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सोमवार, 6 अक्टूबर 2025

सरायकेला सरस्वती शिशु मंदिर में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया विजयादशमी उत्सव एवं भारत माता पूजन

सरस्वती शिशु मंदिर हाई स्कूल, सरायकेला में विजयादशमी उत्सव एवं भारत माता पूजन बड़े ही धार्मिक, सांस्कृतिक और देशभक्ति से परिपूर्ण माहौल में मनाया गया। रविवार, 05 अक्टूबर 2025 को आयोजित इस अवसर पर विद्यालय परिवार के सभी आचार्य जी दीदीजी, विद्यत परिषद के सभी मान्यवर सदस्य और प्रबंध कारिणी समिति के सभी सदस्य गण उपस्थित रहे। पूरे विद्यालय परिसर में उल्लास, भक्ति और भारतीय संस्कृति की झलक दिखाई दी।


कार्यक्रम की शुरुआत प्रबंध करणी समिति के अध्यक्ष श्री रमानाथ आचार्य जी द्वारा दीप प्रज्वलन से हुई। इस अवसर पर विद्यत परिषदके सदस्य भी उपस्थित रहे। दीप प्रज्वलन के बाद भारत माता पूजन एवं आरती का आयोजन किया गया, जिसमें सभी ने एक स्वर में “भारत माता की जय” के नारे लगाए। वातावरण भक्तिमय और देशभक्ति से ओत-प्रोत हो उठा।


विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री पार्थ सारथी आचार्य जी ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में विजयादशमी के महत्व को सरल और सुंदर भाषा में समझाया। उन्होंने कहा कि यह पर्व केवल भगवान श्रीराम की विजय का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह सत्य, धर्म और न्याय की असत्य, अधर्म और अन्याय पर विजय का संदेश देता है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने जीवन में सच्चाई, अनुशासन और परिश्रम को अपनाएँ।


विद्यालय के अध्यक्ष श्री रमानाथ आचार्य जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज भारत का परचम विश्व के हर कोने में लहरा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें अपने धर्म और संस्कृति के प्रति निष्ठावान रहना चाहिए और अपने देश के गौरव को बनाए रखना चाहिए।

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में संघ के आदर्शों और कार्यों का भी उल्लेख किया गया। श्री आचार्य जी ने विस्तारपूर्वक बताया कि संघ ने पिछले एक शताब्दी में देश की एकता, संस्कार और समाज सेवा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे संघ के आदर्शों को अपनाएँ और एक संस्कारवान, अनुशासित तथा राष्ट्रभक्त नागरिक बनें।

दीदी जी और आचार्य जी ने भी सनातन संस्कृति की व्याख्या करते हुए कहा कि यह संस्कृति प्रेम, करुणा और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। विद्यार्थियों ने इस अवसर पर देशभक्ति गीत और छोटे-छोटे भाषण प्रस्तुत किए, जिससे कार्यक्रम और भी रोचक बन गया।

कार्यक्रम के अंत में संघ प्रार्थना और भारत माता की जय के नारों के साथ उत्सव का समापन हुआ। पूरे परिसर में देशभक्ति और गर्व की भावना गूंज उठी।

यह विजयादशमी उत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति, एकता और सनातन मूल्यों का सजीव प्रतीक रहा, जिसने प्रत्येक विद्यार्थी के हृदय में राष्ट्रप्रेम और सदाचार की भावना को प्रज्वलित किया।






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