झारखंड विधानसभा का मॉनसून सत्र 1 अगस्त से शुरू हो रहा है, जो 7 अगस्त तक चलेगा. इस सत्र में सरकार और विपक्ष दोनों अपनी-अपनी रणनीति के साथ तैयार हैं. सत्र की अवधि छोटा होने के कारण समय प्रबंधन एक बड़ी चुनौती होगी.चार अगस्त को वित्तीय वर्ष 2025-26 का पहला अनुपूरक बजट पेश किया जाएगा.मॉनसून सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जाने की संभावना है, जिसमें आदिवासी भूमि के गैरकानूनी हस्तांतरण को रोकने के लिए आदिवासी संरक्षण विधेयक, खनन गतिविधियों के कारण पर्यावरणीय क्षति को कम करने और स्थानीय समुदायों के लिए पुनर्वास नीतियों को मजबूत करने के लिए झारखंड खनन और पर्यावरण संरक्षण विधेयक, ग्राम पंचायतों को और सशक्त बनाने के लिए झारखंड पंचायती राज (संशोधन) विधेयक, 2025 के साथ बढ़ते साइबर अपराधों को नियंत्रित करने के लिए झारखंड साइबर अपराध निवारण विधेयक पेश किए जा सकते हैं.मॉनसून सत्र के दौरान झारखंड विश्वविद्यालय विधेयक भी पेश हो सकता है. इस विधेयक के पारित होने के बाद, विश्वविद्यालयों में कुलपतियों और अन्य पदाधिकारियों की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा गठित आयोग के माध्यम से की जाएगी, जिससे राज्यपाल का सीधा हस्तक्षेप समाप्त हो जाएगा.विपक्षी दल ने सरकार पर जानबूझकर कम अवधि का सत्र बुलाने का आरोप लगाया है. वे सदन में सरकार से जवाब मांगेंगे और कई मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जिनमें स्थानीय नीति और नियोजन नीति,भ्रष्टाचार,विधि व्यवस्था की लचर स्थिति, स्वास्थ्य व्यवस्था सहित आर्थिक मुद्दे और राज्य के विकास की गति सहित अन्य मुद्दे शामिल हैं.सत्ता पक्ष भी अपनी उपलब्धियों को गिनाने और विपक्ष के आरोपों का जवाब देने की तैयारी में है।
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