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सोमवार, 13 अक्टूबर 2025

दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी में वाइल्डलाइफ वीक का भव्य समापन, नई संरचनात्मक सुविधाओं का लोकार्पण

सरायकेला, दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में वाइल्ड लाइफ वीक के समापन अवसर पर कई नई पहल और संरचनात्मक सुविधाओं का भव्य उद्घाटन किया गया। आयोजन में पीसीसीएफ (वाइल्डलाइफ) श्री एस.आर. नटेश मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे और वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों तथा तात्कालिक प्रतिनिधियों की मौजूदगी में परियोजनाओं का लोकार्पण हुआ। 


उद्घाटन कार्यक्रम में सबसे प्रमुख था अबुआ — हाथियों से संबंधित समाधानात्मक तकनीक के रूप में तैयार किया गया मोबाइल एप, जिसे झारखंड वन विभाग और टाटा मोटर्स के सहयोग से लॉन्च किया गया। इस एप का उद्देश्य हाथी-मानव संघर्ष की घटनाओं को कम करना, असमय निकट आने वाले हाथियों के स्थान व गतिविधि की निगरानी आसान बनाना तथा स्थानीय ग्रामीण/वनवासी और वनकर्मी के बीच त्वरित सूचना आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करना बताया गया। विशेषज्ञों के अनुसार इस तरह के डिजिटल नवाचार मानव-वन्यजीव टकराव घटाने में सहायक साबित हो सकते हैं। 



सहायक संरचनात्मक सुविधाओं के तौर पर सेंचुरी के तीन प्रमुख स्थानों पर निर्माण और शेड/हॉल का लोकार्पण किया गया। हिरण पार्क के पास लोकप्रिय हथिनी “रजनी” के लिए नया शेड तैयार किया गया है, ताकि हथिनी के रहने और देखभाल के लिए बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके। वहीं मकुलाकोचा स्थित म्यूज़ियम के समीप आधुनिक कम्यूनिटी सेंटर हॉल बनवाया गया है, जो शिक्षा, संवर्धन एवं स्थानीय जागरूकता कार्यक्रमों के लिए उपयोगी होगा। दलमा के मुख्य द्वार के समीप कुत्तों के लिए भी एक आश्रय गृह (डॉग शेल्टर) का उद्घाटन किया गया, जिससे आवारा/घायल कुत्तों की समुचित देखभाल संभव होगी। 

कार्यक्रम में स्थानीय वन अधिकारी—जिनमें डीएफओ सबा आलम अंसारी, रेंजर दिनेश चंद्रा और अपर्णा चंद्रा के साथ अन्य वन कर्मचारी और नागरिक प्रतिनिधि भी शामिल रहे—अधिकारियों ने इन पहलों को सेंचुरी के प्रबंधन और संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। अधिकारियों ने कहा कि सुविधाओं के साथ ही स्थानीय लोगों के सहयोग व जागरूकता कार्यक्रमों पर भी विशेष जोर दिया जाएगा ताकि संरक्षण और सुरक्षा के लक्ष्यों को संयुक्त रूप से आगे बढ़ाया जा सके। 

दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी, जो हाथियों के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है, के लिए यह घटनाक्रम पर्यटन, संरक्षण और स्थानीय समुदाय के समन्वय का उदाहरण माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि संरचनात्मक सुधार, डिजिटल निगरानी उपकरण और सामुदायिक सुविधाएँ मिलकर लंबे समय में वन्यजीव-मानव सहअस्तित्व को सुदृढ़ कर सकती हैं। सेंचुरी के इतिहास, जैवविविधता और इससे जुड़ी पारंपरिक चुनौतियों पर काम करते हुए यह कदम व्यावहारिक सुधारों की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।

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