सरायकेला: बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत आज समाहरणालय परिसर से उपायुक्त नितिश कुमार सिंह ने जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर जिले-भर में चलने वाले जन-जागरूकता कार्यक्रम की शुरुआत की। रथ 03 से 23 दिसंबर तक गांव-गांव जाकर लोगों को बाल विवाह के नुकसान और कानूनी प्रावधानों के बारे में जानकारी देगा। उपायुक्त ने इसी दौरान हस्ताक्षर अभियान का भी शुभारंभ किया, ताकि नागरिक बाल विवाह रोकने की सामाजिक जिम्मेदारी को समझें और उसे निभाएँ।उपायुक्त ने कहा कि बाल विवाह अभी भी समाज के कुछ हिस्सों में अज्ञानता के कारण जारी है, जबकि कानून इसे स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित करता है।
उन्होंने बताया कि कम उम्र में विवाह और गर्भधारण से बालिकाओं के शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। जच्चा-बच्चा दोनों के जीवन पर जोखिम बढ़ जाता है, साथ ही मानसिक तनाव, शिक्षा में बाधा और समग्र विकास रुक जाता है।उन्होंने कहा कि यह कुप्रथा देश की जनसांख्यिकीय और विकास प्रक्रिया पर भी नकारात्मक असर डालती है।उपायुक्त ने जिलेवासियों से आग्रह किया कि वे बाल विवाह की किसी भी आशंका या घटना की सूचना तुरंत पंचायत प्रतिनिधियों या जिला प्रशासन को दें।
उन्होंने कहा कि “बाल विवाह रोकना सिर्फ प्रशासन की नहीं, हर नागरिक की सामाजिक जिम्मेदारी है।”कानूनी नियम और दंड की जानकारी भी देगी जागरूकता रथ
जागरूकता रथ के माध्यम से लोगों को यह बताया जाएगा कि—
लड़के की विवाह न्यूनतम आयु : 21 वर्ष
लड़की की विवाह न्यूनतम आयु : 18 वर्षइन प्रावधानों का उल्लंघन करने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना, दो वर्ष तक की सजा या दोनों का प्रावधान है।
रथ बाल श्रम, बाल तस्करी, बाल शोषण और बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 से जुड़ी आवश्यक जानकारी भी प्रसारित करेगा।अभियान की शुरुआत के मौके पर एसडीओ निवेदिता नियति, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सत्या ठाकुर समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।







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