मानसून के दौरान तेज बारिश से सांपों के बिलों और छिपने की जगहों में पानी भर जाता है। इस वजह से सांप सूखी और सुरक्षित जगहों की तलाश में बाहर निकलते हैं, और घरों, दुकानों और खेतों में पहुंच जाते हैं। सांपों के घरों में आने की एक बड़ी वजह यह भी है कि बारिश में खुले में शिकार नहीं मिलता, और वे छोटे जीवों जैसे चूहे और कीड़े-मकोड़ों की तलाश में घरों तक पहुंच जाते हैं।
भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल 30-40 लाख लोग सर्पदंश का शिकार होते हैं, जिनमें से 50,000 से ज्यादा लोग जान गंवा देते हैं। यह आंकड़ा दुनिया भर में सर्पदंश से होने वाली मौतों का आधे से ज्यादा है। खासकर मानसून में सांप काटने के मामले बढ़ जाते हैं।
सांपों से बचने के उपाय :
मच्छरदानी का इस्तेमाल करें : अगर आप जमीन पर सोते हैं तो मच्छरदानी का उपयोग करें। इससे सांपों और कीड़ों से सुरक्षा मिलती है।
घर के आसपास सफाई रखें : कचरा, घास, और लकड़ी जमा न होने दें। ये सांपों के छिपने की जगह बन सकते हैं।
लॉन्ग बूट्स पहनें : खेतों या जंगल में जाते समय हमेशा पैरों को ढंककर रखें। लॉन्ग बूट्स पहनने से सांप के काटने से बचा जा सकता है।
सांपों के छिपने वाली जगहों से दूर रहें : झाड़ियों, गड्ढों या लकड़ी के ढेर में हाथ न डालें, क्योंकि ये सांपों के छिपने की जगह हो सकती हैं।
सांप के काटने पर क्या करें : अगर सांप काट ले तो पीड़ित को तुरंत लिटाकर रखें, ताकि जहर शरीर में फैलने से रोका जा सके। अंगूठी, कड़ा, घड़ी जैसी चीजें उतार दें। सांप की प्रजाति का पता नहीं चलने पर इलाज डॉक्टर द्वारा लक्षणों के आधार पर किया जाएगा।
घर में सांप दिखे तो क्या करें?
घबराए बिना सांप से थोड़ी दूरी बनाएं और उसे डिस्टर्ब न करें।
हल्का सा केरोसिन या फिनाइल छिड़कने से सांप भाग सकते हैं।
सांप को पकड़ने या मारने की कोशिश न करें, इसे प्रोफेशनल्स पर छोड़ दें।
वाइल्डलाइफ SOS हेल्पलाइन (9917109666) पर कॉल करें।
भारत के सबसे जहरीले सांप :
भारत में चार सांपों को सबसे जहरीला माना जाता है:
कोबरा – न्यूरोटॉक्सिक जहर
रसेल वाइपर – हीमोटॉक्सिक जहर
सॉ-स्केल्ड वाइपर – हीमोटॉक्सिक जहर
करैत – न्यूरोटॉक्सिक जहर
सांप के काटने के लक्षण :
जहरीले सांप के काटने पर आमतौर पर लक्षण दिखने लगते हैं जैसे- दर्द, सूजन, सांस लेने में दिक्कत, या बेहोशी। अगर जल्दी इलाज किया जाए तो जान बचाई जा सकती है।
सांप काटने के मामले में जितनी जल्दी इलाज किया जाए, उतनी ही जल्दी जहर का असर कम होता है।
सांप के जहर का असर :
न्यूरोटॉक्सिक जहर (कोबरा, करैत): सांस लेने में दिक्कत, लंग्स कोलैप्स, पैरालिसिस।
हीमोटॉक्सिक जहर (रसेल वाइपर, सॉ-स्केल्ड वाइपर): सूजन, ब्लड क्लॉटिंग, मांसपेशियों में दर्द।
मानसून में सांपों से बचने के लिए सही जानकारी और सावधानी बरतना बहुत जरूरी है, ताकि हम इस खतरे से सुरक्षित रह सकें।













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