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सोमवार, 22 सितंबर 2025

बोकारो: बड़ा ऐलानः ठेका श्रमिकों को मिलेगा त्योहार से पहले बोनस

बोकारो स्टील प्लांट (BSL) अपने ठेका श्रमिकों को शारदीय नवरात्र से पहले बोनस देगी। संयंत्र प्रबंधन ने घोषणा की है कि प्रत्येक योग्य ठेका मजदूर को बोनस मद में न्यूनतम 10 हजार और अधिकतम 16 हजार तक का भुगतान किया जायेगा। यह राशि उनके एक महीने के वेतन के बराबर होगी।

भुगतान की प्रक्रिया इसी सप्ताह से शुरू होगी। राशि सीधे श्रमिकों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जायेगी। लगभग 22 हजार ठेका श्रमिकों को इसका लाभ मिलेगा। सेल (SAIL) प्रबंधन ने बोकारो इस्पात संयंत्र समेत सभी इकाइयों में ठेका श्रमिकों को उनके सालाना मूल वेतन का 8.33% बोनस देने का फैसला किया है। यह सुविधा सिर्फ उन श्रमिकों को मिलेगी जिनका मासिक वेतन 21,000 रुपये से कम है। ए कैटेगरी और जनरल कैटेगरी, दोनों ग्रेड के श्रमिक इसमें शामिल हैं। ग्रेड के अनुसार ही बोनस की राशि तय की गई है। BSL ने सभी ठेकेदारों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि निर्धारित समय पर बोनस का भुगतान किया जाये। नियम तोड़ने वाले ठेकेदारों पर विभागीय कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।






IND vs PAK: हार्दिक पांड्या का धमाका, फखर जमां को आउट कर रचा नया इतिहास

IND vs PAK: हार्दिक पांड्या ने फखर जमां को आउट करते ही बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड, कोई गेंदबाज नहीं कर पाया ऐसा काम

भारतीय टीम के ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या ने पाकिस्तान के खिलाफ मैच में रिकॉर्ड बना दिया है। पांड्या ने फखर जमां को आउट कर ये रिकॉर्ड बनाया है और अपने एक खास सिलसिले को भी जारी रखा है। पांड्या ने जो रिकॉर्ड अपने नाम किया है और जो सिलसिला बरकरार रखा है वो आसान नहीं है।

Jolly LLB 2 ने तोड़ा रेड 2 का रिकॉर्ड

बॉक्स ऑफिस पर अक्षय कुमार और अरशद वारसी की लेटेस्ट फिल्म जॉली एलएलबी 3 अच्छा प्रदर्शन कर रही है। रिलीज के दूसरे दिन कमाई के मामले में इस मूवी ने अजय देवगन की रेड 2 को पीछे छोड़ दिया है।



झारखंड में कुड़मी समाज ने वापस लिया आंदोलन, मिला आश्वासन?

रांची:झारखंड में अनुसूचित जनजाति में शामिल किए जाने और अपनी कुड़माली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे। कुड़मी समुदाय के लोगों ने इस मामले पर चर्चा के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक का आश्वासन मिलने पर रविवार को दो स्टेशन को छोड़कर बाकी सभी स्टेशन से अपना आंदोलन वापस ले लिया है।

कुड़मी विकास मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शीतल ओहदार ने बताया कि सरायकेला-खरसावां जिले के सिनी स्टेशन में जारी प्रदर्शन जल्द ही खत्म किया जाएगा, जबकि धनबाद जिले के प्रधानखंता में प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक केंद्र बैठक की तारीख तय नहीं कर देता। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री के कार्यालय से अमित शाह के साथ बैठक का आश्वासन मिलने के बाद हमने आंदोलन वापस लेने का फैसला किया है। हालांकि, अभी तारीख तय नहीं हुई है। इस घटनाक्रम को देखते हुए हमने दो स्टेशन को छोड़कर बाकी सभी स्टेशन से आंदोलन वापस लेने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि सिनी से आंदोलन जल्द ही वापस ले लिया जाएगा, जबकि प्रधान खंता में यह तब तक जारी रहेगा जब तक केंद्र द्वारा बैठक की तारीख तय नहीं कर दी जाती।

निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए, हजारों प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को आदिवासी कुड़मी समाज (एकेएस) के बैनर तले रांची जिले के मुरी, राय, टाटीसिलवई स्टेशन, रामगढ़ के बरकाकाना, गिरिडीह के पारसनाथ, हजारीबाग के चरही, धनबाद के प्रधान खंता हंता, पूर्वी सिंहभूम के गालूडीह और बोकारो जिले के चंद्रपुरा में विभिन्न स्टेशन पर पटरियों पर धरना दिया। प्रदर्शनकारियों ने समुदाय के लिए अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा और संविधान की आठवीं अनुसूची में कुड़माली भाषा को शामिल करने की मांग की। एक अधिकारी ने बताया कि कुड़मी समुदाय के सदस्यों के रेल रोको आंदोलन के कारण शनिवार को सौ से अधिक ट्रेन या तो रद्द कर दी गईं, या उनका मार्ग परिवर्तित करना पड़ा या फिर उनकी यात्रा अंतिम ठहराव से पूर्व समाप्त कर दी गई।






नवरात्रि में बाल कटवा सकते हैं, लहसुन-प्याज खा सकते हैं? जानिए क्या नहीं करना चाहिए और क्यों

दिल्ली : पूरा देश माता रानी के आगमन की तैयारियों में व्यस्त है। शक्ति आराधना के महापर्व की शुरुआत 22 सितंबर से होने जा रही है। शारदीय नवरात्रि में मां के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।

2 अक्टूबर 2025 को विजयादशमी के साथ ही इस पर्व की समाप्ति होगी। इस दौरान देवी दुर्गा के आराधक उपवास रखते हैं। साधकों को पूजा-पाठ के अलावा इन नौ दिनों में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए और कुछ ऐसे काम हैं, जिन्हें करने से बचना चाहिए। ताकि व्रत की पवित्रता और शुभता बनी रहे। ज्योतिषियों के अनुसार, सामान्य और छोटी लगने वाली गलतियां आपका व्रत खंडित कर सकती हैं। चलिए जानते हैं नवरात्रि में क्या नहीं करना चाहिए।

1.लहसुन-प्याज खाने को क्यों किया जाता है मना?

धर्म के जानकारों के मुताबिक, नवरात्रि के दौरान तामसिक भोजन को त्याग देना चाहिए। इन नौ दिनों में मांस, मछली और अंडा नहीं खाना चाहिए। इसके साथ ही प्याज और लहसुन का सेवन भी नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये तामसिक माने जाते हैं। इन चीजों का उपयोग व्रत में पूरी तरह से वर्जित है।

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, प्याज और लहसुन को राहु और केतु का प्रतीक माना गया है। अमृतपान करने वाले दैत्य को जब भवगवान विष्णु ने दो सुदर्शन चक्र से दो हिस्सो में अलग कर दिया जब उसके रक्त की दो बूंदे धरती पर गिरीं, जिससे लहसुन-प्याज की उत्पत्ति हुई। इसी कारण ये तामसिक भोजन में आते हैं।

वहीं, इसके पीछे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक कारण भी है। दरअसल, शारदीय नवरात्री सितंबर से अक्टूबर माह के बीच में शुरु होते हैं। जब शरद ऋतु से शीत ऋतु आती है। मौसम में आ रहे बदलाव के चलते हमारे बॉडी की इम्युनिटी कम हो जाती है। ऐसे में खाने में लहसुन और प्याज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे शरीर की गर्मी बढ़ती है।

2.क्या नवरात्रि में बाल कटवा सकते हैं?

ज्योतिषों की माने तो नवरात्रि के दौरान दाढ़ी, बाल और नाखून काटने से परहेज करने को कहा जाता है। यह केवल बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक शुद्धता का भी पर्व है। इन दिनों साधकों को अपना शरीर प्राकृतिक अवस्था में ही रखना चाहिए। आध्यात्मिक कारण है कि इन दिनों हमें अपनी भौतिक इच्छाओं और जरूरतों को कम से कम रखना चाहिए, क्योंकि यह समय तपस्या और साधना का होता है।

3.चमड़े का सामान ना पहने

शक्ति की उपासना के दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस दौरान साधक को जितनी हो सके अपनी शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखना चाहिए। इसके लिए इन नौ दिनों में चमड़े से बनी चीजों जैसे बेल्ट, पर्स और जूते का उपयोग करने से बचना चाहिए। चमड़ा पशुओं की खाल से तैयार किया जाता है। ऐसे में इसका उपयोग इन दिनों में वर्जित बताया गया है।

4.दिन के समय नहीं करना चाहिए आराम

ये नौ दिन पूरी तरह से देवी दुर्गा को समर्पित होते हैं। ऐसे में अगर मां को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो साधकों को दिन के समय में नींद लेने से बचना चाहिए। इस पावन पर्व पर वातावरण में एक अद्भुत ऊर्जा होती है। ऐसे में इस दौरान अपना ज्यादा ज्यादा समय देवी का ध्यान, पूजा-पाठ और धर्म ग्रंथों का पाठ करने में लगाना चाहिए।

