जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय में माननीय कुलपति महोदया प्रो० (डॉ०) अंजिला गुप्ता के मार्गदर्शन में मानविकी संकाय के हिन्दी विभाग द्वारा सिदगोड़ा परिसर स्थित स्वर्णरेखा ऑडिटोरियम में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की 117वीं जयंती एवं हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में भव्य साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य दिनकर जी की कालजयी रचनाओं को स्मरण करना और हिंदी साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं दिनकर जी के चित्र पर पुष्प अर्पण के साथ हुई।
स्नातकोत्तर हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. नूपुर अंविता मिंज ने स्वागत भाषण देते हुए दिनकर के बहुआयामी व्यक्तित्व एवं रचनाओं की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दिनकर की कविताएँ सदैव राष्ट्रीय चेतना और युवा शक्ति को प्रेरित करती रहेंगी। इस अवसर पर छात्राओं ने विविध प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। हिन्दी विभाग के स्नातक की छात्राएँ मोंद्रिता चटर्जी और वर्षापति ने दिनकर की कविता ‘कलम या कि तलवार’ का समवेत पाठ कर, वातावरण को भावविभोर कर दिया। स्नातक प्रथम सत्र की छात्रा दिव्या कुमारी ने स्वरचित कविता ‘हिंदी विश्व पटल पर’ प्रस्तुत की, जिसने श्रोताओं में आत्मविश्वास और हिंदी भाषा के प्रति गर्व की भावना जगाई। इसी क्रम में खुशी कुमारी ने दिनकर की कविता ‘रश्मिरथी’ के प्रसंग ‘कृष्ण की चेतावनी’ का प्रभावशाली पाठ किया। उनकी दृढ़ वाणी और भावपूर्ण अभिव्यक्ति ने कविता के संदेश को और प्रखर बना दिया। इन छात्राओं की प्रस्तुतियों ने श्रोताओं पर गहरी छाप छोड़ी।
इसके पश्चात् स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग की सहायक अध्यापक श्रीमती अभिलाषा जायसवाल ने अपनी स्वरचित कविता ‘मेरा अभिमान’ का पाठ कर कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ाया।
इस कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के रूप में हिंदी विभाग की पूर्व अध्यक्ष और सहायक प्राध्यापिका डॉ. पुष्पा कुमारी ने दिनकर जी की कृतियों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि दिनकर की कविताएँ न केवल सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक पहलुओं को दर्शाती हैं, बल्कि उनमें राष्ट्रप्रेम की सशक्त भावना भी निहित है। उन्होंने अपनी रचनाओं से देशवासियों को जागरूक करने का महत्वपूर्ण कार्य किया। इसके पश्चात् परीक्षा नियंत्रक डॉ० रमा सुब्रमण्यम ने अपने संबोधन में हिंदी भाषा को प्रत्येक भारतीय नागरिक के लिए आवश्यक बताते हुए इसके प्रयोग और प्रचार-प्रसार पर बल देनी की बात कही । कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं मानविकी संकायाध्यक्ष डॉ. सुधीर कुमार साहु ने दिनकर की कृति ‘संस्कृति के चार अध्याय’ में भारतीय संस्कृति के विश्लेषण का उल्लेख किया और राष्ट्रीय एवं प्रशासनिक स्तर पर हिन्दी के महत्व पर विचार रखे। 'हिंदी दिवस' के उपलक्ष्य में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को इस विशेष अवसर पर सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में, प्रतिभाशाली छात्राओं को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। विजेताओं की सूची:-
आशु भाषण प्रतियोगिता : वर्षापति (प्रथम), खुशी कुमारी (द्वितीय), नमिता महतो (तृतीय)
निबंध प्रतियोगिता : - मोंद्रिता चटर्जी (प्रथम), नमिता महतो (द्वितीय), राखी दास एवं तनीषा प्रामाणिक (तृतीय)
स्वरचित कविता प्रतियोगिता :- वर्षा पति (प्रथम), मोंद्रिता चटर्जी (द्वितीय), आर्या कुमारी (तृतीय)
पोस्टर प्रस्तुति प्रतियोगिता :- अंजलि महतो (प्रथम), प्रतिमा उरांव (द्वितीय), मौसमी प्रामाणिक (तृतीय)।
साथ ही सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाणपत्र देकर प्रोत्साहित किया गया। कार्यक्रम का समापन दर्शनशास्त्र की विभागाध्यक्ष श्रीमतीअमृता कुमारी द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित सभी विद्वतजनों एवं सभी छात्राओं को धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सभी छात्राओं को उनके सहभागिता के लिए धन्यवाद दिया तथा इस कार्यक्रम में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देने वाले सभी सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापन किया। मंच संचालन शोधार्थी सुश्री आयशा द्वारा किया गया । इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्राध्यापक, शोधार्थी और छात्राएँ बड़ी संख्या में उपस्थित रहें। कार्यक्रम ने न केवल राष्ट्रकवि दिनकर की साहित्यिक धरोहर को स्मरण किया बल्कि हिंदी भाषा और साहित्य के प्रति गहरी जागरूकता और उत्साह को भी बढ़ावा दिया। इस अवसर वाणिज्य संकायाध्यक्ष डाॅ. दीपा शरण, सी० वी० सी० डॉ० अन्नापूर्ण झा, उर्दू की विभागाध्यक्ष डॉ. रिजवाना परवीन, राजनीतिक विभागाध्यक्ष डॉ सोनाली सिंह, रसायन विभाग से डॉ० अनामिका, एमबीए विभाग की शिक्षका डॉ० भारती , डॉ० श्वेता प्रसाद , डॉ० केया मजूमदार, तथा हिन्दी विभाग की शिक्षिका .श्रीमती सिन्धु शर्मा,श्रीमती अभिलाषा जायसवाल, नेहा कुमारी उपस्थित रही तथा शिक्षकेत्तर कर्मचारी समेत छात्राएँ मौजूद थी
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