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गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025

सरायकेला-खरसावां : कुड़मी समाज को एसटी सूची में शामिल करने के प्रस्ताव का आदिवासी संगठनों ने किया तीव्र विरोध

कुड़मी समाज को एसटी सूची में शामिल करने के प्रस्ताव का आदिवासी संगठनों ने किया तीव्र विरोध पारंपरिक वेशभूषा और औजारों के साथ अनुमंडल मुख्यालय पर किया धरना प्रदर्शन



सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल अनुमंडल मुख्यालय में आज विभिन्न आदिवासी संगठनों ने कुड़मी समाज को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल करने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किया।


धरना में बड़ी संख्या में हो, मुंडा, संथाल, उरांव और भूमिज समुदाय के लोग पारंपरिक वेशभूषा, तीर-धनुष, नगाड़ा और डुगडुगी लेकर शामिल हुए। प्रदर्शन के दौरान पारंपरिक गीत-संगीत और नृत्य के ज़रिए आदिवासियों ने अपनी संस्कृति और एकजुटता का परिचय दिया।

कुड़मी समाज आदिवासी नहीं, बल्कि ओबीसी वर्ग से आते हैं। अगर उन्हें एसटी में शामिल किया गया तो हमारे आरक्षण और अधिकारों पर असर पड़ेगा।

यह संविधान और परंपरा के खिलाफ कदम है। केंद्र सरकार को इसे तुरंत वापस लेना चाहिए, नहीं तो राज्यभर में आंदोलन होगा।

धरना स्थल पर झंडे, बैनर और पोस्टर लिए हुए प्रदर्शनकारी।

महिलाएं पारंपरिक परिधान में तीर-धनुष लेकर नृत्य करती हुईं।

पुलिस बल की तैनाती और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर मौजूद।

धरना के दौरान आदिवासी सेंगेल अभियान, झारखंड आदिवासी महासभा, हो जनजाति समाज महासंघ और अखिल भारतीय आदिवासी परिषद समेत कई संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उन्होंने केंद्र सरकार पर आदिवासी समाज की भावनाओं को नज़रअंदाज करने का आरोप लगाया।

धरना के बाद प्रतिनिधिमंडल ने एसडीओ चांडिल के माध्यम से राष्ट्रपति और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। इसमें स्पष्ट चेतावनी दी गई कि यदि कुड़मी समाज को एसटी सूची में शामिल किया गया, तो आदिवासी समाज सड़क से संसद तक विरोध करेगा।

हालांकि धरना शांतिपूर्ण रहा, लेकिन प्रशासन ने एहतियातन सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए थे। चांडिल में आदिवासियों का यह प्रदर्शन राज्यभर में उभरते विरोध की एक झलक माना जा रहा है।

आदिवासी अस्मिता की रक्षा के लिए एकजुट हुआ जनजातीय समाज।






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