बगोदर प्रखंड के बेको गांव में साढ़े तीन करोड़ की लागत से पंच शिव मंदिर बनकर तैयार है. यह मंदिर बुजुर्ग पेंशनधारियों के द्वारा इलाका के लोगों को एक सौगात के रूप में दी है. करीब एक सौ साल पुराने जर्जर हो चुके उक्त मंदिर को बुजुर्ग पेंशनधारियों ने अपनी पेंशन की राशि से बेको गांव में एक विशाल पंच शिव मंदिर को बनाया है ताकि यहां आने वाली पीढ़ी के लिए यह मंदिर एक आस्था का प्रतीक बने.
13 वर्षों में पूर्ण हुआ काम
पेंशनधारियों ने किया श्रमदान
बगोदर प्रखंड के बेको गांव में साढ़े तीन करोड़ की लागत से पंच शिव मंदिर बनकर तैयार है. यह मंदिर बुजुर्ग पेंशनधारियों के द्वारा इलाका के लोगों को एक सौगात के रूप में दी है. करीब एक सौ साल पुराने जर्जर हो चुके उक्त मंदिर को बुजुर्ग पेंशनधारियों ने अपनी पेंशन की राशि से बेको गांव में एक विशाल पंच शिव मंदिर को बनाया है ताकि यहां आने वाली पीढ़ी के लिए यह मंदिर एक आस्था का प्रतीक बने. सनद हो कि बेको पूर्वी में एक सौ साल पुरानी पंच शिव मंदिर की स्थिति जर्जर हो चुकी थी. इसे देखते हुए सेवानिवृत्त पेंशनधारियों ने चिंता जताते हुए नये सिरे से मंदिर बनाने का निर्णय लिया. पहले 12 लाख रुपये की लागत से मंदिर की चहारदीवारी करायी. इसके बाद मंदिर निर्माण के लिए ग्रामीणों के साथ राय मशविरा कर सभी से सहयोग की अपील की गयी. सेवानिवृत हुए दो पंचायत के सभी विभागों के पेंशनधारियों ने अपनी जीवन को इस मंदिर के लिए न सिर्फ अपनी पेंशन की राशि ही भेंट की. बल्कि अपना जीवन का एक एक समय भी न्योछावर कर दिया.
2012 में शुरू हुआ जीर्णोद्धार कार्य
पेंशनधारी योधी साव ने बताया कि मंदिर के निर्माण के लिए सबसे पहले वर्ष 2012 में चहारदीवारी बनायी गयी. बेको पूर्वी और बेको पश्चिमी गांव के सभी बुजुर्ग पेंशनधारी (बूढ़ा) समाज के द्वारा गांव में जितने पेंशनधारी थे. सभी ने पांच हजार रुपये हर घर से जमा किया गया. उसके बाद फिर हमलोगों ने इसके निर्माण कार्य धीरे-धीरे शुरू किया. इसके बाद बैठक कर पेंशनधारियों ने निर्णय लिया कि हर पेंशनधारी जो अपनी पेंशन की राशि की पांच सौ रुपये प्रति माह जमा करेंगे. इस तरह से भी उक्त मंदिर को बनाने में सहयोग किया गया. फिर उसके बाद हमलोगों पेंशनधारियों ने सभी को एक ड्यूटी के तहत मंदिर के गेट के बाहर आने-जाने वाले छोटे, बड़े वाहनों से हर दिन तक इच्छा अनुसार कोष संग्रह करने का काम भी किया और धीरे- धीरे करीब 13 साल में मंदिर का निर्माण पूर्ण कराया गया है. आज मंदिर परिसर में भगवान शंकर समेत हनुमान जी की भी प्रतिमा हैं. हजारीबाग में अवस्थित पंच मंदिर के नक्शे पर बनाया गया है. रिटायर शिक्षक भुनेश्वर महतो ने बताया कि पहले यहां पुराना मंदिर हुआ करता था जो पूरी तरह जर्जर हो गया था. सहायक अध्यापक हीरामन महतो बताते हैं कि मंदिर को पूरा करने का पेंशनधारियों में जज्बा ऐसा था कि अपने घर से समय पर एक ड्यूटी की तरह निकल जाते थे. बगोदर के पूर्व विधायक विनोद सिंह ने भी पेंशनधारियों के इस प्रयास की सराहना की है.
इन पेंशनधारियों का रहा सहयोग
पेंशनधारियों में मनोहर यादव, लीलो यादव, खेलो साव, छोटन साव, बुधन रजक, हिरामन साव, प्रेम महतो, भूनेश्वर महतो, सरजू महतो, घनश्याम सिंह, सुखदेव साहु, जोधो साव, मनोहर प्रसाद यादव, लाखो महतो, बालगोविंद यादव, गणेश यादव, बलदेव ठाकुर, दशरथ महतो, प्रेम महतो, बोधी साव, टेकलाल महतो, रघुनंदन दास, खेमलाल महतो, गोवर्धन महतो, गोपी महतो, जीवलाल महतो, सरयू महतो ने सराहनीय भूमिका निभायी.






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