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गुरुवार, 13 नवंबर 2025

श्रीनाथ विश्वविद्यालय में इको प्रिंट की उन्नत तकनीक और संभावनाओं पर प्रशिक्षण सत्र आयोजित

श्रीनाथ विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स में “इको प्रिंट की उन्नत तकनीक और इसकी संभावनाएं” विषय पर एक विशेष सत्र आयोजित किया गया। यह सत्र स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स की सहायक प्रोफेसर सुश्री रिमी आदक और सुश्री दीपर्णा साहा द्वारा संचालित किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों को इको प्रिंटिंग की उन्नत पद्धतियों से अवगत कराना और इसे दृश्य कला में एक सतत तथा नवोन्मेषी माध्यम के रूप में समझना था।


सत्र की शुरुआत इको प्रिंटिंग के वैचारिक आधारों पर एक परिचयात्मक प्रस्तुति के साथ हुई। इसमें बताया गया कि कैसे पत्तों, फूलों, छाल और अन्य प्राकृतिक पदार्थों की सहायता से वस्त्रों और कागज़ पर पर्यावरण-सम्मत तरीके से आकर्षक पैटर्न तैयार किए जाते हैं। विशेषज्ञों ने कला में पर्यावरणीय जागरूकता के महत्व पर बल देते हुए यह भी कहा कि रचनात्मक प्रक्रियाओं को पर्यावरणीय नैतिकता और संसाधन संरक्षण से जोड़ना समय की आवश्यकता है।

सैद्धांतिक परिचय के पश्चात् दोनों प्रशिक्षकों ने प्रायोगिक और सहभागितापूर्ण कार्यशाला का संचालन किया, जिसमें छात्रों को विभिन्न उन्नत प्रयोगात्मक प्रक्रियाओं जैसे रेजिस्ट तकनीक और मल्टी-लेयर्ड कम्पोज़िशन विधियों का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण टीम ने पिगमेंट ट्रांसफ़र और फाइबर इंटरैक्शन के वैज्ञानिक आधारों पर भी विस्तार से चर्चा की, जिससे कला और तकनीकी दोनों दृष्टिकोणों का समावेश हुआ।

सत्र के दौरान इको प्रिंटिंग के समकालीन कला और डिज़ाइन शिक्षा में उपयोगिता और संभावनाओं पर भी विस्तार से प्रकाश डाला गया। वक्ताओं ने बताया कि इसका उपयोग टेक्सटाइल डिज़ाइन, सतही डिज़ाइन, फैशन इनोवेशन और फाइन आर्ट्स की विभिन्न विधाओं में व्यापक रूप से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह तकनीक जहाँ एक ओर सौंदर्यबोध को विस्तार देती है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरणीय जागरूकता को भी बढ़ावा देती है, जो सतत कला शिक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

सत्र में स्नातक स्तर के छात्र बड़ी संख्या में शामिल हुए और पूरे आयोजन के दौरान सक्रिय रूप से भाग लेते रहे। कलात्मक माहौल ने उन्हें सामग्री प्रयोग, स्थिरता और सृजनात्मक प्रक्रिया पर गंभीरतापूर्वक चिंतन करने के लिए प्रेरित किया। कार्यशाला के दौरान तैयार किए गए कार्यों में तकनीकी दक्षता और वैचारिक समझ दोनों का प्रभाव देखने को मिला।

कार्यक्रम के आखिरी में खुले संवाद और फीडबैक सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों ने इस उभरती हुई कला विधा से रूबरू होने पर संतोष व्यक्त किया जो कला, विज्ञान और पर्यावरणीय उत्तरदायित्व को एक साथ जोड़ती है। समग्र रूप से, सुश्री रिमी आदक और सुश्री दीपर्णा साहा द्वारा संचालित यह इको प्रिंट कार्यशाला स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स के शैक्षणिक और रचनात्मक विकास में अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई। इसने विश्वविद्यालय में नवाचार, स्थायित्व और अंतर्विषयक शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया।





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