डिस्क्लेमर : यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। न्यूज़ फास्ट एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।






झारखंड में 83 ट्रेनें रद्द, घंटों भूखे-प्यासे बैठे रहे बच्चे-बुजुर्ग, 2 लाख से अधिक यात्री हुए परेशान…

झारखंड:राज्यभर के अलग-अलग कुल 40 रेलवे स्टेशनों पर कल शनिवार को कुड़मी समाज के लोगों ने रेल टेका आंदोलन के तहत पटरियों पर उतर कर प्रदर्शन किया. इस दौरान अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने कई ट्रेनें रोकी. कल दिनभर राज्य में ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हुआ. रेलवे को कई ट्रेनें रद्द करनी पड़ी, तो कई का रूट डायवर्ट किया गया. राज्यभर में कल शनिवार को कुल 83 ट्रेनें रद्द हुई. इस आंदोलन के कारण पूरे राज्य में 2 लाख से अधिक यात्री परेशान हुए, जिनमें बच्चे से लेकर महिला और बुजुर्ग सभी शामिल हैं.

जमशेदपुर में सबसे अधिक ट्रेनें हुई रद्द : रेल टेका आंदोलन के कारण रांची से कल कुल 14 ट्रेनें रद्द हुई, जबकि 20 ट्रेनों को रास्ते में रोका गया. इस दौरान 20 से अधिक मालगाड़ी भी फंसी. धनबाद से कुल 26 ट्रेनें कैंसिल हुई, जबकि 24 को डायवर्ट किया गया. इसके अलावा जमशेदपुर में सबसे अधिक कुल 43 ट्रेनें रद्द हुई. वहीं 31 ट्रेनें रास्ते में फंसी. आंदोलन के कारण केवल रांची और हटिया स्टेशन से जानेवाले 47 हजार रेल यात्री फंसे.

क्या है कुड़मी समाज की मांग?

उल्लेखनीय है कि एसटी का दर्जा देने की मांग को लेकर कुड़मी समाज ने रेल टेका आंदोलन की घोषणा की थी. इसे लेकर शनिवार को सुबह 4 बजे से ही रेलवे स्टेशनों पर लोग पहुंचने लगे थे. इस दौरान कई बार पुलिस प्रशासन के साथ बंद समर्थकों की झड़पें भी हुईं. धीरे-धीरे संख्या बढ़ती गयी और दिन चढ़ते-चढ़ते हजारों की संख्या में समुदाय के लोग रेल पटरियों पर बैठ गये. आंदोलनकारी देर रात तक रेलवे ट्रैक और स्टेशनों पर डटे रहे. आंदोलन के कारण रांची व हटिया स्टेशन से रवाना होनेवाली एक दर्जन ट्रेनों को रद्द कर दिया गया. वहीं एक दर्जन से अधिक ट्रेनें रांची व हटिया आने से पूर्व विभिन्न स्टेशनों पर रुकी रहीं. इस दौरान राज्य के विभिन्न स्टेशनों से सवार हुए लगभग दो लाख यात्रियों को भारी परेशानी हुई.






सरायकेला: अफीम छोड़ लौटे किसान, प्रशासनिक जागरूकता से धान की खेती की ओर रुख

सरायकेला: जिले के खरसावां प्रखंड के रीडिंग पंचायत में सरकार और पुलिस- प्रशासन की जागरूकता का असर साफ नजर आ रहा है. जहां पिछले साल तक अवैध अफीम की खेती होती थी, आज वही खेत धान की लहलहाती फसलों से भर गए हैं. यह बदलाव क्षेत्र के किसानों और प्रशासन दोनों की जीत है. पिछले साल झारखंड सरकार के आदेश पर पुलिस और प्रशासन ने अफीम की खेती के खिलाफ विशेष अभियान चलाया था.



