पटना : बिहार में न्यायिक व्यवस्था को तेज और आसान बनाने के लिए सरकार 100 फास्ट ट्रैक अदालतें शुरू करने जा रही है। उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री सम्राट चौधरी ने रविवार को इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि इन अदालतों का मकसद लंबित मामलों का जल्द निपटारा करना है, ताकि अदालतों पर बढ़ते बोझ को कम किया जा सके।
18 लाख से ज्यादा मामले लंबित, इसलिए जरूरी कदम
राज्य में फिलहाल 18 लाख से अधिक मामले लंबित हैं। सरकार का मानना है कि नई अदालतें बनने से लोगों को समय पर न्याय मिल सकेगा। लंबित मामलों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए यह फैसला महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
किन जिलों में कितनी फास्ट ट्रैक अदालतें बनेंगी
घोषणा के अनुसार पटना में आठ फास्ट ट्रैक अदालतें प्रस्तावित हैं। गया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा और भागलपुर में चार–चार अदालतें बनाई जाएंगी। नालंदा, रोहतास, सारण, बेगूसराय, वैशाली, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर और मधुबनी में तीन–तीन अदालतें स्थापित होंगी। इसके अलावा पश्चिम चंपारण, सहरसा, पूर्णिया, मुंगेर, नवादा, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, कैमूर, बक्सर, भोजपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, सीवान, गोपालगंज, सुपौल, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज, कटिहार, बांका, जमुई, शेखपुरा, लखीसराय और खगड़िया में दो–दो अदालतें शुरू की जाएंगी। नवगछिया और बगहा उप-मंडलीय न्यायालय में एक–एक फास्ट ट्रैक अदालत का प्रस्ताव है।
नियुक्ति भी होगी बड़े पैमाने पर
इन अदालतों में कामकाज के लिए कुल 900 पदों पर नियुक्ति की जाएगी। इनमें बेंच क्लर्क, कार्यालय लिपिक, स्टेनोग्राफर, डेटा एंट्री ऑपरेटर, ड्राइवर, प्रोसेस सर्वर और चपरासी शामिल होंगे।
शस्त्र अधिनियम मामलों के लिए 79 एक्ट कोर्ट
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि शस्त्र अधिनियम से जुड़े लंबित मामलों को तेजी से हल करने के लिए 79 अदालतों को एक्ट कोर्ट के रूप में नामित किया जाएगा। उनका कहना है कि ऐसे मामलों का जल्द निपटारा राज्य की कानून व्यवस्था को मजबूत करेगा।
सरकार की प्राथमिकता- समय पर न्याय
सम्राट चौधरी ने कहा कि सरकार न्यायिक प्रक्रिया को तेज और सुगम बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। 100 फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना इसी लक्ष्य का हिस्सा है।







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