झरिया : पाथरडीह स्थित मिवाना कोल वाशरी में हुए दर्दनाक हादसे के बाद जादू महतो की मौत ने पूरे इलाके को झकझोर दिया। घटना से आक्रोशित ग्रामीण और परिजन लगातार तीन दिनों तक शव को वाशरी गेट पर रखकर धरने पर डटे रहे। उनकी प्रमुख मांग थी कि मृतक के परिवार को उचित मुआवजा और आश्रित को स्थायी नौकरी दी जाए।
धरना स्थल पर पहुंचे डुमरी विधायक जयराम महतो ने भी प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा – “अगर मुआवजा दिया गया है, तो नियोजन किसे मिला?” त्रिपक्षीय वार्ता में संतोषजनक जवाब न मिलने पर वे बीच बैठक से ही बाहर निकल गए और प्रशासन की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए।
आखिरकार ग्रामीणों और JLKM टीम की एकजुटता रंग लाई। तीन दिन के संघर्ष के बाद प्रशासन ने मृतक की पत्नी को स्थायी नियोजन देने और फॉर्म-3 निर्गत करने की सहमति दी। इसके बाद धरना समाप्त हुआ।
यह घटनाक्रम न केवल जादू महतो के परिवार को राहत देने वाला साबित हुआ, बल्कि यह संदेश भी दे गया कि कोल बेल्ट के श्रमिकों और ग्रामीणों की आवाज़ को नज़रअंदाज़ करना आसान नहीं है। जब लोग एकजुट होते हैं, तो न्याय की राह भी आसान हो जाती है।
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