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शुक्रवार, 14 नवंबर 2025

बिहार में NDA की वापसी का सबसे बड़ा फैक्टर बनी महिलाओं का वोट

पटना: बिहार चुनाव परिणाम में एक बार फिर से नीतीश कुमार…इसके पीछे महिलाओं का जबरदस्त वोट और जीविका दीदी के खाते में भेजा गया 10 हजार रुपया रहा..साथ ही बुजुर्गों के पेंशन में वृद्धि…इस बार पीके का प्रदर्शन भी निष्प्रभावी रहा..



चुनाव आयोग के अंतिम आंकड़ों के अनुसार बिहार में कुल महिला मतदाता (वोटर) की संख्या लगभग 3.50 करोड़ है. यह आंकड़ा चुनाव आयोग द्वारा अक्टूबर 2025 में घोषित मतदाता सूची पर आधारित है, जिसमें कुल मतदाताओं की संख्या करीब 7.43 करोड़ थी. इनमें पुरुष 3.92 करोड़, महिलाएं 3.50 करोड़ और थर्ड जेंडर 1,725 हैं. बिहार विधानसभा चुनाव 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में हुए. चुनाव में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 71.6 प्रतिशत रहा, जो पुरुषों 62.8 प्रतिशत से अधिक है. इस आधार पर महिलाओं के कुल पड़े वोट लगभग 2.51 करोड़ होते हैं. महिलाओं के मुकाबले पुरुषों के इस बार 2.97 करोड़ वोट पड़े हैं. महिलाओं से यह संख्या 46 लाख अधिक होती है.

क्या महिलाओं के खाते में भेजे गए 10 हजार रुपए का असर 1.21 करोड़ जीविका दीदियों पर नहीं पड़ा होगा? क्या 1.11 करोड़ मुफ्त बिजली जलाने वाले जाति-धर्म का विवेक छोड़ नीतीश को वोट नहीं किए होंगे? बेटे-बहू के भय से खैनी-बीड़ी के लिए 5 रुपए मांगने में संकोच करने वाले 1.90 करोड़ लोग भूल पाएंगे कि अब उनकी पेंशन तिगुनी हो गई है? ऐसे क्षेत्र 2-4 हों तो सूची सटीक बन सकती है. पर, ये आंकड़े तो मोटा-मोटी कामों के हैं. सड़कों के जाल से नीतीश ने जिलों से राजधानी पटना की पहुंच 5 घंटे की करा दी है. गांवों की पगडंडियां भी नीतीश ने पक्की बनवा दी हैं. बेटियों के नाम पर बिदकने वाले अगर आज बेटियों का सम्मान करने लगे हैं तो इसके पीछे सिर्फ एक आदमी का विजन है. और, वे हैं नीतीश कुमार। क्या लोग नीतीश के ऐसे कामों को मामूली मानते होंगे. संभव है कि उन्हें नीतीश के बुढ़ापे और बीमारी की विपक्ष की ओर से फैलाईं गईं खबरों ने थोड़ा सोचने पर मजबूर किया होगा, लेकिन उन्होंने यह भी सोचा हो कि जो फैसले नीतीश की सरकार ले रही है, वे तो जनहित में ही है. फिर वे ही ठीक हैं. क्यों नए को आजमाने की जहमत उठाई जाए.

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