बिहार : पटना स्थित महावीर कैंसर संस्थान की एक ताज़ा स्टडी में ऐसा खुलासा हुआ है जिसने डॉक्टरों से लेकर आम लोगों तक को चिंतित कर दिया है। शोध में पाया गया कि 40 दूध पिलाने वाली महिलाओं के ब्रेस्ट मिल्क के सभी सैंपल में यूरेनियम मौजूद था। यह स्टडी अक्टूबर 2021 से जुलाई 2024 के बीच की गई।
40 में से 100% सैंपल यूरेनियम से कंटैमिनेटेड
रिसर्च विभाग के प्रभारी डॉ. अशोक कुमार घोष ने बताया कि ब्रेस्ट मिल्क के सभी सैंपल में 0 से 6 माइक्रोग्राम प्रति लीटर तक यूरेनियम पाया गया, जबकि ब्रेस्ट मिल्क में यूरेनियम के लिए कोई तय अंतरराष्ट्रीय लिमिट मौजूद नहीं है। सबसे अधिक कंसंट्रेशन 5.25 माइक्रोग्राम प्रति लीटर कटिहार जिले में दर्ज किया गया।
70% बच्चों पर स्वास्थ्य असर का जोखिम
रिसर्च टीम के अनुसार, यूरेनियम की इस मात्रा से 70% बच्चों में नॉन-कार्सिनोजेनिक हेल्थ इफेक्ट्स का जोखिम देखा गया है। हालांकि किसी भी सैंपल में कैंसर का खतरा यानी कार्सिनोजेनिक रिस्क नहीं पाया गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति इसलिए खतरनाक है क्योंकि यूरेनियम शरीर के मेटाबॉलिज्म और किडनी फंक्शन को प्रभावित कर सकता है।
बिहार के 11 जिलों में ग्राउंडवॉटर यूरेनियम का संकट
भारत में ग्राउंडवॉटर यूरेनियम कंटैमिनेशन तेजी से बढ़ती हुई समस्या बन चुकी है। बिहार के गोपालगंज, सारण, सीवान, पूर्वी चंपारण, पटना, वैशाली, नवादा, नालंदा, सुपौल, कटिहार और भागलपुर जैसे जिलों में पहले भी यूरेनियम की मौजूदगी की रिपोर्ट आ चुकी है।
इस स्टडी को विशेष रूप से उन जिलों में किया गया जहाँ पहले यूरेनियम की मौजूदगी सामने आई थी—जिनमें भोजपुर, बेगूसराय, खगड़िया, कटिहार और नालंदा शामिल हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (NIPER), हाजीपुर में USA के एडवांस LC-ICP-MS इंस्ट्रूमेंट की मदद से ब्रेस्ट मिल्क सैंपल की जांच की गई।
कटिहार जिला सबसे अधिक प्रभावित
स्टडी के अनुसार, कटिहार जिले में यूरेनियम का स्तर सबसे अधिक 5.25 ug/L रहा, जिसे खतरनाक माना गया है। नालंदा में यह स्तर सबसे कम 2.35 ug/L दर्ज किया गया।







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