रांची :बिहार के दरभंगा में महागठबंधन के एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मां के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यकर्ताओं ने रांची में जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय के बाहर नारेबाज़ी की और जमकर हंगामा किया, जिससे इलाके में तनाव का माहौल बन गया।
हंगामे के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं और पुलिसकर्मियों के बीच तीखी झड़प भी देखने को मिली। हालात बिगड़ते देख पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त बल भी बुलाया गया।
रांची पुलिस के डीएसपी संजीव कुमार बेसरा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "स्थिति अब पूरी तरह से नियंत्रण में है। प्रदर्शन के दौरान कुछ कहासुनी हुई थी, लेकिन फिलहाल सब शांत है और किसी बड़ी घटना की कोई जानकारी नहीं है।"
इस बीच, बिहार से भी एक अहम अपडेट सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की उस दलील को संज्ञान में लिया है जिसमें कहा गया है कि बिहार के ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में 1 सितंबर की समयसीमा के बाद भी दावे और आपत्तियां स्वीकार की जाएंगी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने समयसीमा को बढ़ाने का कोई आदेश नहीं दिया है।
इसके अलावा कोर्ट ने बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (BLSA) को निर्देश दिया है कि वह सभी जिलों में पैरा लीगल वॉलंटियर्स की नियुक्ति करे, जो मतदाताओं और राजनीतिक दलों को ऑनलाइन दावे, आपत्तियां और सुधार दर्ज कराने में मदद करेंगे। हर वॉलंटियर को इसके बाद एक गोपनीय रिपोर्ट जिला एवं सत्र न्यायाधीश (जो कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष होते हैं) को सौंपनी होगी। ये सूचनाएं बाद में राज्य स्तरीय प्राधिकरणों के माध्यम से संकलित की जाएंगी।
इन घटनाओं की पृष्ठभूमि में यह भी देखा गया कि भाजपा कार्यकर्ताओं की मांग थी कि कांग्रेस की ओर से सार्वजनिक रूप से माफी मांगी जाए और राहुल गांधी इस पर बयान दें। प्रदर्शन के दौरान कुछ भावनात्मक अपीलें भी की गईं और कुछ प्रदर्शनकारियों ने अपने घरों पर झंडा उतारने जैसी व्यक्तिगत प्रतिक्रियाएं दीं।
दरभंगा में हुई टिप्पणी ने झारखंड की सियासत को भी गर्मा दिया है और आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासी बयानबाज़ी और तेज़ हो सकती है। प्रशासन सतर्क है और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तैयारी में है।
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