कुड़मी समाज को एसटी सूची में शामिल करने के प्रस्ताव का आदिवासी संगठनों ने किया तीव्र विरोध पारंपरिक वेशभूषा और औजारों के साथ अनुमंडल मुख्यालय पर किया धरना प्रदर्शन
कुड़मी समाज आदिवासी नहीं, बल्कि ओबीसी वर्ग से आते हैं। अगर उन्हें एसटी में शामिल किया गया तो हमारे आरक्षण और अधिकारों पर असर पड़ेगा।
यह संविधान और परंपरा के खिलाफ कदम है। केंद्र सरकार को इसे तुरंत वापस लेना चाहिए, नहीं तो राज्यभर में आंदोलन होगा।
धरना स्थल पर झंडे, बैनर और पोस्टर लिए हुए प्रदर्शनकारी।
महिलाएं पारंपरिक परिधान में तीर-धनुष लेकर नृत्य करती हुईं।
पुलिस बल की तैनाती और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर मौजूद।
धरना के दौरान आदिवासी सेंगेल अभियान, झारखंड आदिवासी महासभा, हो जनजाति समाज महासंघ और अखिल भारतीय आदिवासी परिषद समेत कई संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उन्होंने केंद्र सरकार पर आदिवासी समाज की भावनाओं को नज़रअंदाज करने का आरोप लगाया।
धरना के बाद प्रतिनिधिमंडल ने एसडीओ चांडिल के माध्यम से राष्ट्रपति और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। इसमें स्पष्ट चेतावनी दी गई कि यदि कुड़मी समाज को एसटी सूची में शामिल किया गया, तो आदिवासी समाज सड़क से संसद तक विरोध करेगा।
हालांकि धरना शांतिपूर्ण रहा, लेकिन प्रशासन ने एहतियातन सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए थे। चांडिल में आदिवासियों का यह प्रदर्शन राज्यभर में उभरते विरोध की एक झलक माना जा रहा है।
आदिवासी अस्मिता की रक्षा के लिए एकजुट हुआ जनजातीय समाज।
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