लगभग 100 एकड़ जमीन पर फैली अफीम की खेती को रोकना पुलिस के लिए चुनौती थी, लेकिन अभियान के तहत 85 एकड़ से अधिक जमीन को मुक्त कराया गया. ग्रामीणों को समझाने- बुझाने और जागरूक करने के बाद उन्होंने अफीम की खेती न करने का प्रण लिया और इस साल पारंपरिक फसलों की ओर लौट आए. स्थानीय किसानों ने कहा कि भटकाव के कारण उन्होंने अफीम की खेती की थी लेकिन अब वे पूरी तरह पारंपरिक खेती को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने सरकार से अपील की है कि उनकी उपज के लिए उचित बाजार मुहैया कराया जाए ताकि धान और अन्य फसलों का सही दाम मिल सके. खरसावां थाना प्रभारी गौरव कुमार ने बताया कि यह उपलब्धि पुलिस अधीक्षक और सरकार की प्रतिबद्धता का परिणाम है. उन्होंने ग्रामीणों, स्थानीय प्रतिनिधियों और जनप्रतिनिधियों को भी इसका श्रेय दिया. उन्होंने कहा कि दोबारा अफीम की खेती का रुख न करें, यह न केवल कानून के खिलाफ है बल्कि युवाओं के भविष्य पर भी प्रतिकूल असर डालता है.पुलिस अधीक्षक ने किसानों से पारंपरिक खेती जारी रखने और प्रशासन को सहयोग करने की अपील की है. साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि अगर दोबारा अवैध खेती की गई तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी. हालांकि किसानों के रुख को देखते हुए लगता है कि बदलाव अब स्थायी है. सरायकेला नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष और समाजसेवी मनोज कुमार चौधरी ने कहा कि यह केवल खेती का बदलाव नहीं है बल्कि मानसिकता का भी परिवर्तन है. इससे न केवल किसानों के जीवन में सुधार आएगा बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए भी नए अवसर पैदा होंगे. कभी नक्सलवाद और अवैध गतिविधियों के लिए बदनाम रहा यह इलाका अब विकास और सकारात्मकता की मिसाल बनता जा रहा है. रीडिंग पंचायत की यह कहानी बताती है कि जागरूकता, सहयोग और दृढ़ संकल्प से समाज में बड़ा बदलाव संभव है.




कुचाई: 270 किसानों को मिला कौशल विकास प्रशिक्षण का प्रमाणपत्र, अर्जुन मुंडा बोले–प्रगति ही जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य

कुचाई में किसानों के एक वर्षीय कौशल विकास प्रशिक्षण संर्पन, प्रशिक्षण प्राप्त 270 किसानों के बीच प्रमाण प्रत्र का वितरण, प्रगति ही मानव जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य है- अर्जुन मुंडा 



खरसावां: कुचाई किसान भवन में संसदीय संकुल विकास परियोजना के अंतर्गत जनजाति कौशल विकास परियोजना 1.0 के तहत आयोजित प्रमाण पत्र वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह परियोजना राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा सम्पोषित है, जिसका उद्देश्य जनजातीय जिलों में युवाओं को कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से सशक्त बनाना है। 


विगत अगस्त 2024 से अप्रैल 2025 तक यह प्रशिक्षण कार्यक्रम तिलोपदा, बंदोलोहर पंचायत भवन में किया गया। कार्यक्रम का विधिवत उदघाटन झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने दीप प्रज्ज्लीप कर किया। मौके पर श्री मुंडा ने कहा कि हमारा घर, हमारे परिवार, हमारा गांव मजबूत रहेयही है जनजातीय कौशल विकास परियोजना का संकल्प है। उन्होने कहा कि देश के दूर-दराज़ जनजातीय क्षेत्रों में युवाओं को सशक्त बनाकर सामाजिक और आर्थिक रूप से समृद्ध करने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। यह केवल प्रशिक्षण प्रदान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका मूल उद्देश्य है। 

हमारा घर, हमारे परिवार, हमारा गांव मजबूत रहे। श्री मुंडा ने कहा कि प्रगति ही मानव जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य है। एक अत्यंत प्रेरणादायक और दूरदर्शी विचार है। जब एक समाज शिक्षा, कौशल, आत्मनिर्भरता और सामाजिक चेतना के रास्ते पर आगे बढ़ता है, तो वह न केवल स्वयं को सशक्त बनाता है, बल्कि राष्ट्र के भविष्य को भी उज्ज्वल करता है। इस कार्यक्रम के तहत कुचाई के मरांहातु, कुचाई, जोवाजांजीर, रामायसाल, बंदोलोहर पगारडीह, गोपीडीह, डांगो, बडाचाकडी, गोगामार्चा आदि गांव के 270 किसानों को आधुनिक कृषि तकनीक, उद्यमिता विकास और खाद्य प्रसंस्करण जैसी बहु-कौशल क्षमताओं से सशक्त बनाना, उनकी आय बढ़ाना तथा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देनने को लेकर प्रशिक्षित किया गया। साथ ही उनके बीच प्रमाण पत्र का वितरण किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, आदित्यपुर के निवर्तमान डिप्टी मेयर बॉबी सिंह, बीडीओ साधु चरण देवगाम, जिप झिग्गी हेम्ब्रम, मुखिया लुदरी हेम्ब्रम, विजय महतो, राहुल दास, आदि उपस्थित थे।






