(UP) : लखनऊ के पारा इलाके की उस गली में अब सन्नाटा है। वही गली, जहां शनिवार देर रात तक चीखें गूंजती रहीं। लोग दरवाजे बंद कर सहमे रहे और एक पत्नी अपने पति की हत्या को आंखों से देखती रही। शिव प्रकाश रावत अब इस दुनिया में नहीं है। उसकी मौत सिर्फ एक हत्या नहीं, भरोसे, परिवार और बच्चों के भविष्य का टूटना है।
मेहनत की जिंदगी, साधारण सपने: 32 साल का शिव प्रकाश एक मिस्त्री था। दिनभर मेहनत करता, शाम को घर लौटता। दो छोटे बेटे, नीतीश और रौनक, उसके इंतजार में दरवाजे की ओर देखते रहते थे। वह चाहता था कि बच्चे पढ़ें, आगे बढ़ें, उस जैसी कठिन जिंदगी न जिएं। लेकिन उसे क्या पता था कि घर के भीतर ही एक साजिश पल रही है।
शक, विरोध और दर्ज हुई एफआईआर: शिव प्रकाश को पत्नी सविता और पड़ोसी ऑटो चालक सतीश गौतम के बीच नजदीकियों की भनक लग चुकी थी। उसने इसे नजरअंदाज नहीं किया। विरोध किया, समझाया और जब बात हद से बाहर गई तो जुलाई में पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई। आरोपी पर शांतिभंग की कार्रवाई हुई, लेकिन यह कार्रवाई शिव प्रकाश की जान नहीं बचा सकी।
रात जिसने सब कुछ बदल दिया: शनिवार रात करीब एक बजे सतीश गौतम शिव प्रकाश के घर के बाहर पहुंचा। गालियां दीं, शोर मचाया। शिव प्रकाश गर की दहलीज पर आया तो लोहे की रॉड से उसपर हमला कर दिया गया। खून से लथपथ शिव प्रकाश को बाल पकड़कर घसीटा गया। फिर उसकी पत्नी सविता के सामने ही बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। उस पल सविता सिर्फ एक पत्नी नहीं थी, बल्कि एक गवाह थी। ऐसी गवाह, जिस पर अब हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप है।
कॉल डिटेल ने खोले राज: पुलिस जांच में सविता का मोबाइल फोन अहम सबूत बना। घंटों बातचीत, बार-बार की कॉल और घटना वाले दिन शाम छह बजे की आखिरी बातचीत ने कहानी साफ कर दी। पुलिस ने आरोपी सतीश को गिरफ्तार कर लिया है और वारदात में प्रयुक्त लोहे की रॉड बरामद कर ली गई है। पूछताछ के दौरान सतीश ने स्वीकार किया कि उसका मृतक शिवप्रकाश की पत्नी सविता के साथ प्रेम संबंध था। इसकी जानकारी शिवप्रकाश को हो गई थी। इसी बात को लेकर सतीश और सविता ने मिलकर शिवप्रकाश के सिर पर लोहे की पाइप से हमला कर उसकी हत्या कर दी। मामले में पुलिस ने सविता को भी हिरासत में ले लिया है।
पुलिस के शिकंजे में आरोपी सतीश
पिता का दर्द और बच्चों का भविष्य: शिव प्रकाश के पिता शिवदीन अब हर सवाल पर चुप हो जाते हैं। उनका कहना है, “अगर समय रहते सख्त कार्रवाई होती, तो मेरा बेटा आज जिंदा होता।” सबसे बड़ा सवाल उन दो मासूम बच्चों का है, जिन्होंने न सिर्फ पिता खोया, बल्कि मां भी जेल में है।








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