रांची: झारखंड में कार्यरत सभी श्रम न्यायालय (लेबर कोर्ट) अब औद्योगिक न्यायाधिकरण के नाम से जाने जाएंगे। साथ ही सभी लेबर कोर्ट में अभी तक केवल एक जज (न्यायिक अधिकारी) होते थे। अब पहली बार गैर न्यायिक सदस्य (प्रशासनिक अधिकारी) भी इसमें शामिल किए जाएंगे। उपरोक्त प्रशासनिक अधिकारी संयुक्त सचिव रैंक के होंगे। यानी अब सभी औद्योगिक न्यायाधिकरण दो बेंच के होंगे। हालांकि न्यायालय की तरह यहां न्यायिक अधिकारी के पास ही शक्ति केंद्रित होगी।
केंद्र सरकार की चार श्रम संहिताओं
लेबर कोर्ट को लागू करने के बाद झारखंड सरकार अंतर्गत श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। जल्द ही राज्य सरकार अधिसूचना जारी कर इसे लागू करेगी। वर्तमान में राज्य के छह जिलों यथा रांची, धनबाद, बोकारो, देवघर, जमशेदपुर, हजारीबाग में लेबर कोर्ट कार्यरत है। इसके अलावा रांची में
श्रम से जुड़े विवादों के निपटारे में आएगी गति
यह नया ढांचा श्रम क्षेत्र में बेहतर प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। कार्यस्थल पर कर्मचारियों की सेवा समाप्ति, हड़ताल या लॉकआउट की वैधता, छंटनी, प्रतिष्ठान बंदी तथा ट्रेड यूनियन विवाद जैसे संवेदनशील मामलों की सुनवाई न्यायाधिकरण की विशेष पीठ द्वारा की जाएगी। इन न्यायाधिकरणों के गठन से श्रम से जुड़े विवादों के निपटारे में गति आएगी और उद्योगों तथा कर्मचारियों दोनों को राहत मिलेगी। इससे न्यायिक बोझ कम होगा और औद्योगिक संबंधों में पारदर्शिता तथा भरोसा बढ़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इन नियमों से औद्योगिक संबंधों में पारदर्शिता बढ़ेगी और उद्योगों एवं कर्मचारियों, दोनों को स्थिरता का लाभ मिलेगा।
एक औद्योगिक न्यायाधिकरण भी पूर्व से स्थित है।
राज्य सरकार को मिली है शक्तिः देश के श्रम कानूनों को आसान और कारगर बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बीते 21 नवंबर को चार श्रम संहिताओं को लागू किया गया है। इसमें औद्योगिक संबंध-2020 संहिता की अधिसूचना भी
शामिल है। इसी संहिता की धारा 44 में औद्योगिक विवादों के निपटारे के लिए नए ढांचे के रूप में औद्योगिक न्यायाधिकरण गठन के प्रावधानों का जिक्र है। इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार अधिसूचना जारी कर एक या अधिक औद्योगिक न्यायाधिकरण गठित कर सकेगी।







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