बहरागोड़ा प्रखंड क्षेत्र के साकरा पंचायत अंतर्गत शासन गांव में जितिया व्रत रविवार, 14 सितंबर 2025 को मनाया गया. यह पर्व जिउतिया या जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है. मुख्य रूप से पुजारी आशुतोष दास ने विधि विधान के साथ पूजा किया. हिंदू धर्म में छठ पूजा के बाद इसे सबसे कठिन व्रत माना जाता है, जिसमें माता निर्जला व्रत रखकर संतान की सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना करती हैं.
*जितिया व्रत का विशेष धार्मिक महत्व होता है*
इस व्रत के नियम पूरे करना पड़ता है. जिसमें नहाय-खाय, निर्जला व्रत और पारण शामिल है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान के जीवन पर कोई खतरा नहीं रहता और हर क्षेत्र में उसे सफलता मिलती है.
वैसे तो हर माता के लिए जितिया का व्रत रखना बहुत शुभ होता है. लेकिन कुछ महिलाओं को यह व्रत रखने से बचना चाहिए. इसलिए यह जान लीजिए किन महिलाओं को जितिया का व्रत नहीं रखना चाहिए.
*ऐसी महिलाएं न रखें जितिया व्रत गर्भवती महिलाएं (Pregnant women)-*
जो महिलाएं गर्भवती हैं, उन्हें यह व्रत नहीं रखना चाहिए. इसका कारण यह है कि जितिया का व्रत निर्जला यानी अन्न-जल ग्रहण किए बिना रखा जाता है. गर्भावस्था में जितिया व्रत रखना गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु की सेहत के लिए नुकसान दायक हो सकता है. इसलिए आप जितिया व्रत न रखकर केवल विधि-विधान से पूजा कर अपने शिशु के लिए कामना कर सकती हैं.
*निसंतान महिला*- जितिया का संतान की रक्षा, खुशहाली और लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. ऐसे में जिन महिलाओं को संतान नहीं है, उन्हें यह व्रत नहीं रखना चाहिए. धार्मिक मान्यता के अनुसार वैसे तो निसंतान महिला को जितिया व्रत नही रखना चाहिए. लेकिन विभिन्न क्षेत्रों की परंपराओं में अंतर होता है. कुछ जगहों पर बड़े-बुजुर्ग जितिया व्रत रखने की सलाह देते हैं, जिससे कि महिला की सूनी गोद जल्दी भर जाए. आप जितिया व्रत करने से पहले अपने घर बड़े-बुजुर्गों की सलाह जरूर लें.जाने-अनजाने में कुछ खा लेने पर- ऐसी महिलाएं जोकि व्रत रखने का संकल्प ले लेती हैं. लेकिन यदि वह जाने-अनजाने में कुछ खा लेती हैं, तो उन्हें भी जितिया का व्रत नहीं रखना चाहिए. क्योंकि व्रत के दौरान भूल से भी यदि अन्न-जल ग्रहण कर लिया जाए तो इससे व्रत खंडित माना जाता है.
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