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बुधवार, 26 नवंबर 2025

कुरुक्षेत्र: मुगलों ने साहिबजादों के साथ क्रूरता की', गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस कार्यक्रम में बोले पीएम मोदी

PM ने शहीदी दिवस पर सिक्का जारी किया:कुरुक्षेत्र में बोले- नया भारत न डरता है, न रुकता है, ऑपरेशन सिंदूर इसका सबसे बड़ा उदाहरण


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में कई महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिये.सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य शंख ‘पंचजन्य’ के सम्मान में नवनिर्मित स्मारक का भव्य लोकार्पण किया. यह स्मारक महाभारत काल की ऐतिहासिक विरासत और आध्यात्मिक महत्व को समर्पित है. समारोह के दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी मौजूद रहे.

इसके बाद पीएम नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विशेष समारोह में शामिल हुए हैं. 

पीएम ने कहा नशे की आदत ने हमारे अनेक नौजवानों के सपनों को, गहरी चुनौतियों में धकेल दिया है. सरकार इस समस्या को जड़ से समाप्त करने के लिए सारे प्रयास भी कर रही है. लेकिन यह समाज की, परिवार की भी लड़ाई है. और ऐसे समय में श्री गुरु तेग बहादुर साहिब की शिक्षा हमारे लिए प्रेरणा भी है और समाधान भी है.प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गुरु तेग बहादुर साहिब जी की स्मृति हमें ये सिखाती है कि भारत की संस्कृति कितनी व्यापक, कितनी उदार और कितनी मानवता केंद्रीत रही है. उन्होंने 'सरबत दा भला' का मंत्र अपने जीवन से सिद्ध किया. आज का ये आयोजन सिर्फ इन स्मृतियों और सिखों के सम्मान का क्षण नहीं है. ये हमारे वर्तमान और भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरणा भी है. गुरु साहब ने सिखाया है कि 'जो नर दुख में दुख नहिं माने, सो ही पूर्ण ज्ञानी' यानी जो विपरीत परिस्थितियों में भी अडिग रहता है, वही सच्चा ज्ञानी है, वही सच्चा साधक है.


*मैं इसे गुरुओं की विशेष कृपा मानता हूं- PM*


पीएम ने कहा कि पिछले महीने एक पावन यात्रा के रूप में गुरु महाराज के पावन ‘जोड़ा साहिब’ दिल्ली से पटना साहिब ले जाए गए. और वहां मुझे भी इन पवित्र ‘जोड़ा साहिब’ के सामने अपना शीश नवाने का अवसर मिला. मैं इसे गुरुओं की विशेष कृपा मानता हूं कि उन्होंने मुझे इस सेवा का, इस समर्पण का और इस पवित्र धरोहर से जुड़ने का अवसर दिया.उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि कैसे मुगलों ने वीर साहिबजादों के साथ भी क्रूरता की सारी सीमाएं पार कर दी थीं. वीर साहिबजादों ने दीवार में चुना जाना स्वीकार किया. लेकिन अपने कर्तव्य और धर्म का मार्ग नहीं छोड़ा. इन्हीं आदर्शों के सम्मान के लिए, अब हम हर साल 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाते हैं.

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