सरायकेला: विश्व की अनोखी परंपरा महाप्रभु का आज राम परशुराम अवतार में हम सभी भक्तों को अलौकिक दर्शन सुलभ हुआ। सरायकेला अपनी अनूठी छऊ नृत्य परंपरा के लिए विश्व प्रसिद्ध है, तत्कालीन महाराजाओं की अध्यात्म और संस्कृति के प्रति लगाव और उनके प्रयास से राजा रजवाड़ा काल से सरायकेला आध्यात्म और संस्कृति का गढ़ रहा है तत्कालीन महाराजाओं ने आध्यात्मिक के साथ संस्कृति को बढ़ावा दिया उसी के परिणाम है कि आज सरायकेला छऊ ने विश्व पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी, कला ही नहीं उनके द्वारा बनाए गए विशालकाय श्री जगन्नाथ एवं अन्य मंदिर अध्यात्मिकता के जीते जागते उदाहरण है राजा महाराजाओं के द्वारा पुरी की तर्ज पर आज भी वर्तमान महाराज के द्वारा सरायकेला के रथ यात्रा के सभी अनुष्ठान संपन्न कराए जाते हैं किसी कड़ी में महापात्र परिवार द्वारा दशकों से महाप्रभु के विग्रहों का विभिन्न वेशों में साज सज्जा करने की परंपरा कायम है। यहां की अनोखी वेश परंपरा जो इसे दुनिया भर में खास बनाती है।
अद्भुत वेश सज्जा गुरु श्री सुशांत महापात्र जी के निर्देशन में श्री पार्थ सारथी दास, श्री उज्वल सिंह, श्री सुमित महापात्र,श्री अनुभव सत्पथी, श्री रुपेश महापात्र, श्री अमित महापात्र,श्री विक्की सत्पथी, श्री सुभम कर, श्री मुकेश साहू एवं गौतम मुखर्जी द्वारा संपन्न किया गया। मौके में नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी गोविंद साहू छोटेलाल साहू और अन्य उपस्थित थे।
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