नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी के घर को सार्वजनिक स्थल नहीं माना जा सकता है, इसलिए घर के भीतर दी गई गाली पर एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) कानून लागू नहीं होता। सोमवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के तहत शुरू की गई कार्यवाही को रद्द कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि एससी-एसटी कानून की धारा 3(1)(एस) केवल सार्वजनिक स्थलों पर जाति आधारित गाली-गलौज और अत्याचार के लिए लागू होती है। इस मामले में घटना शिकायतकर्ता के घर में हुई थी, जो सार्वजनिक स्थल नहीं माना जा सकता। हालांकि, आरोपियों के खिलाफ आईपीसी के तहत मुकदमे की प्रक्रिया जारी रहेगी।







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