरान स्थान में स्थानों में शिफ्ट कर दिए गया। अब जल जमाव का बहाना बनाकर एक षड्यंत्र के तहत सिविल कोर्ट को शिफ्ट कर सरकार/प्रशासन सरायकेला जिला मुख्यालय की उपेक्षा करना चाहती है। उन्होंने प्रशासन और सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि आखिर बार-बार सिविल कोर्ट को बिना वजह और ठोस योजना के क्यों शिफ्ट कराया जा रहा है अब तक 4 बार सबसे पहले राजा घर के पास, दोबारा राजबांध, तीसरी बार पुनः राजा घर के पास और चौथी बार वर्तमान स्थल पर स्विफ्ट कराया गया जो वर्तमान में अच्छी तरह से कार्यरत है यदि वर्तमान स्थिति सिविल कोर्ट की भूमि उपयुक्त नहीं थी तो उक्त भूखंड पर जनता के करोड़ों रुपया खर्च कर सिविल कोर्ट का निर्माण क्यों कराया गया इसकी सभी पहलुओं पर जांच कर सिविल कोर्ट के लिए उक्त भूखंड को चयन करने वाले दोषी तकनीकी एवं अभियंत्रण अभियंताओं के ऊपर प्राथमिक की दर्ज कर जेल भेजने का काम होना चाहिए क्योंकि टैक्स के रूप में जनता की गाढ़ी कमाई को इस तरह अभियंता बर्बाद नहीं कर सकते
उन्होंने सिविल कोर्ट का शिफ्टिंग का जोरदार विरोध किया उन्होंने कहा कि यदि सिविल कोर्ट शिफ्ट किया गया तो अनुमंडल कार्यालय शिफ्टिंग के विरोध में आम लोगों के साथ जैसा उग्र आंदोलन किया गया था आगामी दिनों में उससे और अधिक उग्र आंदोलन किया जाएगा। यह शहर के अस्मिता को बचाने की लड़ाई है। जिसके लिए उन्हें किसी भी हद तक जाना पड़ेगा तो पीछे नहीं हटेंगे। विदित हो सरायकेला अनुमंडल कार्यालय को शहर से बाहर वीरान स्थान पर शिफ्टिंग के विरोध में मनोज कुमार चौधरी ने कड़ाके की ठंड जनवरी माह वर्ष 2019 में उग्र आंदोलन किया था उन्होंने पुराने अनुमंडल कार्यालय के समीप 5 दिनों तक आमरण अनशन कर प्रशासन को पीछे हटने पर मजबूर किया और जिसका नतीजा यह हुआ कि आज अनुमंडल कार्यालय सरायकेला शहर के बीच में अवस्थित है।
सिविल कोर्ट शिफ्टिंग के जन विरोधी निर्णय के विषय में राज्य के माननीय मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और अन्य आला अधिकारियों को पत्र द्वारा अवगत कराया जाएगा उसके बाद भी यदि सिविल कोर्ट शिफ्टिंग का प्रयास जारी रहा तो पुनः बार एसोसिएशन एवं जनता के साथ इसके विरोध में किसी भी हद तक जाने की बात कही
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