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शनिवार, 6 दिसंबर 2025

सरायकेला: उच्च विद्यालय धातकीडीह में कुष्ठ रोग जागरूकता कार्यक्रम आयोजित, छात्रों की स्वास्थ्य स्क्रीनिंग भी की गई

सरायकेला प्रखंड के उच्च विद्यालय धातकीडीह, सरायकेला में आमदा सी. एस.डब्ल्यू.सी लेप्रोसी सेंटर के सौजन्य से एक जागरूकता कार्यक्रम किया गया। उक्त जागरूकता कार्यक्रम का उद्घाटन विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री निराकार प्रधान ने किया। जागरूकता कार्यक्रम में आमदा सी.एस.डब्लु.सी लेप्रोसी सेंटर के मेडिकल ऑफिसर डॉ. के.पी ओझा एवं उनके सहायिका नर्स सिस्टर ज्योति और साथी प्रधान स्टाफ उपस्थित हुए। 

सर्वप्रथम बच्चों को कुष्ठ रोग के प्रति जागरूक किया गया। सभी बच्चों को कुष्ठ रोग क्या है? उसके क्या लक्षण होते हैं? उनको आप कैसे पहचान करेंगे एवं उनके उपचार और रोकथाम के विषय पर विस्तार पूर्वक अपने सेशन के दौरान बताया गया.

मेडिकल अफिसर डॉ. के पी ओझा जी ने काफी सरल तरीके से छात्र-छात्राओं को सभी बिंदुओं पर विस्तारपूर्वक बताएं एवं सभी छात्राओं का स्क्रीनिंग भी किया। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग माइकोबैक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु से होने वाला एक दीर्घकालिक संक्रामक रोग है, जो मुख्य रूप से त्वचा, परिधीय नसों, ऊपरी श्वसन पथ और आँखों को प्रभावित करता है, जिससे त्वचा पर धब्बे, सुन्नता और तंत्रिका क्षति होती है; समय पर इलाज से इसे ठीक किया जा सकता है और विकलांगता से बचा जा सकता है, यह आसानी से नहीं फैलता और मल्टी-ड्रग थेरेपी (MDT) द्वारा इसका सफलतापूर्वक इलाज संभव है.

उन्होंने आगे कहा कि अगर ये लक्षण दिखें तो आप चिकित्सक से मिले जैसे त्वचा पर हल्के रंग के धब्बे या गांठें (जो खुजली रहित हो सकती हैं). 

त्वचा में संवेदना का कम होना (सुन्नता). 

हाथों और पैरों की उंगलियों में कमजोरी, जिससे चोट लगने पर पता नहीं चलता और घाव हो सकते हैं. 

आंखों की रोशनी कम होना या अंधापन. 

नाक बंद रहना या खून बहना. 

मांसपेशियों में कमजोरी और चेहरे का विकृत होना आदि।

उन्होंने बताया कि संक्रमित व्यक्ति के नाक और मुंह से निकलने वाले स्राव के लंबे समय तक सीधे संपर्क से फैलता है, लेकिन यह आसानी से नहीं फैलता और संक्रमण का खतरा कम होता है.


इसका इलाज मल्टी-ड्रग थेरेपी (MDT) द्वारा इलाज संभव है, जिसमें कई एंटीबायोटिक्स शामिल होती हैं.

इलाज 6 महीने से 12 महीने या उससे अधिक समय तक चल सकता है, और पूरा इलाज ज़रूरी है. आज हमारे समाज में कुष्ठ रोग से कलंक और भेदभाव जुड़ा है, लेकिन यह एक ठीक होने वाली बीमारी है और गलत धारणाओं के विपरीत, यह 'बुरे कर्मों' का फल नहीं है. 

समय पर इलाज से गंभीर विकलांगता से भी बचा जा सकता है. 

इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक निराकार प्रधान, सहायक शिक्षक दिनेश हो , नीलांचल हांसदा ,देवीदत्त प्रधान, सत्यजीत महतो, ज्योति भारती, सुभाष चंद्र महतो एवं काफी मात्रा में छात्र-छात्राएं उपस्थित हुए।













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