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शनिवार, 1 नवंबर 2025

सरायकेला: कुर्मी/कुड़मी महतो समुदाय के एसटी में शामिल होने मांग को खारिज करने की मांग करते हुए आदिवासी संगठनों का आक्रोश एक बार फिर उबाल पर; भारी भीड़ ने थमाए रखी सरायकेला की रफ्तार।

सरायकेला। कुर्मी/कुड़मी महतो समुदाय के अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल किये जाने की मांग का विरोध करते हुए आदिवासी संगठनों का आक्रोश एक बार फिर से सरायकेला में उबाल पर देखा गया। माझी परगाना महाल के बैनर तले आदिवासी के 12 संगठनों ने एक साथ हजारों की संख्या में सरायकेला पहुंचकर सरायकेला की रफ्तार घंटों तक थमाए रखी। इस दौरान सिंह दिशुम देश परगाना की फकीर मोहन टुडू एवं कुचुंग दिशोम देश परगाना के पिथो टुडू के नेतृत्व में आदिवासी पारंपरिक परिधान एवं हथियारों के साथ हजारों की संख्या में बिरसा मुंडा स्टेडियम सरायकेला में एकत्रित हुए। जहां से रैली की शक्ल में मुख्य सड़क मार्ग से होते हुए 5 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर जिला समाहरणालय पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कुर्मी/कुड़मी महतो समुदाय द्वारा आदिवासी अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में जमकर नारेबाजी की। उन्होंने इस बेबुनियाद निराधार मांग को निरस्त एवं खारिज करते हुए उन्हें अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल नहीं करने की मांग की। और इस संबंध में उन्होंने राष्ट्रपति के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा।


अपने ज्ञापन में उन्होंने इतिहास एवं इतिहासकारों का हवाला देते हुए बताया है कि कुर्मी/कुड़मी महतो समुदाय न कभी आदिवासी थे और ना है। इस संबंध में उन्होंने अपने ज्ञापन में जस्टिस बी एन लूकर समिति के मानक, जनजाति शोध संस्थान रांची के शोध, इतिहासकार हबशन एंड जॉबसन की शोध पत्र, 1833 के विलकिंग्सन रूल, संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम, छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम साहित्य ब्रिटिश काल में हुए संथाल हूल, कोल विद्रोह, टाना भगत आंदोलन, टंट्या भील आंदोलन, चुआड़ विद्रोह जैसे आंदोलन का उल्लेख करते हुए उनकी किसी भी भूमिका का उल्लेख नहीं बताया गया। साथी बताया गया कि कुर्मी/कुड़मी महतो समुदाय द्वारा पेसा कानून 1996 का पुरजोर विरोध किया गया है। अन्य नियमों का हवाला देते हुए भी उन्होंने इस नापाक षड्यंत्र को सफल नहीं होने देने के लिए कुर्मी/कुड़मी महतो समुदाय के आदिवासी अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल होने के बी बुनियाद निराधार मांग को निरस्त एवं खारिज करते हुए उन्हें नहीं शामिल करने का निवेदन किया गया है। कार्यक्रम को मुख्य रूप से दिवाकर सोरेन, राजेश टुडू, विरमल बास्के, सुंदर मोहन हांसदा, नवीन मुर्मू, श्यामल मार्डी, सावन सोय, गणेश गागराई, दुर्गा चरण मुर्मू, बबलू मुर्मू, भागवत बास्के एवं सावित्री मार्डी ने संबोधित किया।



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