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शुक्रवार, 14 नवंबर 2025

बिहार: बौराहा नीतीश की दीवानी हुई बिहार की जनता, रिकॉर्ड जीत के साथ फिर बनेंगे मुख्यमंत्री

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों का इंतज़ार अब ज़्यादा देर नहीं करना होगा. रुझानों में एनडीए गठबंधन एक बार फिर स्पष्ट बहुमत की ओर बढ़ता दिख रहा है. बिहार की राजनीति में एक बार फिर बड़ा बदलाव देखने को मिला है. राज्य की जनता ने एक बार फिर मुख्यमंत्री नितीश कुमार पर भरोसा जताते हुए उन्हें रिकॉर्ड जनादेश देने का संकेत दिया है. अभी तक के रुझानों के अनुसार उनकी पार्टी और गठबंधन को उम्मीद से कहीं अधिक सीटें मिलती दिख रही हैं, जिससे यह लगभग तय माना जा रहा है कि नितीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने जा रहे हैं. 



चुनावी विश्लेषकों के मुताबिक इस बार का जनादेश कई मायनों में खास है. बिहार के ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक नितीश कुमार के नाम पर मतदान हुआ है. उनके विकास कार्यों, सामाजिक योजनाओं और सुशासन मॉडल ने मतदाताओं को एक बार फिर प्रभावित किया है.

मतदाताओं का क्या कहना है?

मतदान केंद्रों पर लोगों से बातचीत के दौरान जनता में साफ तौर पर नितीश कुमार को लेकर एक पॉजिटिव माहौल दिखाई दिया . बड़े पैमाने पर युवाओं और महिलाओं ने कहा कि राज्य में स्थिरता और विकास की जरूरत है, और इसके लिए उन्हें नितीश कुमार ही सबसे भरोसेमंद चेहरा लगते हैं.

अब आगे क्या?

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि अंतिम परिणाम भी ऐसे ही आते हैं, तो नितीश कुमार एक बार फिर ऐतिहासिक वापसी करेंगे और बिहार को नई दिशा देने का दावा लेकर अपने अगले कार्यकाल की शुरुआत करेंगे.

रुझानों ने यह लगभग स्पष्ट कर दिया है कि बिहार में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनने जा रही है. लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस बार भी नीतीश कुमार ही राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे?

क्या नीतीश कुमार फिर संभालेंगे कमान?

नीतीश कुमार चुनावी राजनीति का एक अनोखा चेहरा रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि वह पिछले कई विधानसभा चुनावों से खुद मैदान में नहीं उतरते. यह परंपरा नई नहीं है. नीतीश 1995 के बाद से कोई भी विधानसभा चुनाव सीधे नहीं लड़ रहे हैं. मुख्यमंत्री बने रहने के लिए उन्होंने हमेशा विधान परिषद (MLC) का रास्ता चुना है. वर्तमान में भी नीतीश कुमार पटना सीट से विधान परिषद सदस्य हैं और उनकी सदस्यता मई 2030 तक है. इसका अर्थ यह है कि यदि वह इस बार फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हैं, तो बिना विधायक बने भी वह अपने पूरे कार्यकाल तक मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं.

गठबंधन में जश्न का माहौल

नतीजों के रुझान सामने आते ही गठबंधन कार्यालयों में जश्न का माहौल बन गया है. समर्थक ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाते नजर आए, जबकि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इसे बिहार की जनता का आशीर्वाद बताया है.

नीतीश कुमार के चुनावी सफर पर एक नज़र

1985: पहली बार विधानसभा चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचे

1977, 1980 और 1985 में लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव लड़ा

1995 में हरनोत से मैदान में उतरे लेकिन हार गए

इसके बाद राष्ट्रीय राजनीति की ओर रुख किया

1989, 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 — लगातार छह बार लोकसभा सांसद बने

2000: पहली बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन किसी सदन के सदस्य न होने के कारण आठ दिन बाद इस्तीफा

2005: बिना विधानसभा चुनाव लड़े दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली

तब से लगातार विधान परिषद से चुनकर ही मुख्यमंत्री बने हैं

पिछले वर्ष वे एक बार फिर विधान परिषद के लिए निर्वाचित हुए थे, और उनकी सदस्यता 2030 तक वैध है.ले वर्ष वे एक बार फिर विधान परिषद के लिए निर्वाचित हुए थे, और उनकी सदस्यता 2030 तक वैध है.ले वर्ष वे एक बार फिर विधान परिषद के लिए निर्वाचित हुए थे, और उनकी सदस्यता 2030 तक वैध है.

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