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बुधवार, 10 दिसंबर 2025

भारत में बनने जा रहा कच्ची सड़क पर उतरने वाला ‘सुपर विमान’,

अमेरिका की एयरोस्पेस कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने घोषणा की है कि वह भारत में C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान बनाने की योजना पर काम कर रही है। यह दुनिया का पहला ऐसा हब होगा जहां अमेरिका के बाहर इन विमानों का सह-उत्पादन किया जाएगा। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब भारतीय वायुसेना अपने पुराने सोवियत विमानों को बदलने की तैयारी कर रही है।



भारत को ग्लोबल हब क्यों चुना गया

कंपनी के उपाध्यक्ष रॉबर्ट टोथ ने बताया कि भारत उनकी प्राथमिकता है और यही पहला देश है जहां वे अमेरिकी सीमा के बाहर को-प्रोडक्शन सुविधा शुरू करेंगे। यह कदम भारत अमेरिका के बढ़ते रक्षा संबंधों को मजबूत करता है।

C-130J की खासियत और ताकत

C-130J एक बहुउद्देश्यीय सैन्य विमान है जो कच्चे रनवे, पहाड़ी इलाकों और कठिन परिस्थितियों में भी आसानी से उड़ान भर और लैंड कर सकता है।

यह 20 टन तक का भारी पेलोड उठा सकता है।

स्पेशल ऑपरेशंस के लिए बहुत उपयोगी है।

2013 में इस विमान को दौलत बेग ओल्डी पर लैंड कराकर भारत ने अपनी क्षमता दिखाई थी।

C-130J और C-17 का अंतर

C-130J टैक्टिकल मिशन के लिए इस्तेमाल होता है जबकि C-17 स्ट्रैटेजिक लिफ्ट के लिए।

C-130J छोटे रनवे पर उतर सकता है।

C-17 भारी टैंक और बड़े सामान को लंबी दूरी पर ले जाता है।

IAF के पास मौजूद ट्रांसपोर्ट विमान

वायुसेना अभी C-17, IL-76, AN-32, C-295 और डॉर्नियर जैसे विमान इस्तेमाल करती है। पुराने विमानों को हटाने के लिए नए टैक्टिकल एयरलिफ्टर की जरूरत है।

IAF की 80 नए विमानों की जरूरत और मुकाबला

C-130J के साथ ब्राजील का KC-390 और यूरोप का A-400M भी इस रेस में शामिल हैं। ये सभी विमान IAF के ‘मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट’ की दौड़ में हैं।

टाटा के साथ मेंटेनेंस हब का निर्माण

लॉकहीड मार्टिन सिर्फ विमान बनाने ही नहीं, बल्कि भारत में ही उनका मेंटेनेंस हब भी विकसित कर रही है। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स बेंगलुरु में एक MRO सुविधा बना रही है, जो 2026 तक तैयार होगी। इससे सेवा और मरम्मत का काम भारत में ही हो सकेगा, जिससे लागत और समय दोनों की बचत होगी।

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