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गुरुवार, 25 दिसंबर 2025

न्यू दिल्ली: H-1B वीजा की लॉटरी खत्म, अब हुनर और मोटी सैलरी

न्यू दिल्ली : अमेरिका जाने का सपना संजोये बैठे लाखों भारतीय IT और तकनीकी पेशेवरों के लिये यह खबर चौंकाने वाली है। अमेरिका ने H-1B वीजा की रैंडम लॉटरी प्रणाली को खत्म करने का फैसला कर लिया है। अब किस्मत नहीं, कौशल और वेतन तय करेगा कि किसे अमेरिका में काम करने का मौका मिलेगा। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के इस बड़े फैसले के तहत अब ज्यादा कुशल और ज्यादा वेतन पाने वाले विदेशी पेशेवरों को प्राथमिकता दी जायेगी। अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग के अनुसार, यह नया नियम 27 फरवरी 2026 से लागू होगा और वित्त वर्ष 2027 के H-1B पंजीकरण में पहली बार इसका इस्तेमाल किया जायेगा।



लॉटरी सिस्टम खत्म, अब ‘वेटेड सिस्टम’

अब तक H-1B वीजा का चयन पूरी तरह रैंडम लॉटरी से होता था। यानी, योग्यता समान होने पर भी किसे वीजा मिलेगा, यह किस्मत पर निर्भर करता था। लेकिन अब तस्वीर बदलेगी। नई ‘वेटेड प्रणाली’ के तहत उच्च कौशल, उच्च वेतन, विशेषज्ञता वाले प्रोफाइल को वीजा मिलने की संभावना ज्यादा होगी। ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि पुरानी व्यवस्था का कई कंपनियां दुरुपयोग कर रही थीं और कम वेतन पर विदेशी कर्मचारियों की भर्ती की जा रही थी, जिससे अमेरिकी कामगारों को नुकसान हो रहा था।

भारतीय IT प्रोफेशनल्स पर सीधा असर

H-1B वीजा पर अमेरिका जाने वालों में सबसे बड़ी हिस्सेदारी भारतीयों की है, खासतौर पर IT, सॉफ्टवेयर, डेटा साइंस और इंजीनियरिंग सेक्टर से जुड़े पेशेवरों की। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नये नियमों के बाद कम सैलरी वाले ऑफर, शुरुआती स्तर की नौकरियां अब H-1B पाने में पिछड़ सकती हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे मिड-लेवल भारतीय प्रोफेशनल्स को सबसे ज्यादा चुनौती मिलेगी। अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवाएं (USCIS) का कहना है कि नई प्रणाली से वीजा प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी होगी। H-1B कार्यक्रम की विश्वसनीयता बढ़ेगी। अमेरिकी नियोक्ता बेहतर टैलेंट को ज्यादा वेतन पर रखने के लिये प्रेरित होंगे। इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्धी क्षमता मजबूत होने का दावा किया जा रहा है।

पहले से सख्त हैं नियम

H-1B वीजा को लेकर सख्ती पहले ही बढ़ चुकी है। नये आवेदनों पर 1 लाख डॉलर तक अतिरिक्त शुल्क लगेगा। 15 दिसंबर से H-1B और H-4 वीजा की कड़ी जांच होगी। सोशल मीडिया प्रोफाइल की भी जांच होगी। इन सख्त कदमों का असर भारत में साफ दिख रहा है। कई वीजा इंटरव्यू टल चुके हैं, वीजा स्टैंपिंग के लिये भारत आये लोग महीनों से फंसे हुये हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय का कहना है कि “वीजा कोई अधिकार नहीं, बल्कि एक सुविधा है।” हर आवेदन की राष्ट्रीय और सार्वजनिक सुरक्षा के नजरिये से गहन जांच की जा रही है। हर साल अमेरिका 65,000 H-1B वीजा और 20,000 अतिरिक्त वीजा (अमेरिकी यूनिवर्सिटी से उच्च डिग्री वालों के लिये) जारी करता है। लेकिन नये नियम लागू होने के बाद H-1B पाना पहले से कहीं ज्यादा मुश्किल और प्रतिस्पर्धी होने वाला है। कहने का मतलब साफ है कि अब अमेरिका जाने का रास्ता किस्मत से नहीं बल्कि कौशल, अनुभव और मोटी सैलरी से खुलेगा। भारतीय युवाओं के लिये यह साफ संकेत है कि अगर अमेरिका जाना है, तो खुद को ‘हाई-वैल्यू प्रोफेशनल’ बनाना ही होगा।

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