जमशेदपुर: लावारिस शवों के सम्मानजनक अंतिम संस्कार के बाद पिंडदान व श्राद्ध भोज का आयोजन

 470 शवों के पिण्ड दान के साथ अंत्योदय एक अभियान द्वारा 1000 लोगों के बीच श्राद्ध भोज का किया गया आयोजन,


गणेश चतुर्थी 2022 को पेशे से पत्रकार प्रवीण सेठी ने एक अभियान की शुरुआत की, इस अभियान के तहत लावारिस शवो के साथ-साथ वैसे लोगों का अंतिम संस्कार पूरे सम्मान के साथ संपन्न कराया जाता है जो की आर्थिक रूप से कमजोर हैं, इस अभियान के तहत अब तक 470 शवों का अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान और सम्मान के साथ संपन्न कराया गया है, इस अभियान में पार्वती शमशान घाट प्रबंधक कमेटी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जहां उनके द्वारा यथासंभव मदद पहुंचाने का प्रयास अभियान के सदस्यों को किया जाता है, गणेश चतुर्थी 2022 से लेकर अब तक किए गए 470 शवो के अंतिम संस्कार के बाद पितृ पक्ष की अमावस्या के उपलक्ष पर सभी आत्माओं की शांति के लिए पूरे विधि विधान के साथ पार्वती शमशान घाट में पिंडदान किया गया तत्पश्चात हवन किया गया, शमशान घाट प्रबंधक के साथ-साथ श्मशान घाट के कर्मचारियों को और इस अभियान से जुड़े वैसे लोगों को सम्मानित किया गया जो प्रत्येक शव में अपनी शक्ति अनुसार आर्थिक सहयोग करने का प्रयास करते हैं इतना ही नहीं 1000 लोगों के बीच श्राद्ध भोज का आयोजन किया गया, जानकारी देते हुए अभियान के संस्थापक प्रवीण सेठी ने बताया कि किसी भी लावारिस शव के लिए या फिर जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं अंतिम संस्कार में सक्षम नहीं है l

उनके नंबर 9204886232,7004813335 पर संपर्क कर इस सहायता का लाभ ले सकते हैं, उन्होंने कहा कि यह धरती का एक ऐसा बड़ा काम है जिसकी तुलना किसी कार्य से नही की जा सकती, इस कार्यक्रम में अंत्योदय एक अभियान के साथी ,पार्वती शमशान घाट प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारी ,जमशेदपुर विमंस क्लब के पदाधिकारी समेत बड़ी संख्या में आम लोग शामिल हुए|






खरसावां: कुड़मी समाज की एसटी मांग के विरोध में 25 सितम्बर को बाइक रैली

खरसावां के आदिवासी कला सांस्कृतिक भवन में आदिवासी संगठनों एवं आदिवासी मुंडा मनकियो द्वारा संयुक्त बैठक की गई इस बैठक में निर्णय लिया गया कि कुडमी समाज के द्वारा अनुसूचित, एसटी सूची में शामिल होने के मांग के विरोध में आगामी 25 सितंबर 2025 को जिला स्तरीय बाइक रैली निकालकर डीसी ऑफिस पहुंचेंगे साथ ही जिला उपायुक्त के माध्यम से राज्यपाल और राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा जाएगा।


वक्ताओं ने कहा कि आदिवासियों के कस्टोडियन गार्जियन राज्यपाल एवं राष्ट्रपति होते हैं इसीलिए हमको इसकी सूचना देना बहुत जरूरी है आज भी हमारा समुदाय पिछड़ा हुआ है। हमारे अधिकारों को सुरक्षा किया जाए। समाज के लोग इस रैली के माध्यम से राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाना चाहते हैं इस बैठक में चांडिल, राजनगर, सरायकेला, कुचाई एवं खरसावा प्रखंड से आदिवासी समाज के लोग पहुंचेथे। बैठक में मुख्य रूप से सावित्री कुदादा, विष्णु बाडरा, मनोज कुमार सोय, मंगल सिंह जामुदा,कोल झारखंड बोदरा, विश्वनाथ हेंब्रम, सूरज हेंब्रम, सालेन सोय,अमर उरांव, महेश मिंज,विनित बोदरा, बबलू सोय, मानसिंह बाकिरा, बबलू हेंब्रम, लाल सिंह हेंब्रम, लाल सिंह सोय, गुरु चरण सरदार, सोरदा ईचागुटु, लखविंदर सरदार, राजेश सरदार, राउतु हाईबुरू, सुरेंद्र सरदार सहित काफी संख्या में आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे।





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