आज शाम 7:30 बजे कला केंद्र के कलाकारों ने वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर सामूहिक गान किया इस अवसर पर आर्टिस्ट एसोसिएशन के संरक्षक मनोज कुमार चौधरी ने कहा कि “वंदे मातरम् सिर्फ एक गीत नहीं, यह भारत की आत्मा है, यह हमारे भीतर का संकल्प है 1875 में बंकिम चंद्र द्वारा रचित वंदे मातरम् हमें याद दिलाता है कि हम एक हैं, हमारा लक्ष्य एक है—देश की उन्नति, आत्मनिर्भरता हमारी प्राथमिकता है इस ऊर्जा को अपने कर्मों में ढालें, अपने बच्चों को इस गीत की गौरव गाथा सुनाएँ।
राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र सरायकेला में समारोह
आधुनिक भारत की हर उपलब्धि—चंद्रयान से लेकर बेटियों की सफलता तक—इस मंत्र की गूँज से ही संभव हुई है। आज हम वंदे मातरम् के 150 साल का जश्न मनाते हुए, अपने भीतर की अंधकार को ज्ञान की रोशनी से भरें और एकजुट होकर आगे बढ़ें। मौके पर संगीत नाटक अकादमी एवार्डी गुरु बजेंद्र पटनायक आर्टिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष भोला मोहंती सचिव सुदीप कवि काशीनाथ कर गजेंद्र मोहंती श्रीधर सिंह देव सिद्धू दरोगा देवनारायण सिंह ठाकुर सरदार सुमंत कवि आध्यापदों साहू अमन कर अनिमेष कर कुनाल बेहरा रितेश बेहरा आदित्य परीक्षा मिहिर लाल महतो एवं काफी संख्या में कलाकार उपस्थित थे।












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