मान्यता है कि सावित्री की कथा सुनने से मनीरथ पुणे होता है और विपदा दूर होती है पौराणिक कथा के अनुसार सावित्री ने अपने पति सत्यवान के जीवन दान के लिए पूजा अर्चना कर यमराज से अपने-अपने पति के लंबी उम्र का वरदान प्राप्त किया था यमराज के वरदान से वट वृक्ष के नीचे पड़े सत्यवान के मृत शरीर में जीवन का संचार हुआ था इसी को लेकर यह परंपरा आज भी चली आ रही है और महिलाएं अपने पति की लंबी आयु एवं सौभाग्यवती बने रहने के लिए वट सावित्री को पूजा करती है।वट सावित्री व्रत में बरगद पेड़ की पूजा की जाती है हिंदू धर्म में बरगद का वृक्ष में सभी देवी देवताओं का वास होता है।
यही कारण है कि इसी दिन बरगद के पेड़ की पूजा शुभ मानी जाती है। सरायकेला माजना धाट समीप स्थित बरगद पेड़, खरसावा के वन विभाग कार्यालय परिसर पर बरगद पेड़, खरसावा राम गढ़,कुचाई में भी बरगद पेड़ के नीचे पूजा करते हुए सुबह से ही वट वृक्ष में व्रती महिलाओं को संख्या अधिक देखी गई साथ में सरायकेला एवं खरसावा में भी घरों में भी बरगद को डाली लगाकर महिलाओं ने पूजा अर्चना करते देखी गई।
सरायकेला खरसावां संवाददाता सुशील कुमार
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