झारखंड : चाईबासा के खड़पोस गांव में हर सुबह की तरह उस दिन भी लोग अपनी दिनचर्या में लगे थे। लेकिन 22 नवंबर की सुबह हवा में एक अजीब बेचैनी थी। झरना नदी किनारे मिली एक जली हुई मोपेड ने पूरे गांव को चौंका दिया। किसी ने सोचा भी नहीं था कि यह एक फेरीवाले के जीवन का आखिरी निशान बन जाएगी। 55 साल के श्रीराम बिरुवा गांव में किराना बेचते थे और आसपास के इलाकों में फेरी लगाया करते थे। अकेले रहते थे, लेकिन गांव के हर घर में जाना-पहचाना चेहरा थे। काम पर निकले आदमी की आंखों में उम्मीद रहती है कि शाम को फिर घर लौटेगा। लेकिन उस दिन श्रीराम के घर का दरवाजा बाहर से बंद था और अंदर टीवी की आवाज गूंज रही थी। खून के धब्बे और बिखरा पड़ा घर जैसे चीख-चीखकर बता रहा था कि कुछ बहुत गलत हुआ है।
तलाश जो कब्रिस्तान तक पहुंची
जब पुलिस और ग्रामीणों ने तहकीकात शुरू की तो हर कदम उन्हें एक डर की तरफ ले जा रहा था। घर से कुछ ही दूरी पर कब्रिस्तान की झाड़ियों में जब श्रीराम का अर्धनग्न शव मिला, तो गांव में खामोशी छा गई। एक शांत स्वभाव के आदमी का अंत इस तरह होगा, किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। मृतक का बेटा जयसिंह अस्पताल में पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी होते देख बस यही दोहरा रहा था, “पापा की किसी से क्या दुश्मनी थी?”
जमीन विवाद ने ले ली एक जान
डीएसपी रफायल मुर्मू की टीम ने मामले को दो दिन में सुलझा लिया। सूरज बिरुवा उर्फ टकलू, मधु बांकिरा उर्फ डोंडा और राहुल पिंगुवा ये तीनों उसी गांव के लड़के थे। पुलिस पूछताछ में उन्होंने कबूल किया कि पुराने जमीन के लफड़े के कारण उन्होंने मिलकर श्रीराम की हत्या की योजना बनाई और उन्हें मौत के घाट उतार दिया। पुलिस ने तीनों आरोपितों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
जली मॉपेड से लेकर खून लगी गुप्ती तक
आरोपितों की निशानदेही पर पुलिस ने खून लगा लोहे का रॉड, एक गुप्ती, खून सना पैंट और जली हुई मॉपेड बरामद की। जैसे इस कहानी के हर टुकड़े को जोड़ने के बाद एक तस्वीर साफ हो रही थी। एक इंसान को सुनियोजित तरीके से खत्म किया गया था।







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